रक्सौल।( vor desk )।पीएम पैकेज बिहार 2015 में रक्सौल एयरपोर्ट के विकास हेतु आबंटित राशि का समुचित उपयोग रक्सौल एयरपोर्ट के विकास में किये जाने के साथ साथ इस एयरपोर्ट को ‘उड़ान’ के तहत बिड में शामिल करने के पूर्व इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित किये जाने की मांग के बाबत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, कॉर्पोरेट हेड क्वार्टर, नई दिल्ली के महाप्रबंधक (योजना) ने बीते 19 मार्च को अपना जवाब पीएमओ को सौंपा है। इसकी जानकारी पीएमओ द्वारा अपीलकर्ता डा. स्वयंभू शलभ को मेल के जरिये दी गई है।
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा डॉ. शलभ के प्रस्ताव को इससे पूर्व गत 1 सितंबर 2020 को कैबिनेट सेक्रेटरी एवं पार्लियामेंट अफेयर्स के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भेजा गया। फिर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा गत 17 फरवरी 2021 को चीफ सेक्रेटरी, बिहार को भेजा गया था।
यह हवाई अड्डा ‘उड़ान’ की हवाई अड्डों की सूची में शामिल है पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं होने से बिड में शामिल किए जाने के बावजूद कोई भी कंपनी यहां से अपनी सेवा आरंभ करने में रुचि नहीं लेती।
पीएमओ को भेजे गए डॉ. शलभ के प्रस्ताव के आलोक में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के महाप्रबंधक द्वारा गत 5 अक्टूबर 2020 को बताया गया था कि रक्सौल एयरपोर्ट के विकास के लिए पीएम पैकेज बिहार 2015 में 250 करोड़ रुपये आबंटित किये गए हैं। भविष्य में एयरलाइनों से रक्सौल हवाई अड्डे से उड़ानों के संचालन की बिड प्राप्त होने पर इसका विकास नागर विमानन मंत्रालय के उड़ान फंड द्वारा किया जाएगा।
पीएमओ में भेजी गई अपनी अपील में डॉ. शलभ ने बताया है कि भारत नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल एयरपोर्ट लंबे समय से अपने उद्धार की प्रतीक्षा में है। बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर, रनवे और प्रशस्त भूमि उपलब्ध होने के बावजूद यह एयरपोर्ट वर्षों से उपेक्षित पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय महत्व के इस सीमावर्ती क्षेत्र में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों सर्विस की आवश्यकता है ताकि इस क्षेत्र के समुचित विकास के साथ भारत और नेपाल दोनों देश के लोगों के लिए देश विदेश की हवाई यात्रा सुलभ हो सके। रक्सौल एयरपोर्ट के विकास के मद में पीएम पैकेज में आबंटित राशि जिसका उपयोग इस एयरपोर्ट के विकास में नहीं हो पाया, उस राशि को रक्सौल एयरपोर्ट के विकास में ही खर्च करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही एएआइ द्वारा जितनी अतिरिक्त भूमि के आबंटन की मांग बिहार सरकार से की गई है उसे भी यथाशीघ्र उपलब्ध कराये जाने की मांग की गई है ताकि यह हवाईअड्डा आरंभ हो सके।
गौरतलब है कि दिल्ली और काठमांडू को जोड़ने वाले लाइफलाइन पर स्थित रक्सौल एयरपोर्ट को विकसित करने से देश दुनिया के साथ इस क्षेत्र का संपर्क बढ़ेगा, यहां अंतरराष्ट्रीय पर्यटन विकसित होगा और इस सीमा क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलेगा।