रक्सौल।(vor desk )।इस एक बार फिर बिहार में इंटरमीडियट परीक्षा के रिजल्ट में लड़कियों ने बाजी मारी है।इसमे रक्सौल की बेटी ने भी इंटर साइंस में सूबे में चौथा स्थान ला कर रक्सौल समेत पूरे पूर्वी चंपारण का मान बढ़ाया है।
मजे की बात यह है कि जिस कल्पना कुमारी ने यह मुकाम हासिल किया है,उसके पिता रक्सौल में ऑटो चलाते हैं।और मुश्किल में भी अपने बच्चों को पढ़ाने का हौसला नही छोड़ा है।
यही कारण है कि मेधावी कल्पना ने अपनी कड़ी मेहनत से अपने माता पिता का नाम पूरे सूबे में रौशन किया है।
कल्पना स्थानीय राजाराम साह महाविद्यालय की छात्रा है।जिसने महानगरों का मुंह नही देखा है।अब वह सिविल सर्विस कम्पीटिशन की तैयारी कर ऑफिसर बनाना चाहती है।
परीक्षा परिणाम आने के साथ ही उसको बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया। घर पर परिजन,इष्ट मित्र पहुंच गए।तो,गर्व से भर उठे ऑटो चालक पिता अनिल पंडित की आंखे भर आईं।माता कुंती देवी भी फुला नही समा रही थी।
बिहार टॉपर कल्पना कुमारी बिहार -नेपाल सीमा के रक्सौल नगर परिसद संख्या वार्ड 22 के शिवपुरी मुहल्ला में एक टूटी फूटी घर मे रहती है।कल्पना अपने भाई बहन में सबसे छोटी है। सबसे बड़ा भाई पटना में एयरफोर्स की तैयारी कर रहा है। मंझली बीच वाली बहन अर्चना कुमारी भी कल्पना के साथ साथ पढ़ाई कर रही है। दोनो ने ही इस बार परीक्षा दिया अर्चना को 433 नम्बर आए तो सबसे छोटी बहन कल्पना से बिहार में चौथा स्थान पाया ।
अब देखिए कि तीनों भाई बहन पढ़ लिख कर ऑफिसर बनने की होड़ में है।,तो,पिता सातवी पास हैं। तो माता किसी तरह कुछ लिख लेती है। पिता काफी गरीब परिवार से आते है भाड़े की टेम्पू चला कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है।लेकिन,इसके बावजूद, ये कल्पना के कल्पना को साकार करने के लिए एड़ी चोटी एक करने की बात करते हैं।
माता पिता के ईमानदारी ने बच्चियों को इस मुकाम तक पहुचाया।बेटी की पढ़ाई के लिए किसी से कर्ज नही लिया। एक समय ऐसा आया कि गुरु जी को देने के लिए माता पिता के पास एक रुपया भी नही था ।तो माता ने अपने पंद्रह हजार रुपया का गहना आठ हजार रुपया में बेच कर पढ़ाई जारी रखने के लिए पैसा दिया। पर अपनी बेटियों के पढ़ाई में कोई कोर कसर नही छोड़ी।
कल्पना कुमारी ने कहा कि वो ग्रेजुएशन कर सिविल सर्विस में जाना चाहती है ।आज के मुकाम के लिए अपने माता पिता व गुरुजनों के साथ अपने भाई बहन एव परिजन को सफलता का श्रेय देना नही भूलती।
उसने कहा कि -कोरोना काल मे हमारी पढ़ाई पूरी तरह बाधित रही।ऑन लाइन पढ़ाई शुरू होने से थोड़ी मदद मिली।यदि कोरोना काल नही होता,तो,वो चौथा नही बिहार में पहले स्थान पर रहती।इसे आगे साबित करके दिखाउंगी की बेटियां किसी से कम नहीं!
कल्पना के पिता ने कहा कि मेरे बच्चे बहुत ही मेहनती है और वे अपने पिता के मेहनत को समझतीं हैं। आज वे काफी खुश हैं और बेटियों के साथ वे हर कदम पर साथ है। आगे जो भी करेगी वे पूरा साथ देगे।( रिपोर्ट:गणेश शंकर )