Monday, November 25

गौतम बुद्ध सामाजिक चेतना संस्थान ट्रस्ट कराएगी एक हजार लोगों का नेत्र दान,नरौल में स्थापित होगी बुद्ध प्रतिमा!

आदापुर।( vor desk ) ।शिक्षा के बगैर सामाजिक चेतना जागृत नही हो सकती।इसके लिए समाज के अभिवंचित वर्गों के बीच शिक्षा की ज्योति को जलाना होगा।उक्त बातें गौतम बुद्ध सामाजिक चेतना संस्थान ट्रस्ट,संत कबीर नगर नरौल के संस्थापक अध्यक्ष सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बीरेंद्र प्रसाद सिंह कुशवाहा ने बुधवार की देर शाम आदापुर में एक कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि दुनिया को युद्ध या आतंकवाद की नही बल्कि बुद्ध की जरूरत है,जिन्होंने करुणा,मैत्री,बन्धुता,अहिंसा जैसे मानवीय विचारों से मानव समाज को अन्वेषी बनाया।

उन्होंने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध,संत गुरु रविदास,फूले दम्पति, संत कबीर,शाहूजी महाराज,संत गाडगे सरदार पटेल,अबुल कलाम आजाद जैसे महापुरुषों के विचारों से ही अखंड भारत के खोए हुए गौरव को हासिल किया जा सकता है और हमारा देश उन्ही के विचारों व आदर्शो को आत्मसात करके विश्व गुरु का खिताब दिलाया जा सकता।

फ़ोटो:पूर्व मंत्री वीरेंद्र कुशवाहा

समाज के सबसे पिछड़े कतार में खड़े दलितों,पिछडों,अल्पसंख्यकों व गरीब-शोषित लोगों को ऊपर उठाने की जरूरत है।बिना इन्हें मुख्यधारा में शामिल किए देश के विकास की इबारत नही गढ़ी जा सकती।

पूर्व मंत्री ने कहा कि सामाजिक चेतना के लिए ही छौड़ादानों के नरौल में एक एकड़ से अधिक नीजी भूमि तथागत गौतम बुद्ध,संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर,बिहार लेनिन शहीद जगदेव कुशवाहा सहित अन्य बहुजन महापुरुषों के प्रतिमा का अनावरण अंतिम चरण में है जबकि देश के प्रथम शिक्षामंत्री व कवि अबुल कलाम आजाद पुस्तकालय का गठन किया गया है।

इस पुस्तकालय में निर्धन व गरीब बच्चों को मुफ्त पुस्तकें तथा बुद्धिजीवियों के लिए भी जरूरत की सभी पुस्तकें मिलेगी।उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस प्रेरणा स्थल का उद्घाटन सूबे के विकास पुरुष नीतीश कुमार द्वारा प्रस्तावित है।

इसी मौके पर लोगों से अपील है जरूरतमंदों के लिए नेत्रदान जैसे महादान के लिए बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाये।उन्होंने बताया कि एक हजार लोगों से जरूरतमंदों के लिए अपना कीमती नेत्र दान करने का लक्ष्य है जिसे पूरा करने का संकल्प लिया गया है।इस मौके पर अम्बेडकर ज्ञान मंच,रक्सौल के अध्यक्ष पूर्व मुखिया मथुरा राम,विशेश्वर प्रसाद आदि मौजूद थे।

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