रक्सौल।(vor desk)।”दिल के टुकड़े टुकड़े करके.. मुस्करा के चल दिये!”दादा फ़िल्म की यह गीत पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के जीएम ललीत चंद्र त्रिवेदी रक्सौल पहुंचने और उनसे मिलने के इंतजार में खड़े समाजिक संस्था के शिष्टमंडल की ओर बिना मुखातिब हुए लौट जाने के बाद खूब चटकारे ले कर गुन गुनाया गया।
दरअसल,पूर्व -मध्य रेलवे के जीएम के आगमन की अधिकृत सूचना चार रोज पहले से ही थी।सो उनसे अपेक्षा पाले रक्सौल के सामाजिक संस्था ,व्यापारियों समेत प्रबुद्धजनों का शिष्ट मंडल उनसे मिलने की ताक में था, ताकि, दुःख दर्द सुना सकें। इसमे कुछ ने पूर्व से अनुमति भी ले रखी थी।
वाल्मिकिनगर से लौटने के क्रम में उनका रक्सौल स्टेशन पर शिद्दत से इंतजार के बीच स्वागत की तैयारी थी।स्टेशन को रंग रोगन के साथ खूबसूरती से सजाया गया था।रेलवे के अधिकारियों का जमावड़ा था।
इस बीच उनका सैलून दोपहर रक्सौल पहुंचा।प्लेटफॉर्म संख्या 2 के उनका आगमन हुआ।
जीएम साहब के पैर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पड़े भी।लाल कालीन पर उनके पैर पड़ते ही अधिकारी खुशामद में दौड़े।स्टेशन अधीक्षक अनिल कुमार सिंह ने झुक कर कर उन्हें फूलों से लकदक गुलदस्ता भेंट किया।
इस गुलदस्ते को हाथ मे थामने के बाद बिना किसी निरीक्षण या किसी से मुखातिब हुए वे वापस सैलून में लौट गए ।अधिकारियों ने तो सकूँन महसूस किया कि चलो बला टली, क्योंकि,उनकी जान आफत में ही रहती है।क्योंकि,यह एक बार्षिक निरीक्षण का कार्यक्रम था।लेकिन,यहां उनके इंतजार में खड़े समाजसेवी,व्यवसायी व प्रबुद्धजन मुहं ताकते रह गए।उन्हें मायूसी हाथ लगी।इसमे चेम्बर ऑफ कॉमर्स, भारत विकास परिषद,स्वच्छ रक्सौल समेत नेपाल के व्यापारी भी शामिल थे।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने लौटने के बाद रेल अधिकारियों से व्यंग्य में कहा भी -‘अंग्रेज भी ऐसे न थे…!’
वैसे अधिकारियों की तुगलकी चाल ढाल का यह एक नमूना भर था।भारतीय संविधान में इन्हें ‘नौकरशाह’ की हैसियत प्राप्त है।लेकिन,ये तथाकथित ‘मालिक ‘बन बैठे हैं।जिन्हें आम जनता के दुःख दर्द से कोई लेना देना नही।न ही जमीन से इनका जुड़ाव है। शायद यही कारण था कि एसी में बैठने व चलने के आदि ‘जीएम महोदय’ ने घण्टों से उनके इंतजार में खड़े लोगों पर तिरछी नजर भी नही डाली..और लौट गए।जबकि,दरभंगा के बाद सबसे ज्यादा राजस्व रक्सौल से प्राप्त होता है।वहीं,यह नेपाल सीमावर्ती होने के कारण इस स्टेशन का अंतराष्ट्रीय महत्व है।बावजूद, रक्सौल की उपेक्षा लगातार हो रही है।रेल अधिकारी सीधी मुहं बात करने को भी तैयार नही दिखते।
यहां गौतलब है कि रेलवे विद्युतीकरण विभाग के द्वारा बनाये जाने वाले अधिकारी विश्राम गृह के निर्माण कार्य के लिए जीएम द्वारा भूमि पूजन करने कार्यक्रम भी निर्धारित था।लेकिन रक्सौल पहुंचने के कुछ देर पूर्व ही अपिहार्य कारणो से उनके भूमि पूजन में शामिल होने का कार्यक्रम रद्द हो गया।इसके साथ ही तैयारी पर खर्च की गई मोटी रकम भी स्वाहा हो गया।
वैसे,जीएम ललित चंद्र त्रिवेदी वाल्मिकीनगर स्टेशन से स्पेशल विंडो ट्रॉली निरीक्षण करते हुए रक्सौल पहुंचे थे और कुछ देर रक्सौल में रूकने के बाद फिर से विंडो ट्रेलिंग से निरीक्षण करते हुये वापस लौट गये।
निरीक्षण यान में जीएम, डीआरएम अशोक महेश्वरी के साथ-साथ सिनीयर डीसीएम सरस्वती चंद्र, सिनीयर डीओएम रूपेश कुमार, सिनीयर डीएमई रविश रंजन, सिनीयर डीइएन कोर्ड आर. एन. झा सहित पूमरे समस्तीपुर मंडल के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। मौके पर डीसीआई संजय कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर राज कुमार, आइओडब्लू तापस राय, सीआइटी सतीश कुमार, जीआरपी थानाध्यक्ष पंकज कुमार दास व सीडब्लूएस उमेश कुमार आदि उपस्थित रहे ।