*मधेशी नेता उपेंद्र यादव ने सोमवार को संसद विघटन के खिलाफ बीरगंज में विरोध सभा को भी किया था सम्बोधित
रक्सौल।(vor desk )।जनता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व उप प्रधानमंत्री सह विदेश मंत्री रहे उपेंद्र यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री केपी ओली गणतंत्र ,संघीयता व संविधान विरोधी हैं।वे चुनाव नही कराने वाले।उनकी मंशा देश पर निरंकुश ‘ओली तन्त्र’ थोपने की है।ऐसे में लोकतांत्रिक शक्तियों को एकजुट हो कर तानाशाह ओली को सत्ता से बेदखल करने व संसद की पुनर्स्थापना करने की जरूरत है।उक्त बातें
मधेशी नेता श्री यादव ने संसद विघटन व पीएम केपी ओली के तानाशाही रवैये के खिलाफ जनता समाजवादी पार्टी के द्वारा बीरगंज के एक आवासीय होटल में मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
उन्होंने कहा कि पीएम ओली ने संसद विघटन व कैबिनेट विस्तार कर लोकतंत्र से खिलवाड़ किया है।उन्होंने कहा कि देश मे गणतन्त्र, संघीयता व सम्विधान को बचाने के लिए हम बलिदान देने को तैयार हैं।
उन्होंने आरोप किया कि ओली राजा महेंद्र के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। इसी महेन्द्रवाद के अनुसरण के कारण ही भारत जैसे पड़ोसी राष्ट्र से रिश्ते खराब हुए है।
उन्होंने कहा कि पीएम ओली चीन के इशारे पर चल रहे हैं।जिससे देश बर्बादी की राह पर है।नेपाल विदेशी शक्तियों के खेल का मैदान बन गया है।
उपेंद्र यादव ने कहा कि भारत नेपाल का संबंध मित्रता काफी पुराना व मजबूत है।कालापानी,लिपुलेख आदि में सीमा भूमि का जो विवाद है यह खुद नेपाल सरकार के गले की हड्डी बन गई है। सरकार को लगा की मधेशी दल नक्सा पास करने में सहयोग नही देंगे। पर हमने साथ दिया।उन्होंने सवाल किया कि नक्शा पास से क्या होता है? जमीन भी तो नेपाल की होनी चाहिये।उन्होंने जोर दे कर कहा कि कोई भी समस्या का समाधान वार्ता से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि केपी ओली की कम्युनिस्ट सरकार दो तिहाई बहुमत के बाद भी दो साल में ही संसद का विघटन कर चुनाव को घोषणा की है। जो नेपाल के सविधान के विपरीत है। सरकार अपने मतभेद व अक्षमता को छुपाने के लिए जनता पर चुनाव थोपने की कोशिश कर रहीहै। लेकिन, तय तिथि पर चुनाव होना सम्भव नहीं है ।अरबो रुपये भी बर्बाद होंगे।उनका सवाल था कि सरकार को चुनाव कराना होता तो तत्कालीन सरकार अपने मंत्री मंडल का विस्तार करती क्या ?उन्होंने नेपाली कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे मुगालते में नही रहें कि चुनाव होगा।और यू ही सत्ता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं।हमें आशा है की कोर्ट हमारे पक्ष में अपना सुनवाई करेगी।लेकिन,यह समझना होगा कि राजनीतिक मामले का निदान न्यायालय से नही हो सकता।इसके लिए लोकतांत्रिक शक्तियों को एकजुट होना होगा।ओली सरकार के सत्ता से हटे बिना नेपाल में गणतंत्र व संघीयता अक्षुण्ण नही रह सकता।क्योंकि, ओली प्रदेश सभा को खारिज कर मधेश व जनांदोलन की उपलब्धि को नष्ट कर निरंकुशता थोपने की राह में हैं।जो इक्कीसवीं सदी में सम्भव नही।
उन्होंने आपत्ति की कि कोविद 19 को देखते हुए मार्च 2020 से ही भारत नेपाल की सीमा सील है ।यह उचित नहीं है।सरकार को सर्वदलीय बैठक बुला कर इसका समाधान करना चहिए।
इस मौके पर सांसद लक्ष्मण लाल कर्ण, प्रदीप यादव, मेयर विजय सरावगी आदि उपस्थित रहे।