काठमांडू/रक्सौल।( vor desk ) ।नेपाल के रिश्तों में क्रमिक सुधार के साथ ही सुखद सँकेत मिले हैं।नेपाल सरकार ने काठमांडू से रक्सौल रेल खण्ड निर्माण का जिम्मा भारत को सौप दिया है।
बता दे कि भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 26 नवम्बर को नेपाल दौरे पर वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी। उन्होंने नेपाली अधिकारियों से दोनों देशों के साथ मिलकर शुरू की जाने वाली प्रोजेक्ट्स पर भी चर्चा की थी।इसी के बाद यह सकारात्मक खबर सामने आई है।
बताया जा रहा है कि नेपाल के पहाड़ी इलाकों की ट्रांसपोर्ट सिस्टम में पैठ बनाने की चीन की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।क्योंकि,इसमें भारत ने बाजी मार ली है। नेपाल ने काठमांडू से बिहार के रक्सौल तक रेल लाइन बिछाने की मंजूरी दे दी है। 136 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन बिछाने की जिम्मेदारी भारत की कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सौंपी गई है। खास बात यह है कि इस नेटवर्क का 42 किमी. लंबा सेक्शन अंडरग्राउंड यानी भूमिगत होगा। नेपाल की एक लोकल वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।
चीन इस कोशिश में था कि वह तिब्बत से नेपाल तक रेल चलाए। इसके लिए वह लंबे समय से कोशिश कर रहा है। चीन भी काठमांडू तक रेल नेटवर्क पहुंचाना चाहता है। इसके लिए वह कई बार नेपाल से बातचीत भी कर चुका है। हालांकि, उसे अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।
2018 में हुआ था समझौता
नेपाली अधिकारियों ने डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की इजाजत दे दी है। नेपाली मीडिया के मुताबिक, वहां की ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के सचिव रबींद्रनाथ श्रेष्ठ ने काठमांडू- रक्सौल रेल लिंक को मंजूरी मिलने की बात मानी है। भारत ने इसकी डीपीआर तैयार करने और कंस्ट्रक्शन के लिए पिछले साल अगस्त में इजाजत मांगी थी। इन दोनों कामों को शुरू करने की मंजूरी देते हुए चिट्ठी भारत को भेज दी गई है। इसमें नेपाल ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने भारत को कुछ सुझाव भी दिए हैं। काठमांडू- रक्सौल रेल लिंक पर स्टडी के लिए भारत-नेपाल के बीच 2018 में समझौता हुआ था।
2008 में चीन और नेपाल में रेल प्रोजेक्ट पर बनी थी सहमति
चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के फाउंडर माओ जेडोंग के समय से ही काठमांडू तक रेल लिंक तैयार करना चाहता था। हालांकि, 2008 में नेपाल के उस समय के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीजिंग दौरे के साथ इस पर चर्चा तेज हुई। 2015 में भारत से नेपाल के बीच ज्यादातर सामान की सप्लाई रोक दी गई थी। इसके बाद नेपाल ने चीन तक रेल लाइन बिछाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। चीन तिब्बत के किरोंग से काठमांडू तक रेल नेटवर्क तैयार करना चाहता है।
भारत-नेपाल ने रिश्ते सुधारने की कोशिश की
कुछ महीने पहले नेपाल ने भारत के तीन इलाकों को अपने नए नक्शे में शामिल कर लिया था। इसके बाद दोनों देशों के तनाव बढ़ गया था। दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक लेवल पर बातचीत शुरू हुई। अक्टूबर में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत गोयल काठमांडू गए। इसके बाद आर्मी चीफ जनरल नरवणे और आखिर में फॉरेन सेक्रेटरी हर्षवर्धन श्रृंगला भी नेपाल गए। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली भी दिल्ली के दौरे पर पहुंचे। इन दौरों से दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते सुधरे।
नेपाल में चीन की रेलवे पहुंचना बन जाता भारत के लिए खतरा
चीन अगर नेपाल तक अपना रेल नेटवर्क ले आता तो इससे भारत को खतरा था। वह नेपाल में इसका नेटवर्क तैयार कर भारत की सीमा तक पहुंच सकता था। वह अपनी सेना और उपकरणों को भी यहां तक पहुंचा सकता था। हालांकि, अब ऐसा होने की संभावना कम है। चीन की रेल ट्रैक स्टैंडर्ड ब्रॉड गेज के मुताबिक 1435 एमएम चौड़ी होती हैं। वहीं, भारत के ब्रॉड गेज ट्रैक की चौड़ाई 1676 एमएम है।( रिपोर्ट:vor desk/इनपुट-एजेंसीज )