रक्सौल।(vor desk )।दीपावली के बाद सोमवार को शहर में गोवर्धन पूजा धूमधाम के साथ मनाया गया। जिसमें सैकड़ो महिलाओं ने गोवर्धन की पूजा अर्चना करके सुख समृद्धि के साथ लोगों की रक्षा का संकल्प लिया। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर भारत में गोवर्धन पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन हिंदू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से पर्वत बनाकर पूजा करते हैं। वहीं कुछ जगह गोवर्धन नाथ जी की प्रतिमूर्ति बनाकर, उसका पूजन करने का भी विधान है। इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले गिरिराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
भैया दूज:गोवर्धन पूजा पर भैया दूज भी उत्सवी रूप में मनाया गया।महिलाओं द्वारा रेंगनी के कांटे को अपने जीभ में चुभा कर इस पूजा को सम्पन्न किया गया। फिर इसमें बजरी से पूजा भी की गयी।बताया गया कि उस बजरी को कार्तिक गंगा स्नान के पहले तक महिलाएँ अपने भाई को मिष्ठान के साथ खिलाएंगी और भाई उपहार स्वरूप अपने बहन को कुछ भेंट करेंगे।
जबकि,इस आज इस पर्व पर बहनों ने भाई की सलामती की दुआ की और बजरी खिलाने के साथ मुहं मीठा कराया।बदले में भाइयों ने अपनी मुहं बोली बहनों को सौगात दिया।
गोवर्धन पूजा क्यों
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। अन्नकूट/गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। यह उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र के गर्व को पराजित करके लगातार बारिश और बाढ से बहुत से लोगों (गोकुलवासी) और मवेशियों के जीवन की रक्षा करने के महत्व के रुप में इस दिन जश्न मनाते है। अन्नकूट मनाने के महत्व के रुप में लोग बडी मात्रा में भोजन की सजावट(कृष्ण द्वारा गोवर्धन पहाड़ी उठाने प्रतीक के रुप में) करते है और पूजा करते है।यह दिन कुछ स्थानों पर दानव राजा बाली पर भगवान विष्णु (वामन) की जीत मनाने के लिये भी बाली-प्रतिप्रदा या बाली पद्धमी के रूप में मनाया जाता है।
इस पर्व का प्रकृति और मानव के साथ सीधा सम्बन्ध है क्योंकि हिन्दू धर्म के शास्त्रों में बताया गया है कि जैसे नदियों में गंगा सबसे पवित्र नदी मानी जाती है, उसी प्रकार से सभी प्रकार के पशुओं में गाय को सबसे पवित्र पशु माना जाता है और इसीलिए इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है और माना जाता है कि जिस प्रकार से देवी लक्ष्मी, सुख और समृद्धि प्रदान करके घर, व्यवसाय को सम्पन्न कर देती हैं, उसी प्रकार से गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है। इसलिए हिन्दू धर्म में गाय को भी देवी लक्ष्मी के समान माना जाता है।