रक्सौल।( vor desk )।पूर्वी चंपारण जनता दल यू के जिलाध्यक्ष भुवन पटेल बागी तेवर में हैं।उनकी नाराजगी है कि एनडीए में उनकी नही चल रही।पहले तो पार्टी को जिले में 2 सीटों पर सिमटा दिया गया।अब अपने गृह क्षेत्र यानी रक्सौल सीट को भाजपा के खाते में डाल दिया गया।जबकि, वे इसके लिए खुल कर मांग कर रहे थे।क्योंकि,वे खुद इस सीट से दावेदार थे।लेकिन,हुआ इसके उलट।यह सीट तो बीजेपी के झोली में चली ही गई,वहीं,इस सीट से उम्मीदवार बनाने के लिए रातों रात जनता दल यू के ही पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद सिन्हा को शामिल करा दिया गया।और उन्हें टिकट देने की चर्चा छन कर सामने आने लगी,तो,सब्र टूटने लगा।उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के साथ शिर्ष नेतृत्व से भी दो टूक बात करने की ठान ली है।वे इस हालत के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 संजय जायसवाल को कठघडे में खड़ा करते हुए आरोपों उछालने में पीछे नही हैं।बता दे कि डॉ0 संजय पश्चिम चम्पारण के सांसद भी हैं।
वैसे,तो,श्री पटेल कोई ढाई दशक से राजनीति व पार्टी में सक्रिय रहे हैं।लेकिन,इस बार वे अपनी राजनीतिक पारी खेलने के मूड में थे।इसलिए खुल कर सीएम नीतीश कुमार से मांग किया कि रक्सौल सीट जनता दल यू को मिले।इस क्रम में पंचायत से जिला कमिटी तक की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से यह मांग की थी। लेकिन,जिले के 12 विधान सभा में से केवल दो सीट मिले, जिसमे नरकटिया व केसरिया शामिल हैं।इससे वे भड़क गए हैं।
उनका कहना है कि काफी मेहनत कर यहां पार्टी को मजबूत किया है।वर्ष 2010 में छह सीट पर पार्टी चुनाव लड़ी और पांच सीट जीती।इस बार पार्टी को छह सीट मिलनी चाहिए थी।लेकिन,पार्टी भाजपा के दवाब में आ गई।पार्टी सूत्रों का यह मानना रहा है कि ऐसी स्थिति में भाजपा से अलग हो कर अकेले लड़ जाना चाहिए।जब पार्टी और कार्यकर्ताओं के मान सम्मान को ठेस पहुंचता हो।
श्री पटेल एक और कारणों से नाराज है कि उनकी पटेल यानी कुर्मी जाती की उपेक्षा हुई है।लव कुश समीकरण की चर्चा करते हुए कहते हैं कि इसी लव कुश समीकरण को भाजपा रक्सौल में दरकाने की कोशिश भी कर रही है।लेकिन,पार्टी नेतृत्व मौन है।वे कहते हैं कि वैसे समीकरण के लोगों को टिकट दे कर भाजपा पार्टी को तोड़ने व कमजोर करने की कोशिश कर रही है।उनका मानना है कि ऐसा साजिश के तहत हुआ है।इसमे उनकी उम्मीदवारी को प्रभावित करने का षड्यन्त्र भी है।यह तय था कि सीट जनता दल यू को जाएगी।वे कहते हैं कि ऐसा होता रहा ,तो,कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा।कोई पार्टी के लिए निष्ठा से काम नही करेगा।
*निर्दलीय चुनाव लड़ने के सँकेत:
यहां यह बवेला तब शुरू हुआ,जब,आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए रक्सौल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक डॉ 0 अजय सिंह का टिकट काटे जाने की चर्चा जोरों पर शुुुुरु हुुुई ।तो,जनता दल यू के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिन्हा ने अचानक भाजपा जॉइन कर लिया,जिससे अटकलें तेज हैं।जिसको ले कर पांच टर्म विधायक रहे डॉ0 अजय कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर असंतुष्टि जाहिर की है।और कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलना चाहिये।उन्होंने आरोप भी लगाया कि उनसे पूछा तक नही गया।पूछना चाहिए था।
इसी बीच,सत्तारूढ़ जनता दल यू के जिलाध्यक्ष भुवन पटेल ने मोर्चा खोल दिया है।बगावती तेवर साफ दिख रहे हैं।
श्री पटेल इसके लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 संजय जायसवाल को कठघडे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि वे पैसे ले कर टिकट बेच रहे हैं।
उनके मुताबिक,भाजपा और जनता दल यू दोनो दलों में असंतुष्टि है।कार्यकर्ता नाराज हैं।
उन्होंने कहा कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।पार्टी टिकट दे न दे ,इससे फर्क नही पड़ता।
उन्होंने कहा है कि कार्यकर्ताओं का प्यार व समर्थन उनके साथ है।उनके मान सम्मान के लिए जो भी लड़ाई लड़नी होगी,लड़ूंगा।
*वफादारी पर महत्वाकांक्षा भारी:
एक ओर श्री पटेल यह दावा करते हैं कि वे पार्टी के वफादार सिपाही हैं।वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।फिर, एनडीए को समर्थन दे कर नितीश कुमार को सीएम बनाएंगे।लेकिन,दूसरी ओर उनका निर्दलीय चुनाव लड़ने के एलान को पार्टी का एक धड़ा सवाल उठा रहा है कि चुनाव व अस्तित्व की लड़ाई के वक़्त पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ना ठीक नही है।क्योंकि,इससे पार्टी का नुकसान होगा।
सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि वे जिलाध्यक्ष हैं।इसका रुतबा है।वहीं,जिलाध्यक्ष होने की वजह से जिला अनुश्रवण समिति के भी अध्यक्ष हैं।जिसका लाभ भी उन्हें मिलता है।ऐसे में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर उठ को सोचना चाहिए।
लेकिन,चर्चा और अंदरखाने की खबरों पर विश्वास करें ,तो,पूर्वी चंपारण के कई सीटों पर जनता दल यू के नेताओं निर्दलीय उम्मीदवारी सामने आ रही है।जिसे पार्टी नेतृत्व का ‘आशीर्वाद’ भी माना जा रहा है।ऐसे में कयासों के बाजार गर्म हैं,क्योंकि, सूबे के सियासत में लोजपा द्वारा जनता दल यू के सीट पर उम्मीदवारी के बाद शह-मात के खेल जारी है।
हालांकि,श्री पटेल कहते हैं कि वे पटना जा रहे हैं।शिर्ष नेतृत्व के सामने अपनी बात रखेंगे।उसके बाद निर्दलीय लड़ने के बारे में कोई भी एलान करेंगे।जबकी,वे लगातार क्षेत्र के दौरे पर भी हैं।इससे अटकलें तेज है।
फिलहाल, निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत के बाद सबो की नजरें उन पर टिकी हुई है।लेकिन,यह भी सच है कि यदि श्री पटेल चुनाव लड़ते हैं,तो,यहां एनडीए को नुकसान होना तय है।