रक्सौल।(vor desk )।महागठबन्धन की बनती बिगड़ती तस्वीर के बीच कांग्रेस नेताओ की दौड़ पटना -दिल्ली तक जारी है।यह दावा किया जा रहा है कि रक्सौल विधान सभा सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है।हालांकि,पूरी स्थिति साफ नही है।लेकिन,जब से कांग्रेस ने दावा किया कि जिस विधान सभा मे नगर परिषद सीट है और उसमें राजद पराजित हुआ है।वह सीट कांग्रेस को दी जाए।बात यही तक नही है।हालिया परिदृश्य में महागठबन्धन में जम कर खिंच तान जारी है।कांग्रेस 70 सीट पर दावेदारी कर रही है।जिसमे रक्सौल की लिस्ट भी शामिल है।इस बीच यह भी सूचना तैर रही है कि यदि गठबन्धन में बात नही बनी,तो,नजारा बदल जायेगा।अंदरखाने की सूचना बता रही है कि कांग्रेस ने 243उम्मीदवारो की सूची तैयार कर ली है।ऐसे में कांग्रेस नेताओं में उत्साह है और वे इस उम्मीद में है कि रक्सौल से उन्हें किस्मत आजमाने का मौका मिल सकता है।इसलिए उनकी भाग दौड़ तेज हो गई है।
इसको ले कर कांग्रेस नेता व पूर्व विधानसभा प्रत्याशी राम बाबू यादव पटना -दिल्ली का चक्कर लगा रहे हैं।वे इस आसार को ले कर काफी आशान्वित हैं।वे कहते हैं कि ऐसा होने से कांग्रेस बिहार में मजबूती से लौटेगी।उन्होंने वर्ष 2010 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था।हालांकि,निकट प्रतिद्वंदी पूर्व विधायक सह लोजपा प्रत्याशी राज नन्दन राय थे।जबकि, तीसरे नम्बर पर रामबाबू यादव थे।जिन्हें 9661 वोट मिले थे।वे इस होड़ में है कि कांग्रेस को सीट गई,तो,उन्हें मौका मिलेगा।
वहीं,पुराने कांग्रेसी स्व0 ग्रीन किशोर प्रसाद की पुत्र वधु लवली देवी ने अपनी एंट्री से परिदृश्य को रोचक बना दिया है। टिकट के रेस में वे मजबूती से शामिल हैं।उनकी भी भाग दौड़ पटना-दिल्ली तक है।उन्होंने भी शिर्ष नेताओं से मुलाकात की है।उनका कहना है कि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है।यहां नए चेहरे की दरकार है।जो,पुराने समीकरण से अलग हो।वे कहती हैं वैश्य बर्ग से टिकट मिला,तो,यहां जीत सुनिश्चित हो सकती है।महिला उम्मीदवार होने और उनके देवरानी रोहिणी साह के नगर परिषद उप सभापति होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है।
इसी तरह युवा कांग्रेस के प्रदेश महा सचिव अखिलेश दयाल भी सक्रिय हैं और टिकट के दावेदारी में जुटे दिख रहे हैं।वे भी लम्बे अर्से से यहां सक्रिय हैं और गोपालगंज के प्रभारी भी हैं।उनका कहना है कि युवा चेहरा को मौका मिलना चाहिए।पिछड़े वर्ग से आने वाले अखिलेश की संगठन में अलग छवि है।लिहाजा उनकी दौड़ धूप भी तेज है।
उसी तरह ,जनता दल यू से कांग्रेस में आये डॉ0 गौतम कुमार कुमार भी वैश्य वर्ग से हैं।उन्होंने पिछली बार निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था।पेशे से डॉक्टर गौतम कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव हैं। उनका दावा है कि यदि उन्हें टिकट मिला,तो,उन्हें क्षेत्र में समर्थन मिलेगा।
वैसे पीछे मुड़ कर देखे तो 1951 से 1990 तक 1967 में विजयी रहे सोसलिस्ट पार्टी के विन्ध्याचल सिंह को छोड़ दें,तो,लगातार कांग्रेस का यहां कब्जा रहा।वर्ष 1990 में राजनन्दन राय ने पूर्व मंत्री सगीर अहमद को पराजित किया।जनता दल का 2000 तक कब्जा रहा।लेकिन,भाजपा के डॉ0 अजय सिंह ने उन्हें पराजित किया,तब से अब तक यहां भाजपा का कब्जा है।
लेकिन,2000 में डॉ अजय के निकट प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के सगीर अहमद ही थे।वर्ष 2005 में भी राजनन्दन राय के बाद सगीर अहमद तीसरे नम्बर पर थे।जबकि,2010 में राजनन्दन राय के बाद तीसरे नम्बर पर कांग्रेस के राम बाबू यादव थे।हालांकि,2015 में महागठबन्धन की ओर से राजद नेता सुरेश यादव ने कड़ी टक्कर दी।तब जनता दल यू,राजद और कांग्रेस साथ थी।
फिलहाल,कांग्रेस अपने इस परम्परागत सीट पर दावे कर रही है,तो,यहां कार्यकर्ताओं में भी हर्ष दिख रहा है।प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष ब्रज भूषण पांडे कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व का निर्णय सर्वोपरि है,लेकिन,खुद के बुते कांग्रेस चुनाव में उतरती है,तो,यह स्वागत योग्य होगा।क्योंकि,2015 का चुनाव परिणाम राज्य स्तर पर पार्टी के पक्ष में रहा है।
राजनीति पर नजर रखने वाले नुरुल्लाह खान भी मानते हैं कि कांग्रेस बिहार में तीसरा विकल्प दे सकती है,जो,बिहार की राजनीति की जरूरत है।
जबकि,राजद के पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव फखरुद्दीन आलम का कहना है कि महागठबंधन कायम रहेगा।एकजुटता से ही सफलता मिलेगी।
फिलवक्त ,सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस के दिग्गज रक्सौल सीट को लेने पर अड़े हैं।यदि गठबन्धन टूटता है,तो,निश्चय ही रक्सौल में कांग्रेस त्रिकोण बना सकती है।जिससे लड़ाई रोचक हो जाएगी।