रक्सौल।( vor desk )।कल इरफ़ान ख़ान और आज ऋषि कपूर, फ़िल्म इंडस्ट्री ने दो दिन में अपने दो सितारे खो दिए और हमने दो अच्छे अदाकार, कलाकार।
उनके निधन से उनके फैन्स मर्माहत हैं।और शोक जता रहे हैं।
रक्सौल के बाल कलाकार ऋषव ने भी फिल्मी धुन के माध्यम श्रद्धांजली दी है।फ़िल्म चांदनी में उनकी ये गीत तेरे मेरे होंटो पे मिठी मिठी गीत मितवा,, संगीत प्रेमियों को उनकी याद हमेशा दिलाती रहेगी।ऋषव ने इसी धुन के साथ उन्हें याद किया है।
जाने-माने अभिनेता ऋषि कपूर का मुम्बई के एक अस्पताल में आज, गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 67 वर्ष के थे। ऋषि 2018 से ल्यूकेमिया (रक्त का कैंसर) से जंग लड़ रहे थे।
कपूर खानदान की तीसरी पीढ़ी के मशहूर शख्स ऋषि के परिवार में पत्नी नीतू कपूर, बेटा रणबीर कपूर और बेटी रिद्धिमा कपूर हैं।
तबीयत बिगड़ने के बाद बुधवार को उन्हें एच. एन. रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
फ़िल्म ‘डी-डे’ के उनके सह-कलाकार इरफ़ान ख़ान के निधन के एक दिन बाद ही उनके निधन की खबर आई। इरफ़ान का भी कल, बुधवार को मुम्बई के एक अस्पताल में निधन हो गया था, उन्हें भी कैंसर था।
करीब तीन महीने पहले ऋषि की बहन रितू नंदा का भी कैंसर के कारण निधन हो गया था।
परिवार ने ऋषि के निधन के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘‘ दो साल तक ल्यूकेमिया से जंग लड़ने के बाद हमारे प्यारे ऋषि आज सुबह पौने नौ बजे इस दुनिया को अलविदा कह गए। डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मियों का कहना है कि उन्होंने आखिरी सांस तक जंग जारी रखी।’’
ऋषि के भाई रणधीर ने कहा, ‘‘ दो महाद्वीपों में दो साल तक इलाज के दौरान वह जीने के लिए दृढ़ और लगातार खुश रहे। उनका ध्यान हमेशा परिवार, दोस्त, भोजन और फिल्मों पर केन्द्रित रहा और इस दौरान जो भी उनसे मिला वह हैरान रहा कि कैसे इस बीमारी को उन्होंने खुद पर हावी नहीं होने दिया।’’
अमेरिका में करीब एक साल तक कैंसर का इलाज कराने के बाद वह पिछले साल सितम्बर में भारत लौटे थे।
फरवरी में भी तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पहली बार दिल्ली में एक पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने गए ऋषि को संक्रमण के कारण वहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद मुम्बई लौटने के बाद उन्हें बुखार होने के बाद अस्पताल मे भर्ती कराया गया।
ऋषि ने अपने पिता राज कपूर की फ़िल्म ‘श्री 420’ से बतौर बाल कलाकर बड़े पर्दे पर अपनी फिल्मी पारी का आगाज़ किया था। इसके बाद वह फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में भी नज़र आए। बतौर मुख्य अभिनेता 1973 में आई ‘बॉबी’ उनकी पहली फ़िल्म थी, जो एक बड़ी हिट थी। इसके बाद करीब तीन दशक तक उन्होंने कई रोमांटिक फिल्में की।
‘लैला मजनू’, ‘रफू चक्कर’, ‘क़र्ज़’, ‘चांदनी’, ‘हिना’, ‘सागर’ जैसी कई फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया।
अभिनेता के तौर पर अपनी दूसरी पारी को लेकर वह काफी संतुष्ट थे। इस दौरान वह अपनी पत्नी के साथ ‘दो दूनी चार’ में नजर आए। वहीं ‘अग्निपथ’, ‘कपूर एंडा सन्स’, ‘102 नॉट आउट’ में अभिनय से उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया कि बतौर कलाकार अभी वह सिनेमा जगत को और कितना योगदान दे सकते हैं।