Thursday, May 9

बॉर्डर सील होने के बावजूद काठमांडू से रक्सौल पहुँचे दस भारतीय,सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल!

  • काठमांडू से पैदल चल कर सीमा पार कर दस लोग पहुँचे रक्सौल,कहा-“नही आते,तो,नेपाल में भूख से मर जाते !”
  • नेपाल में भारतीय दुतावास द्वारा भारतीय नागरिकों के लिए शिविर खोलने की उठ रही मांग,भारतीय नागरिक है परेशान
  • भारतीय सीमा में ग्राम पंचायत स्तर पर निगरानी समिति बनाने और नेपाल से आने वालों को क्वरेंटाइन की जरूरत

रक्सौल।(vor desk )।कोरोना वायरस रोक थाम के लिए लॉक डाउन के बीच पिछले 24 मार्च से इंडो -नेपाल बॉर्डर सील किया गया है।बावजूद ,खुली सीमा से ग्रामीण क्षेत्रों के खेतों व पगडंडियों के रास्ते लोगों की आवाजाही जारी है।इसी क्रम में रक्सौल इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के बाइपास रोड में दस युवकों को नियंत्रण में लिया गया।सभी युवक काठमांडू से पैदल चल कर रक्सौल पहुँचे थे।लॉक डाउन व बॉर्डर सील होने के बावजूद एक साथ दस लोगों के पकड़े जाने से सुरक्षा चौकसी पर सवाल खड़े हो गए।और सुरक्षा निकाय में हड़कम्प मचा रहा कि आखिर ये कैसे घुस गए।

जबकि,इंडो -नेपाल बॉर्डर पर अलर्ट जारी है।यह अलर्ट एसएसबी के 47 वीं बतालियन कमांडेंट प्रियवर्त शर्मा की सूचना के आधार पर जारी किया गया है।जिसमे नेपाल के रास्ते 40-50 कोरोना संक्रमितों के घुसपैठ की साजिश की आशंका जताई गई है।इसको ले कर शनिवार को पूर्वी चम्पारण के एसपी नवीन चन्द्र झा ने रक्सौल बॉर्डर का स्थलगत निरीक्षण किया और बॉर्डर पर पुलिस बल को अलर्ट करते हुए किसी भी नागरिक की आवाजाही नही होने देने के निर्देश दिए।उधर,बीरगंज में तीन भारतीय मुस्लिम धर्म गुरु में कोरोना पीजिटिव की पुष्टि नेपाल सरकार द्वारा किये जाने के बाद सीमा पर हड़कम्प है।सुरक्षा तेज है।

मजे की बात यह है कि इन हालातों को ले कर एसएसबी व नेपाल आर्म्ड पुलिस की जॉइंट पेट्रोलिंग जारी है।पुलिस भी मुस्तैद है।बावजूद इनका रक्सौल के बाइपास में पहुच जाना सुरक्षा स्थिति की पोल खोल रही है।इस बीच vor team से बात चीत में हरैया ओपी के सब इंस्पेक्टर कारू मूर्मू ने बताया कि हरैया थाना क्षेत्र के चिकनी पोखरा के पास बाइपास रोड से इनको पकड़ा गया।वहीं,एसएसबी इंस्पेक्टर अमर यादव ने दावा किया कि इनको एसएसबी ने नियंत्रण में लिया।जबकि,रक्सौल -बीरगंज सीमा के मैत्री पूल पर तैनात सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार ने कहा कि मुख्य सीमा से नागरिक आवाजाही बिल्कुल बन्द है।वो किस रास्ते से गए,हमे नही पता!

इस बाबत बताया गया कि आईसीपी से एक इमिग्रेशन अधिकारी वापस लौट रहे थे।तभी उन्होंने उन युवकों को एक झाड़ी में छुपते देखा और रोक कर पुलिस को खबर की।एंटी क्राइम ऑर्गेनाइजेशन के सदाम ने बताया कि ये अलग अलग ग्रुप बना कर यहां पहुचे थे।पहले तीन लोगों को नियंत्रण में लिया गया।तब पता लगा कि ये दस हैं ।बताते है कि सूचना के बाद हरैया पुलिस पहुँची।एसएसबी के जवान भी पहुंचे ।इन्हें हरैया ओपी लाया गया।जहां से उच्चाधिकारियो के आदेश से पूछ ताछ के बाद उन्हें रक्सौल के मुख्य पथ स्थित हजारीमल हाई स्कूल में बने कोरोना आपदा राहत केंद्र लाया गया।जहाँ डॉ0 मुराद आलम व अन्य ने स्क्रिनिंग व स्वास्थ्य जांच की।फिलहाल सभी को क्वरेंटाइन कर दिया गया है।

आखिर कहां जाएं?क्या करें:भारतीय युवकों के दर्द सुन कर छलके आंसू,

महत्वपूर्ण यह है कि बिहार के गृह सचिव अमीर सुबहानी व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने एसएसबी की सूचना पर एलर्ट करते हुए स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि बॉर्डर सील है।ऐसे में कोई आवाजाही नही होगी।लेकिन,आवाजाही रुक नही रही।

बॉर्डर पर भूख भारी:इंडो नेपाल बॉर्डर के सील होने के बाद दोनों ओर यह समस्या है कि भूख से मर रहे लोग कहाँ जाएं?घर की चिंता सता रही है सो अलग!पिछले माह नेपाल से दो हजार से ज्यादा भारतीय मजदूर व कामगार बॉर्डर पर पहुंच गए।नेपाली प्रशासन ने उन्हें पास दे कर बस-ट्रक से बॉर्डर भेज दिया।इसको ले कर बॉर्डर का बैरियर गिरा दिया गया।बॉर्डर पर पहुंचे लोगो को डीएम शीर्षत कपिल अशोक व एसपी नवीन चन्द्र झा ने देश को सर्वोच्च प्राथमिकता व नागरिक सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुये’ इंट्री’ देने से मना कर दिया।उधर,नेपाल ने भी नही घुसने दिया।बाद में देर रात तक जान जोखिम में डाल सभी किसी तरह देश पहुच गए।ताजा हालात यह है कि भारतीय सुरक्षा कर्मी किसी को नेपाल नही जाने दे रहे।लेकिन,नेपाली सुरक्षाकर्मी भारतीय लोगों को भारत भेज रहे हैं।जिससे मुश्किलें खड़ी हो रही है।

सीमा पार के लिए लुका छिपी:सीमा सुरक्षा के लाख दावे के बाद भी नेपाल से लोग पहुंच रहे हैं।वे नदी ,गांव ,खेत के रास्ते घुस रहे हैं।नेपाल के प्रदेश दो की सरकार के निर्देश पर जहाँ नेपाली गावँ पँचायत में निगरानी समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू है।तो,बिहार सीमा पर ग्रामीण भी लौट रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।सूत्रों का दावा है कि नेपाली सुरक्षा कर्मी पैसे ले कर उन्हें जाने दे रहे हैं।तो,मोबाइल होने के कारण वहां से पहुंचे नागरिक स्थानीय ग्रामीणों से टोह व मदद भी हासिल कर घुस रहे हैं।लेकिन,स्थानीय नागरिक अपरिचित व शंकास्पद लोगो के विरुद्ध पहरेदार की भूमिका में है।यदि ग्रामीण स्तर पर निगरानी समिति रहती,तो ,निश्चय ही आवाजाही पर नियंत्रण लग पाता।

क्या है स्थिति :दोनों देशों में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है।जिसे और बढ़ाने की चर्चा तेज है।दोनों ओर फंसे हुए लोग परेशान हैं।नेपाल में बुरी स्थिति यह है कि भारतीय नागरिकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है।पुलिस भी उन्हें घर जाने को कह रही है।मकान मालिक,फैक्ट्री सञ्चालक या ठीकेदार से उन्हें मदद नही मिल रही।ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ गई है।

नेपाली सुरक्षाकर्मी व नागरिक ने दिया सहयोग:काठमांडू से पैदल चल कर खेतों के रास्ते सीमा पार कर पहुँचे दस लोगों को नियंत्रण में ले कर जब पूछ ताछ की गई है।इन्होंने बताया कि एक भी सुरक्षा कर्मी बॉर्डर पर नही दिखे।न किसी ने रोका।नेपाली नागरिकों ने बॉर्डर में घुसने का रास्ता बताया।नेपाली सुरक्षाकर्मी भी उन्हें जाने में सहयोग किये।एक ने दावा किया कि वे नेपाली सुरक्षा कर्मी को पैसे दे कर यहां आसानी से पहुंच सके।

बताया गया कि ये सभी काठमांडू में फर्नीचर, पेंटिंग आदि में मजदूरी करने वाले हैं ।उन्होंने बताया कि वे पैदल ही काठमांडू से आये।जब उन्होंने बताया कि वेभुखे प्यासे हैं।तो हरैया ओपी मे उन्हें पानी बिस्किट आदि दिये गए।समूह में शामिल मुजफ्फरपुर के साहेबगंज निवासी जितेंद्र राम, नीरज ,मोहम्मद इरशाद,अनिल,इम्तेयाज ने बताया कि काम बंद होने से भुखमरी की स्थिति थी।क्या करते,नही आते तो भूख से मर जाते।

सीमा के दोनों ओर संकट:बताते हैं कि भारत सरकार व नेपाल सरकार के बीच लॉक डाउन में फंसे एक दूसरे देश के लोगों को सहयोग देने के साथ ही सुरक्षित तरीके से उनके देश व घर भेजने की चर्चा शुरू है।लेकिन,अब तक ठोस कदम नही उठाये जाने से दोनों ओर के नागरिक संकट में हैं।बताते हैं कि एक ओर जहां करीब चार सौ भारतीय लोगों को बीरगंज पुलिस ने पिछले दिनों पकड़ कर एक ही कमरे में बन्द कर दिया।तो हंगामा हुआ।भारतीय महावाणिज्य दुतावास के पहल पर करीब 168 लोगो को क्वरेंटाइन किया गया।तो,दूसरी ओर ,रक्सौल के कोरोना आपदा राहत केंद्र पर करीब 15 नेपाली नागरिक क्वरेंटाइन में हैं।खुद नेपाल के पीएम केपी ओली ने भारत -नेपाल को मिल कर कोरोना को हराने की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि नेपाल के विभिन्न सीमाई क्षेत्र के कैम्प (क्वरेंटाइन सेंटर ) में 700भारतीय नागरिक हैं।वहीं,भारत के सीमाई क्षेत्रो के कैम्प (क्वरेंटाइन सेंटर) में 2147 नेपाली नागरिक हैं।इस बीच मामले की गम्भीरता देखें तो,पिछले दिनों नेपाल के पर्सा जिला के सांसद प्रदीप यादव रक्सौल केंद्र पर नेपाली नागरिकों से मिलने के बाद जब लौटे तो गृह मन्त्रालय ने उन्हें होम क्वरेंटाइन कर दिया ।

इधर,यह सूचना मिलती रही है कि जिले के सीमा से लगातार भारतीय नागरिक पहुंचते रहे हैं।ऐसे में यह ‘हाई रिस्क है।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक,कौन किसके कांटेक्ट में रहा और कहां से आ रहा है।इसकी कोई गारंटी नही।इससे समस्या खड़ी होनी तय है।यदि उनकी स्क्रिनिंग व एड्रेस नोट हो जाये।तो मोनिटरिंग आसान होगी।नही तो ये लॉक डाउन बेकार जाएगा।

पूर्वी चंपारण के सिविल सर्जन डॉ रिजवान अंसारी का कहना है कि लॉक डाउन व बॉर्डर सील किये जाने की गम्भीरता को समझना होगा।कोरोना वायरस का चेन ब्रेक करने की अब तक जो कोशिश हुई,एक झटके में नाकामयाब हो सकती है।खतरा बढ़ सकता है।

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