Wednesday, May 8

पश्चिम चंपारण:भाजपा के डा संजय जायसवाल मैदान में,चुनावी दंगल में कांग्रेस प्रत्याशी को ले कर खींच तान,रक्सौल के डा गौतम की दावेदारी से उलझा मामला!

रक्सौल।(vor desk)।बेतिया संसदीय क्षेत्र 2009के बाद से पश्चिम चंपारण संसदीय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।वर्ष2009 से लागू नए परिसीमन के बाद से यहां भाजपा का लगातार कब्जा है।इस बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है।यानी भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होना है।

भाजपा का अभेद गढ़ माने जाने वाले पश्चिम चंपारण के सांसद डा संजय जायसवाल हैं।कद्दावर संजय भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।उनके कद का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि वैश्य नेता के रूप में स्थापित पूर्व मंत्री स्व ब्रज बिहारी प्रसाद की पत्नी सांसद रमा देवी का टिकट शिवहर से कट गया,जबकि,वो संसद में डिप्टी स्पीकर थीं,लेकिन, हैट्रिक लगा चुके डा संजय चौथी बार मजबूती से मैदान में हैं।वे लगातार चुनावी तैयारी और जन संपर्क में हैं।

यहां अब तक विपक्ष का चेहरा साफ नही हो सका है।करीब35वर्षों के बाद यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है।कांग्रेस पेशे से चिकित्सक और साफ सुथरी छवि वाले डा संजय जायसवाल के खिलाफ प्रत्याशी के चयन में विलम्ब यह बता रही है कि कांग्रेस नेतृत्व फूंक फूंक कर कदम रख रही है और छान बीन कर मैदान में प्रत्याशी उतारेगी।प्रथम चरण के चुनाव के बाद भी प्रत्याशी घोषित नही होने से एक ओर क्षेत्र में कयासों का बाजार गर्म है,वहीं,पैराशूट लैंडिंग के बाद जन संपर्क के लिए कम समय मिलने से चुनौती बढ़ने की संभावना है।हालाकि,इस बार
एक जुट विपक्ष और सियासी समीकरण के कारण टक्कर कांटे की हो सकती है।आमने सामने की लड़ाई में कांग्रेस को अपनी परंपरागत सीट पर जीत दर्ज करा कर दुबारा कब्जा जमाने का अच्छा मौका है।

इस बार यहां कद से ज्यादा ब्राह्मण उम्मीदवार पर फोकस है। आंकड़े पेश किए जा रहे हैं की ब्राह्मण करीब3 लाख हैं।यहां कांग्रेस से ब्राह्मण जीतते रहे हैं।इसी आधार पर कई नाम दावेदारी में हैं।इसमें बेतिया के पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी ,पूर्व सांसद मनोज पांडे के पुत्र शाश्वत केदार पांडे,कांग्रेस के प्रवक्ता अजय उपाध्याय ,कांग्रेस की उपाध्यक्ष सुधा मिश्रा (चनपटिया) के अलावा आर एस पांडे (पूर्व पेट्रोलियम सचिव) और ब्रजेश पांडे के नाम चर्चे में शुमार हैं।इसमें पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी अपने को प्रत्याशी होने का दावा करते हुए चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।जबकि,शाश्वत केदार भी क्षेत्र में लगातार जन संपर्क में हैं।इससे पहले वे वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ कर किस्मत आजमा चुके हैं।वहीं,अजय उपाध्याय युवा,प्रखर वक्ता और शालीन व्यक्तित्व के ऊर्जावान शख्स हैं।

पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी
शाश्वत केदार
अजय उपाध्याय
डा गौतम कुमार

हालाकि,इस सीट पर रक्सौल के युवा चिकित्सक सह कांग्रेस नेता डा० गौतम कुमार ने अति पिछड़े और वैश्य कोटे से दावेदारी प्रस्तुत कर आलाकमान के समक्ष नए सिरे से सोचने की चुनौती खड़ी कर दी है।

डा गौतम का दावा है कि ब्राह्मण से ज्यादा यहां वैश्य हैं।और उसमे भी कानू सबसे ज्यादा हैं।ऐसे में अन्य जातियों के वोट जुड़ने से वैश्य समाज से आने वाले सांसद डा संजय जायसवाल के विजय रथ पर ब्रेक लग सकता है।

डा गौतम लम्बे अर्से के बाद रक्सौल से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है।वर्ष 1991में पूर्व मंत्री सह रक्सौल विधायक सगीर अहमद को पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था। डा संजय पश्चिम चंपारण से कांटे की टक्कर के बीच रक्सौल से ही लीड लेते रहे हैं। रक्सौल में कई जन मुद्दे हैं,जिन पर फेल हुए सांसद डा संजय घिर सकते हैं।

डा गौतम का कहना है कि कांग्रेस को बिहार में कुल 9सीट मिली है।लेकिन,इसमें वैश्य और अति पिछड़े की दावेदारी के लिहाज से कांग्रेस को कम से कम पश्चिम चंपारण से एक सीट ,एक प्रत्याशी के रूप में विचार करना चाहिए।उनका कहना है कि कांग्रेस कमेटी को प्रस्तुत ब्राह्मण जाति के आंकड़े को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है।उसमे भी एक डाक्टर को एक डॉक्टर बेहतर मुकाबला और जनता को बेहतर विकल्प दे सकता है।क्षेत्र के कुल 6विधान सभा में नरकटिया और सुगौली विधान सभा पर राजद का कब्जा है।ऐसे में रक्सौल से उम्मीदवारी नतीजा और नजारा बदल सकता है।

आंकड़े पर गौर करें तो बेतिया संसदीय क्षेत्र से 1962से1971तक कमल नाथ तिवारी और 1980में केदार पांडे(केंद्रीय रेल मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री),मृत्यु परांत उप चुनाव में 1984 में मनोज पांडे सांसद के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।इसके बाद 2004में राजद से पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुनाथ झा सांसद चुने गए।यानी कुल 4बार ब्रह्मण यहां सांसद चुने गए हैं।इस बीच,फजलुर रहमान(1977),पीतांबर सिन्हा(1980) , धर्मेश प्रसाद वर्मा(1989),और फैयाजुल आजम(1991) , डा मदन जायसवाल(1996,1998,1999)ने बारी बारी से प्रतिनिधित्व किया था।

राजनीतिक विश्लेषक नुरुल्लाह खान कहते हैं की पश्चिम चंपारण में ब्राह्मण उम्मीदवार मिलने से सवर्ण वोट जुटेगा।वर्ष2004की स्थिति बनेगी।अति पिछड़े उम्मीदवार को भी टिकट मिलता है,तो,भी कांटे की टक्कर होगी। शर्त है कि प्रत्याशी की छवि अच्छी ,साफ सुथरी हो।

बता दे कि इस सीट पर वर्ष 2004में स्व पंडित रघूनाथ झा जीते थे।उन्होंने तत्कालीन सांसद डा मदन जायसवाल को हराया था। उस वक्त प्रकाश झा और राजन तिवारी भी उम्मीदवार थे।वर्ष 2009में परिसीमन के बाद से भाजपा के डा संजय जायसवाल का कब्जा है।

उन्होंने2009में रघुनाथ झा को हरा कर अपने पिता के हार का बदला लिया था और फिर अपना कब्जा बरकरार रखा।उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी भारत सरकार के पूर्व भारी उद्योग राज्य मंत्री पंडित रघुनाथ झा के साथ ही फिल्म निर्माता प्रकाश झा और कांग्रेस के साधु यादव,रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा को चुनावी मुकाबले में हराया है।

विश्लेषकों के मुताबिक,परिसीमन के बाद बदले जातीय आंकड़े ,हाल ही में हुए जातीय जनगणना और इस सीट पर पूर्व में अन्य जातियों के कई जीत के बाद ब्राह्मण दबदबे वाला क्षेत्र घोषित कर मुकाबले की तैयारी को एक परंपरागत कांग्रेसी प्रयोग माना जा सकता है।कांग्रेस और राजद मुस्लिम ,ब्राह्मण उम्मीदवार पर दाव लगा कर पराजित होती रही है,इससे सबक लेते हुए जाति की जगह बेस्ट पर्सनालीटी ‘और ‘जमीनी ‘उम्मीदवार को उतारने की जरूरत है।हालाकि,मैदान खाली रहने और विपक्षी एक जुटता से यहां कोई भी उम्मीदवार मजबूत चुनौती प्रस्तुत करेगा,इसमें कोई शक नही।युवा कांग्रेस नेता अखिलेश दयाल,कांग्रेस नेत्री लवली शाह ,राजद नेता मुबारक अंसारी ,सुभाष यादव आदि का कहना है कि यहां ‘एंटी कॉम्बेंसी’ का फायदा इंडिया एलायंस को जरूर मिलेगा।

फिलहाल,इस सीट पर निर्दलीय मनीष कश्यप भी मैदान में खम ठोक रहे हैं और चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में हैं।वे संघ बैक ग्राउंड के हैं।उनका नारा ‘जितने के बाद मोदी के साथ ‘ का इफेक्ट वाला साबित हो सकता है।जिस पर भी कांग्रेस की नजर है और भाजपा वोट में सेंधमारी का सीधा फायदा कांग्रेसी उम्मीदवार को मिलने की उम्मीद है।

फिलहाल,दावेदारों के स्क्रीनिंग के बाद दावेदारी और प्रत्याशी चयन को ले कर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी की बैठक रविवार की शाम हुई है। सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फाइल अपने पास रख ली है,जिससे उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वालों की बेचैनी बढ़ गई है।जल्द ही साफ होगा कि पश्चिम चंपारण से कांग्रेस यानी इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा।ब्राह्मण उम्मीदवार,वैश्य उम्मीदवार और महिला उम्मीदवार के दृष्टि से समीक्षा के बाद ही आलाकमान के फैसले की उम्मीद है!फिलहाल,सभी की नजर कांग्रेस प्रत्याशी को ढूंढ रही है और विलम्ब कार्यकर्ताओं को भी परेशान कर रखा है।लेकिन,बिना प्रत्याशी के ही सीट को ले कर चर्चा खूब है।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)

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