Wednesday, May 8

सरिसवा रह गई काली,चैती छठ पर कैसे अर्ध्य देंगे छठ व्रती?लोक सभा चुनाव में मुद्दा बना प्रदूषण मुक्ति, वोटर पूछ रहे सवाल!


रक्सौल।( Vor desk)।चैती छठ पर्व पर भी सरिसवा नदी काली रह गई।रविवार को पर्व पर भी नेपाल की ओर  से स्वच्छ जल प्रवाहित नही हो सका।इस कारण सीमा क्षेत्र के लोगो की चिंता बढ़ गई है।इन दिनों लोक सभा चुनाव की कैमपेनिंग चल रही है।इसमें सरिसवा नदी की प्रदूषण मुक्ति की मांग बड़ा मुद्दा बना हुआ है,क्योंकि,यह मांग दो दशक से ज्यादा समय से हो रही है,लेकिन,आज तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।यहां केंद्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की घोषणा जनवरी 2024 में हुई,लेकिन,इस दिशा में धरातल पर कोई सुगबुगाहट नही दिख रही है।ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे है कि क्या हुआ तेरा वादा,वो, कसम वो इरादा..,!
बताते चले कि हर बार दो तीन पहले से ही नेपाली फैक्ट्रियों पर कड़ाई होती थी।जिससे कूड़ा,कचरा,रसायन प्रवाहित करने की प्रक्रिया बन्द हो जाती थी।लेकिन,दुर्भाग्य से इस बार ऐसा नही हुआ।जबकि, हर बार की तरह इस बार भी जिला प्रशासन ने महावाणिज्य दूतावास के जरिये नेपाली प्रशासन को पत्र लिख कर छठ के मद्देनजर गंदे जल का प्रवाह रोकने का अनुरोध किया था।कार्तिकी छठ पर यह नदी कुछ दिनों के लिए साफ हुई ,फिर स्थिति यथावत हो गई।नदी में स्वच्छ जल प्रवाहित नही होने से  अब प्रदूषित जल में ही छठ व्रती अर्ध्य देने को बाध्य होंगे।इसको ले कर नगर पार्षद कुंदन सिंह,समेत रणजीत सिंह,पुजारी गणेश झा,ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियो को आड़े हाथों लेते हुए लापरवाही के लिए कड़ी निंदा की है।

रक्सौल :आश्रम रोड छठ घाट पर बना कृत्रिम घाट

बता दे कि नेपाल के परवानीपुर के राम बाण से निकलने वाली  सरिसवा नदी रक्सौल से गुजरते हुए सिकरहना नदी में मिल जाती है।यह नदी काफी प्रदूषित है। डेढ़ दो दशक से इस नदी के प्रदुषण मुक्ति के लिए लगातार आवाज उठती रही है,लेकिन,निदान कोसो दूर दिखता है।सबसे ज्यादा परेशानी छठ व्रतियों को होता है।क्योंकि,सरिसवा नदी किनारे  रक्सौल शहर के 80 प्रतिशत से भी ज्यादा छठ व्रती पूजा करते है। यहां की प्रमुख घाट आश्रम रोड छठिया घाट, भखुवा ब्रम्ह स्थान, कस्टम पुल स्थित घाट, बाबा मठिया नागा रोड, त्रिलोकी मंदिर घाट है। सबसे ज्यादा भीड़ आश्रम रोड छठिया घाट, बाबा मठिया छठ घाट पर होती है। यह सभी घाट सरिसवा नदी के किनारे है। नेपाल के कल कारखानों से निकलने वाले जहरीले पानी से सरिसवा नदी दूषित हो जाती है।नदी तट पर रहने वाले लाखो लोग इससे प्रभावित होते हैं।बदबू से रहना दूभर है।यही नही सैकड़ो लोग कैंसर,लिवर सिरोसिस जैसे  जानलेवा रोग के कारण मौत के आगोश में जा चुके हैं।अनेकों रोगग्रस्त हैं।जब पर्व  आता है रक्सौल की जनता के द्वारा सरिसवा नदी के पानी को स्वच्छ करने की मांग छठ पर्व पर तेज हो जाती है। हर बार इसके लिए प्रशासन पत्र लिखती है,दो चार दिनों के लिए नेपाल से साफ जल प्रवाहित होता है,फिर,वही हाल हो जाता है।सीमा क्षेत्र की जनता नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रही है,ताकि,सरिसवा पूर्व की तरह प्रदूषण मुक्त हो निर्मल बन सके।

*क्या कहती हैं नेपाली सांसद

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की परसा जिला की सांसद वीना जायसवाल ने बताया कि इस सरिसवा नदी की उपेक्षा सालने वाली है।इससे जन जीवन,लोक संस्कृति और आस्था जुड़ी हुई है।इसको प्रदूषण मुक्त करने के लिए नेपाल के संसद में आवाज उठाई गई है।यदि जरूरत  पड़ी तो जन आंदोलन होगा।

क्या कहते हैं आंदोलनकर्ता


सरिसवा नदी बचाओ आंदोलन के महा सचिव मनीष दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा सरिसवा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट  के लिए फंड जारी कर दिया गया है। सांसद डा संजय जायसवाल की पहल पर दो एस टी पी लगाने के लिए 63करोड़ 17लाख रुपए स्वीकृत हो चुका है।टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।चैती छठ पर नेपाल द्वारा काला,बदबूदार और प्रदूषित जल छोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है।

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