Sunday, May 19

गढ़ी माई मन्दिर व मेला का सांस्कृतिक व धार्मिक दृष्टि से पर्यटकीय स्थल के रूप में होगा विकास:राष्ट्रपति भंडारी

पांच वर्ष पर लगने वाले गढ़ी माइ मेला के भव्य शोभा यात्रा व मन्दिर दर्शन कार्यक्रम का उद्घाटन सम्पन्न !


बीरगंज।(vor desk )।विश्व प्रसिद्ध गढ़ी माइ मेला का नेपाल के अर्थतंत्र में अमूल्य योगदान है।गढ़ी माई मेला के संरक्षण व संवर्धन के लिए नेपाल सरकार प्रतिबद्ध है।इसे धार्मिक ,सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पर्यटकीय स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।उक्त बातें नेपाल की राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी ने टेलीफोन से नेपाल के बारा जिला के विश्व प्रसिद्ध गढ़ी माई मेला शोभा यात्रा समारोह सह मन्दिर दर्शन समारोह का उद्घाटन के मौके पर अपने सम्बोधन में कही।इस समारोह का उद्घाटन नवरात्र के प्रथम दिन मन्दिर में कलश स्थापना के अवसर पर हुआ।जिसमे मौसम खराब रहने से राष्ट्रपति का आगमन रद्द हो गया।इसके बाद इस पंचवर्षीय मेला समारोह के शोभा यात्रा समारोह का उद्घाटनमा गढीमाई नगरपालिका के प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत शालिग्राम ढकाल, उच्च अदालत जनकपुर वीरगञ्ज के मुख्य न्यायाधीश दिल्लीराज आचार्य, सांसद रमेशप्रसाद यादव,प्रतिनिधि सभा सदस्य रामबाबु यादव,राम सहाय यादव, गढीमाई ट्रष्ट के अध्यक्ष रामचन्द्र साह ने विधिवत करते हुए गढीमाई के महिमा पर प्रकाश डाला और इस मेला के विकास का संकल्प दुहराया।

शोभा यात्रा:नव रात्र के प्रथम दिन बारा जिला के बरियारपुर स्थित मंदिर परिसर में आयोजित भव्य समारोह के बीच उद्घाटन कार्यक्रम के उपरांत गढीमाई मन्दिर से विशाल कलश यात्रा का आयोजन किया गया।जिसमे गढ़ी माई की झांकी के साथ हाथी,घोड़ा,बैंड बाजा के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु ,जनप्रतिनिधि ,मन्दिर कमिटी सदस्य व गण मान्य लोग शरीक हुए।

पंचवर्षीय मेला :बारा जिला के बरियारपुर स्थित गढ़ी माई मन्दिर में लगने वाला मेला के शोभा यात्रा का विधिवत उद्घाटन हो गया।दर्शन पूजन का क्रम निरन्तर जारी रहेगा।चुकी यह मेला एक माह तक चलता है।जो विशेष पूजा व बलि तक जारी रहता है।इस लिहाज से यह मेला मूलतः नवम्बर से शुरू होगा।गढ़ी माई मन्दिर के पुजारी मंगल चौधरी के मुताबिक,आगामी 3 दिसम्बर को विशेष पूजा अर्चना होगी।उसी दिन स्वतः दीप प्रज्वलन होने के बाद रंगा की बलि दी जाएगी।जबकि,4 दिसम्बर को खसी व कबूतर की बली चढ़ाई जाएगी।

बलि के दृष्टि से विश्व प्रसिद्ध:गढ़ी माई मन्दिर में श्रद्धालु दूर दूर से पहुचते हैं।इस शक्तिपीठ में मन्नत पूरी होने पर बलि चढ़ाते हैं।पांच वर्ष पर लगने वाले मेला में लाखों की संख्या में कबूतर,खस्सी,मुर्गा आदि की बलि चढ़ाते हैं।बलि की दृष्टिकोण से यह मेला एशिया का सबसे बड़ा व प्राचीन मेला है।जिसमे नेपाल व भारत के अलावे दुनियां के विभिन्न देशों से लोग अपनी मन्नत उतारने व दर्शन को पहुचते हैं।बताते है कि विशेष पूजा अर्चना के बाद मंदिर में दीप स्वतः प्रज्वलित होता है।उसके बाद पंचबलि होगी व रंगा की बलि चढ़ाई जाती है।उसके बाद ही आम श्रद्धालु बलि चढ़ाते हैं। हालाकि,सरकारी स्तर पर बलि रोकने व उसकी जगह नारियल व प्रसाद चढ़ाने की अपील की जा रही है।

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