Monday, May 20

विदेश मंत्री एस.जय शंकर लौटे स्वदेश, भारत ने दी नेपाल को 566 करोड़ रुपये की मदद !


काठमांडू।(vor desk )।भारत और नेपाल के बीच संयुक्त सत्र की बैठक में पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के बीच अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।जिसे दोनों देशों के द्वारा ‘सार्थक’ बताया गया। विदेश मंत्री एस.जयशंकर और उनके नेपाली समकक्ष प्रदीप ग्यावली ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की और उनके बीच सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की। इस बैठक के तहत भारत ने नेपाल को कुल 566 करोड़ रुपये की मदद दी है।

भारत ने विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए नेपाल को 233 करोड़ रुपये दिये। इस मदद में 2015 में आए भूकंप में नष्ट हुए घरों का पुनर्निर्माण शामिल है। इसके अलावा नुवाकोट और गोरखा जिले में आवास पुनर्निर्माण के लिए नई दिल्ली ने काठमांडू को 153 करोड़ रुपये का चेक भी सौंपा। जबकि नेपाल के तराई क्षेत्र की सड़क संरचना को मजबूत करने के लिए 80.71 करोड़ का चेक भी सौंपा गया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेपाल पहुंचने के बाद हुई बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्री, सचिव सहित विभिन्न प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। बैठक में नेपाल-भारत संबंध को सार्थक, सुदृढ़ और नेपाल के आर्थिक वृद्धि दर में सहयोग पहुंचाने के विषय पर गहन विचार विमर्श हुआ। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि तीन वर्ष के बाद हो रही इस बैठक में द्विपक्षीय संबंध के अलावा भारत सीमा सुरक्षा, आतंकवाद, नकली नोट, बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद भारतीय पक्ष का यह पहला उच्चस्तरीय नेपाल दौरा है। कश्मीर के घटनाक्रम को देखते हुए जयशंकर को उच्च सुरक्षा प्रदान की गई थी। जयशंकर अपने दो दिवसीय नेपाल दौरे में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी व पीएम केपी ओली सहित अन्य उच्चाधिकारियों से भी मुलाकात की।मधेशी नेताओं ने भी भेंट की।
बता दे कि भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की स्थापना जून 1987 में हुई थी। इसकी बैठकें नेपाल और भारत में बारी-बारी से आयोजित की जाती हैं। आयोग की अंतिम बैठक अक्टूबर 2016 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
गौतलब है कि इसी साल मई में विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर का यह नेपाल का पहला दौरा है।इससे पहले वह बतौर विदेश सचिव नेपाल के दौरे पर गए थे।वह 2015 में नेपाल के संविधान की घोषणा के मौके पर भी यहां आए थे।

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