रक्सौल।(vor desk )।कोरोना काल मे लॉक डाउन के कारण राखी का व्यापार फीका रहा।जिला प्रशासन द्वारा राखी पर 2 व 3अगस्त को बाजार खोलने की अनुमति दी गई।लेकिन,इसकी तैयारी दुकानदारों ने नही की थी।अचानक आदेश मिलने से दुकान खुले और ग्राहक भी दिखे।लेकिन,उत्साह की जगह खानापूर्ति दिखी।क्योंकि,आने जाने की सुविधा नही होने व समय नही रहने से मायूसी रही।
बताया गया कि बाजार पिछले साल राखी का 80 लाख का व्यापार राखी पर्व पर हुआ था। अबकी बार लॉकडाउन के कारण 80 लाख का 15 परसेंट भी सेल नहीं हुआ। बचे हुए राखी को ही व्यापारी 2 दिन के लॉक डाउन में व्यापार करने में मजबूर दिखे।इसलिए उनकी निराश भी साफ दिखी।उनका दर्द था कि पहले से नही पता था कि दुकाने खुलेंगी या नही।इस बार लॉक डाउन ने कमर तोड़ रखी है।डवांडोल आर्थिक स्थिति के बीच सस्ते दामों की ही राखियों की डिमांड रही।जबकि, बॉर्डर बंद होने के कारण इसका सीधा असर व्यापार व रिश्तेदारी पर दिखी।
राखी का व्यापार करने वाले उमेश सिकरिया, कन्हैया कुमार ,खेदन प्रसाद उमाशंकर कुमार गुप्ता ने कहा कि यदि मालूम होता कि दो दिनों की छूट मिलेगी तो आगे व्यापार के बारे में तैयारी की जाती।लेकिन,एक दिन पहले सूचना से न ग्राहक पहुंचे।न हम तैयार थे।इस कारण व्यापार नही के बराबर था।उनका कहना था कि आखिर दो दिनों में हम क्या बेच लेंगे?बस पुराना माल जो फंसा था,उसे निकालने की कोशिश की गई।इसलिए बाजार से लेटेस्ट राखी नही मिली।
वहीं,आराध्या कुमारी, पूजा, सूरज कुमार आदि ने बताया कि राखी का पुराना कलेक्शन दिखा।हम राखी घर मे ही मना रहे हैं।इसलिए इसका असर तो दिखेगा ही।( रिपोर्ट:राजेश केशरीवाल )