- लॉक डाउन के उल्लंघन पर हो सकती है कारवाई, घरों में की गई है छठ पूजा की तैयारी!
रक्सौल।( Vor desk)। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व के आज दूसरे दिन खरना का पर्व मनाया गया है।चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन खरना पर्व मनाया गया। इस अवसर पर व्रतियों ने खरना का प्रसाद का भोग लगाया तथा पूजा अर्चना की ।
लोक आस्था और सूर्य उपासना का महा पर्व चैती छठ छोटी छठ है, फिर भी पूरी आस्था और शुद्धता के साथ यह त्योहार बड़े छठ की तरह जो कार्तिक मास में मनाया जाता है। बिल्कुल उसी आस्था की तरह यह पर्व भी श्रद्धा और शुद्धता के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन,इस बार यह पारंपरिक पर्व छठ घाटों पर नही मनेगा।नदी में अर्ध्य नही दिए जाएंगे।इसीलिए घर घर मे छत पर या फिर आवासीय परिसर में इस पर्व को मनाने की तैयारी है।इसके लिए कई घरों में अर्ध्य के लिए गढ्ढे खोदे गए हैं।यानी कृत्रिम तलाब नुमा व्यवस्था की गई है।जिसमे वर्ती अर्ध्य देँगे।
बता दे कि कोरोना वायरस संक्रमण रोक थाम को ले कर देश मे 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है। घरों से निकलने पर रोक है।इसको ले कर रक्सौल प्रशासन ने भी माइकिंग कर अपील की है कि घरों में ही छठ पर्व मनाएं। बताया गया है कि प्रशासन ने सार्वजनिक व सामूहिक पूजा पर रोक लगा रखी है।एसडीओ अमित कुमार का कहना है कि लॉक डाउन के अवेहलना पर कार्रवाई हो सकती है। इधर,नगर पार्षद रवि गुप्ता व कुंदन सिंह ने भी घूम घूम कर श्रद्धालुओ से अपील की कि वे घाट या सूर्य मंदिर में छठ पर्व करने के बजाय घर मे ही पूजा करें। इधर,स्थानीय रीना देवी व चंचल सिंह ने बताया कि यह पर्व घाट पर ही होता आया है।लाइफ में पहली बार छठ घर पर होते देख रहे हैं।
शास्त्र के मुताबिक,भगवान सूर्य देव की आराधना करने से वृत्ति को सुख सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है इस पर्व का आयोजन का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी किया गया है, माता सीता ने राम भगवान के कल्याण के लिए चैती छठ का व्रत किया था, चैती छठ का प्रसाद खाने से बच्चों की उन्नति होती है तथा मान- सम्मान बढ़ता है।