Saturday, November 23

भगवान श्री राम के ससुराल जनकपुर में भी अयोध्या राम मंदिर फैसले पर नजर,उत्साह!


नेपाल के जनकपुर धाम में उमड़ रहे श्रद्धालु,विवाह पंचमी पर इस बार भव्य समारोह की तैयारी!

जनकपुर।(नेपाल)।(vor desk )।नेपाल का जनकपुर इन दिनों श्रद्धालुओ के आस्था का केंद्र बना हुआ है।इस बार जब पीएम नरेंद्र मोदी जनकपुर पहुचे तो यह मन्दिर ‘रामायण सर्किट ‘से जुड़ गया।इसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ। लेकिन,इन दिनों जनकपुर में कुछ ज्यादा ही उत्साह है। पूजन-अर्चन की होड़ है।राम मंदिर निर्माण के उम्मीदों को ले कर जनकपुर भी आशान्वित व उत्साहित है।श्रद्धालु व आमजन चाहते हैं कि जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण हो ।इसके साथ ही वहां आगामी विवाह पंचमी ,जो ,21 दिसम्बर 2019 में आएगा।की तैयारी की शुरुवात अभी से शुरू है।पूरे जनकपुर को केसरिया रंग में रंगा जा रहा है।माना जा रहा है कि इस बार का राम बारात और विवाह कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा।

जनकपुर धाम मन्दिर के प्रभारी महन्थ रौशन दास कहते हैं कि-‘आखिर खुशी कैसे नही होगी!अयोध्या में यदि राम मंदिर बनता है तो जितनी खुशी अयोध्या को होगी,उतनी ही जनकपुर को।यह तो भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए खुशी की बात होगी।दुनियां के सम्पूर्ण हिंदुओं के लिए यह गर्व की बात होगी।

वे कहते हैं कि हमे पूरा विश्वास है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगी।राम लला की जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण का रास्ता खुलेगा।भव्य व अद्वितीय राम मंदिर का निर्माण अवश्य होगा।यह जनकपुर के लिए उत्सव का दिन होगा।

वे कहते हैं कि राम तो जनकपुर के दामाद हैं।हमे दुःख है कि वे इतने दिनों से टेंट में रह रहे हैं।हमे उम्मीद है कि अब श्री राम को अपना घर मिल सकेगा।वे कहते हैं कि सीता तो जनकपुर की बेटी और बहन है।वे राज महल में पली बढ़ी हैं।इसलिए उनके दुःख से हमे दुःख तो होगा। हमारा अयोध्या से लगाव भी स्वाभाविक है।इसीलिए हम भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट और भारतवासियों से अपील करेंगे कि यह फैसला जल्द हो।शीघ्र राम मंदिर बने।

मन्दिर सूत्र बताते हैं कि अयोध्या मसले पर जनकपुर की नजर बनी हुई है।उत्सव की तैयारियां भी है।जनकपुर के मेयर किशोरी साह भी स्वीकारते हैं कि राजकीय अतिथितियों को आमंत्रण दिया गया है।जोर शोर से तैयारी शुरू है।

हो भी क्यों नही,आखिर यह जनकनन्दिनी सीता का मायके जो है।यही कारण है कि मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद इस बार के विवाह पंचमी को उत्सवी व यादगार बनाने की तैयारी चल रही है।नेपाल मे दिसम्बर में ही बारा जिला के बरियारपुर में गढ़ी माँई मेला भी लगने वाला है।ऐसे में नेपाल इस बार ‘तीर्थ’ के साथ ‘उत्सवी’ रूप में दिख सकता है।आस्था का जन सैलाब राम बारात व विवाह पंचमी पर दिखे तो आश्चर्य नही होगा।क्योंकि,अयोध्या से राम बारात हरेक पांच वर्षों पर जनकपुर पहुचती है।इसलिए यह मौका भी ऐतिहासिक होगा।

@जानकी मंदिर का इतिहास:
यह हिंदू मंदिर नेपाल के जनकपुर के केंद्र में स्थित है। राजा जनक के नाम पर शहर का नाम जनकपुर रखा गया था।

राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें जानकी भी कहते हैं, उनके नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ था। यह नगरी मिथिला की राजधानी थी।
भगवान श्रीराम से विवाह के पहले सीता ने ज़्यादातर समय यहीं व्यतीत किया था।

जानकी मंदिर साल 1911 में बनकर तैयार हुआ था। क़रीब 4860 वर्ग फ़ीट में फैले इस मंदिर का निर्माण टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु ने करवाया था।

जनकपुर के स्थानीय पत्रकार बृज कुमार यादव के मुताबिक इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक कहानी है।उन्होंने बताया कि ‘पहले यहां जंगल हुआ करता था, जहां शुरकिशोर दास तपस्या-साधन करने पहुंचे थे।

यहां रहने के दौरान उन्हें माता सीता की एक मूर्ति मिली थी, जो सोने की थी. उन्होंने ही इसे वहां स्थापित किया था।’

महारानी कुमारी वृषभानु ने कराया था निर्माण
टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु एक बार वहां गई थीं।उन्हें कोई संतान नहीं थी।

वहां पूजा के दौरान उन्होंने यह मन्नत मांगी थी कि अगर भविष्य में उन्हें कोई संतान होती है तो वो वहां मंदिर बनवाएंगी।

संतान की प्राप्ति के बाद वो वहां लौटीं और साल 1895 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और 16 साल में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ।

ऐसा कहा जाता है कि उस समय इसके निर्माण पर कुल नौ लाख रुपए खर्च हुए थे, इसलिए इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहते हैं।

@राम सीता नाम धुन :
बृज कुमार यादव ने बताया कि मंदिर में 12 महीने अखंड कीर्तन चलता रहता है। 24 घंटे सीता-राम नाम का जाप यहां लोग करते हैं. साल 1967 से लगातार यहां अखंड कीर्तन चल रहा है।

वर्तमान में राम तपेश्वर दास वैष्णव इस मंदिर के महंत हैं। वे जानकी मंदिर के 12वें महंत हैं। परंपरानुसार अगले महंत का चुनाव वर्तमान महंत करते रहे हैं।

महंत राम तपेश्वर दास वैष्णव तीसरे महंत हैं, जिनका चुनाव इस प्रकिया के तहत किया गया है। 10वें मंहत से पहले मंदिर के प्रमुख का चुनाव अलग विधि से किया जाता था और धर्मज्ञानी को इस पद पर बिठाया जाता था।

@कहां से आते हैं तीर्थ यात्री:
जानकी मंदिर में तीर्थ यात्री न सिर्फ़ भारत से बल्कि विदेशों से भी आते हैं। यहां यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया से भी तीर्थ यात्री आते हैं।

मंदिर में मां सीता की मूर्ति अत्यंत प्राचीन है जो 1657 के आसपास की बताई जाती है।

@फैसला नवम्बर में सम्भव:
बता दे कि अयोध्या के राम लला मन्दिर मामले में 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो गई है।उम्मीद है कि 15 नवम्बर तक फैसला आ जायेगा।मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ 6 अगस्त से लगातार इस मामले की सुनवाई कर रही थी।ऐसी संभावना है कि लगभग एक महीने के अंदर कभी भी इस मामले में कोई महत्वपूर्ण फ़ैसला आ सकता है।( रिपोर्ट:जनकपुर(नेपाल ) से गणेश शंकर )

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