29 सितम्बर से शुरू होगा नवरात्र,हाथी पर होगा माता का आगमन व मुर्गे पर होगा गमन
रक्सौल।( vor desk )।आदि शक्ति जगदंबा का पूजनोत्सव कल से शुरू होगा. जिसकी तैयारी अब अंतिम चरण में है. शारदीय नवरात्र में माता का आगमन गज रूढा(हाथी) वाहन से हो रहा है. जबकि गमन चरणायुद्य(मुर्गा) वाहन से होगा. पण्डित अजय उपाध्याय ने बताया कि शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि रविवार 29 अक्टूबर से प्रारंभ होगा. वहीं गमन 8 अक्टूबर मंगलवार को है. माता का गजरूढा आगमन फल वृष्टिप्रद है. वहीं माता का गमन चरणायुद्य पर गमन कई क्षेत्रों में शुभ का संकेत नहीं है. वहीं,आचार्य राजकुमार पांडे ने बताया कि गजरूढा आगमन से कहीं कहीं भारी वर्षा, अत्यधिक बारिश होने से अन्न हानि भी संभव है. वहीं चरणायुद्य गमन के कारण आपसी विवादों में वृद्धि, सांप्रदायिक उपद्रव, बाजार का कारोबार मंद, लोगों में मानसिक उग्रता में वृद्धि हो सकती है. नवरात्र पर्व अपने स्वरूप को लघुतम से विराट की ओर ले जाने की प्रक्रिया है. भगवती के स्वरूप में ही सब कुछ विद्यमान है. जिसके कारण माता के शक्ति रूपों की साधना, आराधना, पूजा श्रवण, कथा, भजन, कीर्तन उल्लास पूर्वक मनाया जाता है. शक्ति उपासना का अभिप्राय प्राकृतिक स्वभाव अर्थात निद्रा, आलस्य, तृष्पा, कामवासना, भ्रांति, अज्ञान, मोह, क्रोध पर विजय प्राप्त करना है. महिषासुर रूपी राक्षस कोध्र का प्रतीक है. वहीं रक्त बीज रूपी राक्षसं काम का प्रतीक है. उक्त सभी दुर्गुणों को अर्थात अविधा को नाश करने के लिए शक्ति के गुण, सदबुद्धि, लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शांति, श्रद्धा, कांति, सदवृति आदि गुणों का विकास करने के लिए ममता मायी माता की उपासना की जाती है. कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त प्रात: 6.16 से 10.30 तक है. इसके बाद दिन के 1.30 से 4.30 तक है. पण्डित अजय उपाध्याय के अनुसार समय अभाव के कारण कलश स्थापन दिन में कभी भी किया जा सकता है. प्रतिपदा तिथि का आरंभ शनिवार 28 सितंबर को रात्रि 12.29 के बाद तथा प्रतिपदा तिथि समाप्त रविवार रात 29 सितंबर रविवार रात्रि 10.11 बजे तक हैं.
विजयादशमी 08 अक्टूबर को
नवरात्र महोत्सव को लेकर कलाकार भी स्थापना के लिए देवी प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में लग गए हैं।रक्सौल में पंडालों को भव्य रूप दिया जा रहा है। कई कलाकार मिट्टी की देवी प्रतिमाएं बनाकर तैयार कर चुके हैं, उनमें रंग भरने का काम कर रहे हैं। पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट स्थापना होगी और उसके बाद से नवरात्र के व्रत प्रारंभ हो जाएंगे। 9 दिन में माता के 9 स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार दशहरा या विजयादशमी 08 अक्टूबर को है।
ऐसे होगी देवी की पूजा
29 सितंबर : घट या कलश स्थापना। माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा।
30 सितंबर : माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा।
01 अक्टूबर: माता चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा।
02 अक्टूबर: माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा।
03 अक्टूबर: मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा।
04 अक्टूबर: माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा।
05 अक्टूबर: माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना।
06 अक्टूबर: माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की अर्चना।
07 अक्टूबर: नवमीं हवन, नवरात्रि पारण।
08 अक्टूबर: माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन।