रक्सौल।(vor desk)।आदापुर प्रखंड क्षेत्र के इंडो –नेपाल बॉर्डर के सीमावर्ती गांव विश्रामपुर –मुसहरवा (नेपाल) में भारतीय संविधान निर्माता विश्व ज्ञान के प्रतीक बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर के जयंती की धूम रही।नए साल के जश्न में डूबे नेपाली नागरिकों ने बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर और महाराजा शल्हेश की जयंती संयुक्त रूप से समग्र श्रमजीवी समाज नेपाल के बैनर तले प्रमुख समाजसेवी अधिवक्ता प्रेमशंकर हजारी की अध्यक्षता में मनाया।इस मौके पर आगत अतिथियों ने केक काटा तथा महापुरुष द्वय के तैलिय चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।समारोह को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि भारत के सामाजिक संगठन अम्बेडकर ज्ञान मंच के संस्थापक मुनेश राम ने कहा कि विश्वगुरु तथागत गौतम बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल में बाबा साहेब अम्बेडकर की प्रासंगिकता अभिवंचित वर्गो के लिए प्रेरणा का श्रोत है।बाबा साहेब ने सामाजिक भेदभाव,अशिक्षा,नशापान,अस्वच्छता जैसे सामाजिक कुरीतियों को सभ्य समाज के लिए कलंक करार देते हुए कहा कि हमें ऐसी बिडम्बनाओं को नकार कर शिक्षित और नशामुक्त समाज के स्थापना करने होंगे।उन्होंने कहा कि भले ही हमारे पैरों में जूते या चप्पल नही हो,लेकिन हाथों में किताब जरूर होने चाहिए।महिलाओं को जागरूक कर नशा,पाखंड व अंधविश्वास का खात्मा करके ही शिक्षित समाज की परिकल्पना की जा सकती है।यही हमारे दोनों महापुरुषों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।पूर्व नेपाली सांसद राजाराम पासवान ने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हमारे पूर्वज भी इस देश के राजा थे,किंतु अशिक्षा के कारण हम मनुवाद के शिकार हो गए और सामाजिक गुलामी ने हमें छुआछूत और भेदभाव का दंश झेलने को विवश कर दिया।हमें इस खाई को उच्च तालीम हासिल कर पाटने होंगे,तभी समग्र समाज उन्नति कर सकेगा। शिक्षक शम्भु पासवान ने कहा कि बाबा साहेब शिक्षा की बदौलत दुनिया के सिंबल ऑफ नॉलेज बन गए।शिक्षा प्रत्येक भेदभाव को खत्म करने में सक्षम है।वही,प्रेमशंकर हजारी ने कहा कि विद्वानों को किसी समाज या क्षेत्र विशेष की दीवारें नही रोक सकती।उनके कृतित्व दुनिया को आलोकित करते है। महाराजा शल्हेश और बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन और आदर्शो को अपनाकर ही हम नेपाल के अंतिम पंक्ति में खड़े समग्र श्रमजीवी समाज का कल्याण कर सकते है।इसके लिए अंधविश्वास,पाखंड,सामाजिक कुरीतियों को त्याग कर शिक्षायुक्त,नशामुक्त समाज की स्थापना करने होंगे और इसे अभियान के रूप में लेना होगा।कार्यक्रम के संचालक वीरकेश पासवान ने कहा कि बाबा साहेब ने शिक्षा को शेरनी मां का दूध करार देते हुए इसे खूब पीने की सलाह दी थी।हमें शिक्षा को आत्मसात करने होंगे।मौके पर अज्ञामं के सदस्य विरकेश पासवान, भाग्य नारायण साह,प्रदीप कुमार रजक,शंभू पासवान,मुखीलाल हजरा,संजय पासवान,हिमकेश पासवान,मनोज पासवान,नेपाली संवेदक शम्भू पासवान सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।