रक्सौल।(vor desk)।उग हो सुरुज देव ….अर्क के भईल बेर ….!जैसे सुमधुर गीतों व भक्तिमय माहौल के साथ मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ ही रक्सौल में चैती छठ धूमधाम से सम्पन्न हो गया। नवरात्र सप्तमी के साथ ही छठी माई की पूजा व्रतियों ने एक साथ की।मंगलवार को अहले सुबह उदियमान सूर्य को अर्ध्य दिया गया।तदोपरांत पारण किया गया।इस अवसर पर व्रतियों ने परिवार,समाज,देश की सुख समृद्धि की कामनाओं के साथ पूजन अर्चन किया और मन्नते भी मांगी।
रक्सौल समेत नेपाल सीमावर्ती वीरगंज के छठ घाटों पर काफी चहल पहल रही।श्रद्धालुओं की संख्या भी इस बार काफी इजाफा दिखा।
इस बीच, रक्सौल शहर के आश्रम रोड, कोइरिया टोला, कौड़िहार, तुमड़िया टोला,चेक पोस्ट घाट ,सूर्य मंदिर समेत विभिन्न भागों में बने घाट पर छठ व्रतियों ने सुबह व्रत का पूजन किया और सूर्य देव को प्रणाम कर वरदान मांगा।
आस्था का यह महापर्व साल में दो बार कार्तिक माह एवं चैत्र माह में मनाया जाता है। छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान सूर्य की उपासना है।
बताते हैं की कई व्रतियों ने सरिस्वा नदी के प्रदूषण और बदबूदार स्थिति को देखते हुए अपने-अपने घरों में बनाए गए कृत्रिम जलकुंडों में अर्घ्य दिया। जलकुंडों में बांस से बने सूप में नारियल, मौसमी फल तथा अन्य पूजन सामग्री लिए पानी में खड़े होकर व्रतियों ने प्रकृति के ऊर्जा के सबसे स्रोत सूर्य की उपासना की। व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया तथा सूर्य देव से मन्नत मांगी।
व्रतियों ने ‘कांच ही बांस के बहंगिया..,’ ‘केलवा जे फरेला घवध से..,’ ‘ऊगो हो सूरज देव,’ ‘भईले अरघा के बेर..’ आदि गीत गाए।