रक्सौल।( vor desk )। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण करते हुए पर्यावरणविद डॉ. स्वयंभू शलभ ने कहा कि जब जब मनुष्य और प्रकृति का तालमेल बिगड़ा, जब जब मनुष्य ने प्रकृति के तार को उसकी गुंजाइश से अधिक खींचने की कोशिश की, तब तब प्रकृति की लय टूटी।
प्रकृति के साथ न चलकर उस पर विजय पाने की हमारी कोशिशों ने आज हमें विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है। अब तक जो तबाहियां दुनिया ने देखी है और जिस तबाही से दुनिया अभी गुजर रही है उससे बचने के लिए पूरी दुनिया को प्रकृति और पर्यावरण के आलाप को सुनना और समझना ही होगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस कोरोना काल में ऑक्सीजन संकट से जूझ रही दुनिया को ऑक्सीजन के प्राकृतिक स्रोतों को बचाने और बढ़ाने की दिशा में सोचना होगा। वृक्षों को कटने से बचाना होगा और अधिक से अधिक नये वृक्ष लगाने होंगे। जीवन को बचाये रखने के लिए इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यह समय प्रकृति की पुकार को सुनने और उसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करने का समय है। यह समय एक नई हरित क्रांति के लिए सबों को आगे आने का समय है।