Sunday, September 22

सीमा क्षेत्र में आँधी- तूफान ,बारिश व ओला वृष्टि से सहमे लोग,रबी फसलों को भारी क्षति!

रक्सौल।(vor desk )।मौसम का बदला बदला मिजाज लोगों को डरा रहा है ।सीमा क्षेत्र में एक बार आंधी तूफान ,बारिश और ओला वृष्टि से काफी क्षत्ति पहुची है।खतरा बिहार- नेपाल सीमा पर ज्यादा है।नेपाल के मौसम विभाग ने मंगलवार को फिर तीन दिन के लिए अलर्ट जारी किया है।इस बीच जहां सीमा से लगे नेपाल के तराई इलाके में फिर मौसम का कहर बरपा और काफी क्षत्ति हुई।वहीं, सीमाई शहर रक्सौल समेत इसके आस पास के इलाके में मंगलवार को तेज आंधी व पानी के साथ हुई ओलावृष्टि ने भारी तबाही मचाई है । इससे जहां एक ओर किसानों के खेतों में लगी मसूर, मटर , खेसारी ,मक्का सहित दलहन व तेलहन फसल की भारी क्षति पहुंची है ।

वहीं आम व लीची के मंजरों का भी नुकसान पंहुचा है । बारिश से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़क पर जलजमाव होने से लोगों की परेशानी बढ़ी है। इसी के साथ तेज आंधी से कई जगह छप्परनुमा मकान ध्वस्त हो गये हैं । वहीं कई जगह विद्युत तार टूटकर गिरने से विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है ।

आसमान से फिर गिरे ओले: आदापुर। आसमान से सीमाई क्षेत्र में फिर गिरे ओले व जमकर हुई बरसात से किसान हलकान हैं। जानकारी के अनुसार,मंगलवार की सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे। किसान मौसम के बदले तेवर देखकर ही बेजार हो रहे थे। इसी बीच जबरदस्त ओलावृष्टि के साथ ही झमाझम बारिश होने लगी। रुक—रुककर हो रही तेज बारिश से आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।रबी फसल काफी बर्बाद हुई है।

दलहनी व तेलहनी फसल के साथ गेहूं की फसल भी तबाह हुई है। इस तरह आम व लीची के मंजर को भी प्रभावित किया है। किसान जय नारायण प्रसाद का कहना है कि अब खेती करना आम किसानों के बुते की बात नहीं रही। एक तो किसान अपने फसल का वाजिब मूल्य भी प्राप्त नहीं कर रहे है और उपर से प्राकृतिक कहर ने किसानों की कमर तोड़ दी है।आदापुर के हरपुर के मुखिया अरविंद प्रसाद बताते है कि लगातार दूसरी बार असमय बारिश व ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर फसल क्षति हुई है।

रक्सौल प्रखंड के सिसवा ग्राम किसान रामअदया प्रसाद ने ओलावृष्टि व बारिश से हुई क्षति का आकलन करके सरकार से फसल क्षति मुआवजे का भुगतान करने की मांग की है।उन्होंने बताया की बेमौसम हुई बारिश व ओला गिरने से सैकड़ों किसानों के गेंहू,मसूर,प्याज,तेलहन,ईख जैसे कई फसल बुरी तरह से बर्बाद हो गई है। जिससे खेती करने के लिए बैंक से लिये गये ऋण को चुकता करने में वे लोग बर्बाद हो जायेंगे।
इधर,आम चुनाव के मौसम में राजनीतिज्ञों की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।अधिकारियों का कहना है कि क्षत्ति का आंकलन कराया जा रहा है।

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