रक्सौल।(vor desk )।भारत के कबाड़ी से कबाड़ी छोटे बड़े शहरो को भी हद तक बदलते देखा होगा आपने है लेकिन नहीं बदला तो रक्सौल शहर की दुर्दशा और यहाँ के जनप्रतिनिधि । हाँ ज्यो ज्यो यहाँ के जनप्रतिनिधियों के रुतवा, ओहदा में बढ़ोतरी हुआ और त्यो त्यो रक्सौल के बदहाली में बढ़ोतरी जरूर हुआ है ।
उपरोक्त बाते हर चुनाव में मतदाता जागरूकता अभियान चलनेवाले युवा संगठन के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत गिरि मतदाता जागरूकता को लेकर दो दिनों से लगातार रक्सौल भ्रमण करने बाद आज प्रेस जारी कर बताया । श्री गिरि ने बताया कि स्वच्छता के प्रतीक महात्मा गांधी की कर्मभूमि चम्पारण का भारत-नेपाल अंतराष्ट्रीय सीमा वाला महत्वपूर्ण अंग रक्सौल जहाँ से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छाग्रह अभियान शुरू किया है । इस ऐतिहासिक शहर की इतनी गरिमा थी यहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी प्लेन उड़ाकर एयरपोर्ट का उदघाटन किया था । आज 21वी सदी में चम्पारण के उस ऐतिहासिक रक्सौल की पहचान गंदगी भरी धूल भरे टूटे सड़क बदबूदार नाले और जल जमाव से उत्पन्न भयानक मच्छरों वाली शहरों पहचान हो गई है ।
आज 21वी सदी में देश ज्यो ज्यो शहरों को स्वच्छ बना कर विकास किया जा रहा है त्यों त्यों रक्सौल शहर की दुर्गति हो रही है । शहर बनते ही टूट जाते है नाला बनते ही धस जाती है फिर वही दुर्दशा । उत्तर से आनेवाले पानी के निकलने के मुख्यमार्ग सरिसवा नदी अतिक्रमण के कारण नाला में तब्दील हो गई है । जिस शहर का मुख्यमार्ग धूलकण से भरा जर्जर हो उसके बाकी रोड का क्या कहना कस्टम से रेलवे स्टेशन रैक पॉइंट की ओर जानेवाली रोड़ में इतना बड़ा बड़ा गढ़ा और कीचड़ धूलकण रहता है की ट्रक के अलावा कोई दूसरी वाहन नही जा सकती । बहुत ही पुरानी डंकन अस्पताल रोड़ के किनारे ऐसा है खुला नाला है कि दो गाडियो के क्रॉस करने में ही जाम लग जाता है ।आए दिन लोग नाले में गिरते रहते है । रक्सौल की लाइफ लाइन है दो नहरों का नहर रोड़ जिसकी दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है धूलकण कीचड़ के साथ जानलेवा गढ़ा । इसी से इस से इस शहर के दुर्दशा का अंदाजा लगा सकते है कि सबने मास्क पहनना कोरोना से शुरू किया और रक्सौल के लोग वर्षो से पहन रहे है । यहाँ के लोग मानकर चलते है बिमारी से 10 साल पहले ही मरना है । सरकारी शिक्षा-चिकित्सा की हाल एक दम ही बदत्तर है । हज़ारो की संख्या में बच्चे बाहर पढ़ने जाने को मजबूर है वही KCTC में BCA में इस साल नामांकन की संख्या दो अंको में भी नहीं पहुंच पाया है । सारे कॉलेज नामांकन कर परीक्षा लेकर सर्टिफिकेट बाँटने वाला सेंटर बन गया है ।
कोई भी रक्सौल शहर को देखेगा तो यही कहेगा को लावारिश शहर है ।रक्सौल यहाँ जनता के भले के लिए ना तो सांसद-विधायक और कोई नेता है, ना ही सामाजिक कार्यकर्ता । नेताओ को केवल चुनाव जीतकर योजना बनाकर खानापूर्ति करके अपने लोगो के साथ मिल बाँटकर खाना । ऐसा नही की रोड नाला नही बनता है बनने के साथ ही टूट जाता है फिर वही का वही लेकिन कोई पूछनेवाला कोई नहीं है बिपक्ष भी इसलिए चुप है क्योंकि जब उनकी बारी आएगी तो वो भी यही करेंगे ।
श्री गिरि ने इसका दोषी केवल रक्सौल की जनता को बताते हुए कहा कि सोई हुई जानता के कारण जनता ही अपने क्षेत्र और देश के विकास में बाधा है क्योंकि इसके कारण जनप्रतिनिधि निरंकुश हो जाते है । हम सभी लोगो के साथ संपर्क कर इसबार चुनाव में रक्सौल के इन मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे और भारी से भारी संख्या में इन्ही स्थानीय मुद्दों के साथ समान शिक्षा-चिकित्सा के मुद्दों पर ही मतदान करने की अपील करेंगे ।