रक्सौल।( vor desk )।प्रधानमंत्री जी आप देश के अन्नदाताओं के साथ अब भेद भाव करना बन्द करिये और किसान हित में फैसला लीजिए। किसान आत्महत्या कर रहे हैं आप उनकी सुध नही ले रहे हैं। जो किसान पूरे देश का पेट भरता है आज आपकी निकम्मी सरकार उसी किसान की अनदेखी कर रही है इस बार बिहार से आपका सूपड़ा यहीं किसान साफ करेंगे। उक्त बातें काँग्रेस विधानभा के पूर्व प्रत्याशी रामबाबू यादव ने हरैया,एकडेरवा, पनटोका,हाजमा टोला,चिकनी आदि गांवों के भ्रमण के दौरान किसानों से बात करते हुए कहा। साथ उन्होंने आगे कहा कि 1970 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 76 रुपये प्रति क्विंटल था. 2015 में वो बढ़ कर 1450 रुपये प्रति क्विंटल है. यदि 1970 से 2015 तक इसमें 20 गुना बढ़ोतरी हुई है.
सरकारी कर्मचारी की सैलरी और डीए मिलाकर 1970 से 2015 तक उनकी आय में 120 से 150 गुना बढ़ोतरी हुई है. इसी दौरान कॉलेज और यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसरों की आय 150 से 170 गुना बढ़ी है. कंपनी के मध्यम स्तर के नौकरीपेशा लोगों की आय 3000 गुना बढ़ी है.
अगर किसान की तरह सरकारी कर्मचारी की आय को 20 गुना पर रोक दिया गया होता तो आप सोच सकते हैं क्या हुआ होता ?
उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर किसानों को ग़रीब बनाए रखी हुई है. हम उनका हक़ नहीं देना चाहते क्योंकि हमें शहरों में भी महंगाई को भी बढ़ने से रोकना है।
इसका मतलब ये हुआ कि शहरों के लोगों को सस्ता अनाज देने के लिए गांवों में किसानों को समझौता करना पड़ रहा है.अगर पूरा हिसाब को देखें तो किसान के लिए अगर गहूं के समर्थन मूल्य को 120 गुना ना बढ़ाया गया तो उसे फ़ायदा नहीं मिलेगा. लेकिन हम ऐसा नहीं करते क्योंकि हमारे लिए किसान का विकास कोई मुद्दा ही नहीं हैं. सरकारी कर्मचारियों के पे कमीशन की तरह ही किसान के लिए भी किसी ऐसे कमीशन की बात की जानी चाहिए जो उसकी आय को निर्धारित कर सके. जो ये सुनिश्चित करे कि किसानों को कैसे महीने में 18 हज़ार रुपए मिल सकेंगे. जिस दिन साठ करोड़ किसानो के हाथ में पैसा होगा ये जीडीपी सीधे 20 फीसदी बढ़ जाएगी।
उन्होंने एनडीए सरकार के किसान विरोधी बिल के पास किये जाने पर कहा कि किसानों के साथ अन्याय व भेदभाव पर कांग्रेस चुप नही बैठेगी।इस अवसर पर राजद जिला महासचिव मो.कमरुद्दीन श्री किसान से सम्मानित सुबोध कुशवाहा,ब्रजभूषण पाण्डेय ,बुधन यादव ,ओम प्रकाश पटेल,हाकिम चौरसिया, इस्लाम गद्दी, ध्रुप पासी आदि कई लोग उपस्थित थे।