रक्सौल।(vor desk )।शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं । उनके ऊपर नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन और भावी भारत के निर्माण की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है ।उक्त बातें आज “शिक्षा नीति 2020 एवं उसकी चुनौतियां “पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल ने कही। वेबिनार का आयोजन भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ बिहार ने किया था। जिसकी अध्यक्षता प्रदेश संयोजक प्रो0 डॉ0 अनिल कुमार सिन्हा ने किया एवं संचालन डॉ कुमार संजीव ने किया।
डॉक्टर जयसवाल ने वेबीनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि 185 वर्षों बाद लाई गई शिक्षा नीति देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के इच्छाशक्ति का प्रतीक है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति आर्थिक संपन्नता और शिक्षा का आधार उसकी शिक्षा व्यवस्था की सतर्कता, गुणवत्ता ,गतिशीलता और हर प्रकार के परिवर्तन के सार तत्व को अपने में समाहित कर सकने की क्षमता पर निर्भर करता है ।नई शिक्षा नीति 21वीं शताब्दी की जरूरत से बनाया गया है। ज्ञान ,विज्ञान और बुद्धि कौशल पर विशेष फोकस किया गया है । नई शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव समय की मांग की पूरी होती दिख रही है। उन्होंने शिक्षा दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया और उन्हें महान शिक्षाविद एवं शिक्षक बताया । साथ ही शिक्षा प्रकोष्ठ को भी इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दी । डॉ0 जायसवाल ने शिक्षक प्रकोष्ट के सभी जिला संयोजक एवं सभी पदाधिकारियों से अपने क्षेत्र में ऐसे पांच विद्यार्थियों को गोद लेकर उनके पूरी शिक्षा एवं उन्हें योग्य नागरिक बनाने की अपील की जो वंचित क्षेत्र से आते हैं। साथ ही अपने क्षेत्र के पांच युवकों को भाजपा से जोड़ने की अपील की। वे अपने शिक्षक अखिलेश्वरी बाबू को याद करके भावुक हो गए जिन्होंने उन्हें आज इस स्थान पर पहुचाने में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने उनके साथ सभी शिक्षक वर्ग को नमन किया।
वेबीनार में बिहार के 32 जिलों के 250 से अधिक शिक्षकों एवं शिक्षाविदों ने भाग लिया । डॉ0 जायसवाल एवं अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदेश संयोजक प्रो0 अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद लिए गए निर्णयों में से एक ऐतिहासिक कदम बताया। विशिष्ट अतिथि भाजपा के प्रदेश सह संगठन महामंत्री शिवनारायण ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र के निर्माण और उत्थान का सबसे प्रभावी माध्यम होता है। इस शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों की प्रतिभा को पूरी तरह से निखारने का मौका देना है चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो ।उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वह है जो बालकों को अध्यात्मिक ,बौद्धिक तथा शारीरिक विकास हेतु प्रेरित करती है । रट्टू तोता बन कर ज्ञान अर्जन करने की जगह नई शिक्षा नीति में सीखने पर अधिक जोर दिया गया है। दुनिया में सबसे युवा मानव संसाधन हमारे पास है ।अगर हम अपनी नई शिक्षा नीति के बूते इस अपार संपदा को सहेज और संवार सके तो निश्चित ही भारत विश्व गुरु बन सकेगा ।समाज और राष्ट्र के समक्ष जो प्रत्यक्ष चुनौतियां हैं उनका सामना करने की अच्छे ढंग से चिंता की गई है। विश्व पटल पर देश एक आर्थिक शक्ति बन कर उभरे तथा हर नौजवान को रोजगार मिल सके इसका भरपूर ध्यान रखा गया है। तकनीकी शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा और आर्थिक प्रबंधन के लिए हमारे नौजवानों को अपने देश में पूरी सुविधा मिलेगी। शिक्षित नौजवानों को पहले व्यक्ति बनना आवश्यक है इसकी भी चिंता की गई है ।इस शिक्षा नीति में राइट टू एजुकेशन को 14 साल से बढ़ाकर माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है।
प्रमुख वक्ताओं पटना विश्वविद्यालय के प्रो0 अखिलेश्वर तिवारी, प्रो0 गणेश प्रसाद सिंह, प्रो0 अरविंद कुमार सिंह,प्रो0 अरुण कुमार, प्रो0 सुनीता कुमारी गुंजन, प्रो0 रौनक वत्स, डॉ0 रूपेश झा, डॉ0 अनिल कुमार, प्रो0 देवेन्द्र कुमार सिंह , वैद्यनाथ झा ,प्रशांत विक्रम एवं प्रो0 सुमित कुमार चौबे वेबिनार में बोलते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन एक क्रांतिकारी कदम है। पांचवी तक की पढ़ाई को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने की व्यवस्था की गई है। वोटिंग जैसे आधुनिकतम वोकेशनल प्रशिक्षण छठी क्लास से ही उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। नया मॉडल युवाओं को बड़ी तादाद के लिए स्वरोजगार एवं स्वयं उद्यम की दिशा में उपयोगी साबित होगा। नई शिक्षा नीति को लागू करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसकी जिम्मेवारी सभी को लेनी होगी ।देश में युवाओं की बड़ी तादाद के रचनात्मक upyog करने के लिए उच्च शिक्षा में 2035 तक 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी ।व्यवसायिक शिक्षाओं की नई दिशाओं को नई नीति के दायरे में लाया गया है। स्कूली शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा तकनीकी शिक्षा जैसी व्यवसायिक शिक्षा है। अब कला ,संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा आदि के विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ।इस शिक्षा नीति में एससी, एसटी और गरीब वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए सार्वजनिक के अलावा निजी क्षेत्रों के उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रवृत्ति व मुक्त शिक्षा का देने का प्रयास किया गया है ।जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है ।निजी संस्थानों की फीस को भी मनमानी ढंग से बढ़ाने से रोकने की व्यवस्था की गई है ।शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है और उसके लिए कई स्तर पर प्रयास करने की योजना बनाई गई है। एक अच्छा शिक्षक ही एक बेहतर छात्र तैयार करता है और इसलिए नई शिक्षा नीति को नई दिशा देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए उनके प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। अभी उच्च शिक्षा में ग्रास एनरोलमेंट रेशियो 26 . 3 है जिसे बढ़ाकर 2035 में 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि हर दूसरा व्यक्ति उच्च शिक्षा हासिल कर सके । वंचित क्षेत्रों में उच्चतर शिक्षा संस्थान 2030 तक प्रत्येक जिला में खोले जाएंगे। दिव्यांगों की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया गया है। जीवंत बहु विषयक संस्थानों में चरणबद्ध ढंग से वर्तमान संस्थानों को परिवर्तित करने की योजना बनी है ।उन्होंने कहा कि अभी तक शिक्षा पर जीडीपी का 4.43% खर्च होता था जिसे बढ़ाकर नई शिक्षा नीति में 6 प्रतिशत कर दिया गया है। अंत में प्रो0 सिन्हा ने सबको धन्यवाद दिया।