Wednesday, November 27

दफ्तर में हो रही निगरानी समिति की बैठक,बाजार में कृषक खरीद रहे 266 की बजाय 400 रुपये बोरी उर्वरक

  • अधिकारियों ने कहा-खाद की कालाबाजारी करने वालों की लाइसेंस होगी रद्द

रक्सौल।(vor desk)।एक ओर कोरोना काल मे किसान आफत में हैं,वहीं,दूसरी ओर खरीफ की खेती के सीजन में 266 रुपये की उर्वरक 400 रुपये के आस पास बिक रही है।इस उर्वरक तस्करी व कालाबाजारी को रोकने के लिए एसडीओ आरती ने अनुमंडल स्तर पर उड़न दस्ता का गठन भी कर दिया है।लेकिन, तस्करी -कालाबाजारी रोकने की बजाय अधिकारी दफ्तर में बैठके कर खाना पूर्ति कर रहे हैं।उनके लिए मानो क्षेत्र में कोई समस्या ही नही है।उनकी माने तो वाजिब दामों पर घर मे किसान उर्वरक हासिल कर रहे हैं।

एक ओर आईबी की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी गम्भीर हैं उनके निर्देश पर प्रशासन ने सख्ती के संकेत दिए।लेकिन,यह संकेत ढाक के तीन पात रहा।

इस बीच कार्रवाई की जगह रक्सौल के कृषि पदाधिकारी गुरुवार को निगरानी समिति की बैठक में मशगूल दिखे।जिसकी कोई उपलब्धि अब तक आमजनों ने नही देखी।कृषको में आक्रोश है,लेकिन, उनका दर्द सुनने वाला कोई नही है।

खाद की कालाबाजारी एवं तस्करी पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम नही उठाये जाने से क्षेत्र में काफी रोष है।

गुरुवार को सीओ विजय कुमार एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविन्द्र कुमार के द्वारा स्थानीय खाद विक्रताओं के साथ उर्वरक निगरानी समिति की एक बैठक कर यह सख्त निर्देश दिया गया कि कोई भी विक्रेता यदि खाद की कालाबाजारी करता है या संलिप्त पाया जाता है तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।

दावा किया गया कि पिछले वर्ष भी जांच में दोषी पाए गये 4-5 विक्रताओं के लाइसेंस को रद्द किया गया था।

लेकिन,इस बार क्या कार्रवाई हुई,इस पर अधिकारी चुपी साध गए।

अधिकारियों ने कहा कि खाद की विक्री तय दर में ही करें,नही तो कार्रवाई होगी। सभी नियमों का पालन हर हाल में सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिया कि दुकान का बोर्ड निश्चय रखेंगे, दुकान का स्टॉक का डिस्प्ले सामने रखेंगे, अपना स्टॉक रजिस्टर अद्यतन रखना है।। मौके पर विक्रेताओं एवं निगरानी समिति के सदस्य मुखियाखालिद अनवर, नयाब आलम, श्यामबिहारी तिवारी, राकेश कुमार, मदन गुप्ता, विनोद गुप्ता व चंचल सहित अन्य मौजूद थे।

मजे की बात यह रही कि बैठक में निर्देश जारी किए गए,लेकिन,निगरानी कमिटी के साथ कभी दुकानों की जांच नही हुई।बसपा के प्रदेश महा सचिव चन्द्र किशोर पाल ने इस बाबत कहा कि यहां तस्करी व काला बाजारी कोई नई बात नही।क्योंकि,यहां सम्बन्धित अधिकारी इसे संरक्षण देते हैं।वे तभी जांच मे निकलते हैं जब उनकी माहवारी रुक जाती है या उसे बढ़ाने की जरूरत पड़ती है।उन्होंने आरोप किया कि यदि इसमे झूठ है तो सीमा पार नेपाल में पकड़े जा रहे उवर्रक मामले की समीक्षा कर ली जाए।आखिर तस्करी नही हो रही, तो,सीमा पार लगातार उर्वरक कैसे पकड़ा जा रहा है?उन्होंने कहा कि तस्करी व काला बाजारी में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ ऊँच स्तरीय जांच की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!