रक्सौल।( vor desk )।रक्सौल -बीरगंज को जोड़ने वाले भारत नेपाल मैत्री पुल के बदहाली से पीछा छूटने के संकेत मिले हैं।सूचना है कि इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है।लेकिन,यह केवल भारतीय क्षेत्र के लिए बताया जा रहा है।यानी कि पूरी तरह से इसका जीर्णोद्वार होना फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।जबकि,मॉनसून शुरू हो चुका है।वर्षात के मौसम में पूल पर बने गढ़े जलाशय युक्त दिखने लगे हैं।राह चलना मुश्किल होने लगा है।
बताते हैं कि पीएमओ में डा. स्वयंभू शलभ के द्वारा दर्ज कराए गए लोक शिकायत के आलोक में विभागीय स्वीकृति आदेश सं. 2531(S) दि. 29.4.2020 द्वारा पथ प्रमंडल, मोतिहारी अंतर्गत रक्सौल स्थित मैत्री पुल के एप्रोच रोड एवं वियरिंग कोट (भारतीय भाग) के मरम्मत कार्य (कुल पथांश लंबाई 506 मीटर), आरसीसी ड्रेन कार्य एवं विविध कार्य हेतु कुल दो करोड़ चौंसठ लाख उन्नीस हजार रूपये व्यय करने की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है जिसकी निविदा प्रक्रियाधीन है।
यह जानकारी पथ निर्माण विभाग, बिहार के अभियंता प्रमुख ने अपीलकर्ता डा. स्वयंभू शलभ को निबंधित पत्र के द्वारा दी है। डा. शलभ द्वारा उक्त पुल के रिनोवेशन हेतु भेजी गई याचिका पर संज्ञान लिए हुए बीते 21 फरवरी 2020 को पीएमओ ने आवश्यक कार्यवाही हेतु विदेश मंत्रालय समेत पथ निर्माण विभाग, बिहार को भेजा था।
उक्त अपील में डा. शलभ ने भारत नेपाल सीमा रक्सौल स्थित सिरसिया ब्रिज (मैत्री पुल) की अवस्था को बताते हुए लिखा था कि यह पुल अंतरराष्ट्रीय महत्व का होने के बावजूद उपेक्षा और अनदेखी का शिकार है। 1994 में भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से सीमावर्ती रक्सौल और वीरगंज के बीच सरिसवा नदी पर निर्मित इस मैत्री पुल का निर्माण मे. राइट्स इंडिया के अंतर्गत उत्तर प्रदेश पुल निर्माण निगम ने किया था लेकिन निर्माण के बाद इस पुल की मरम्मत और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी किसी विभाग ने नहीं ली।
विदित है कि डा. शलभ इस पुल की सुरक्षा एवं रिनोवेशन की मांग पीएमओ, सीएमओ एवं पथ निर्माण विभाग से लगातार करते रहे। एसडीएम रक्सौल ने भी गत 4 सितंबर 2018 को डा. शलभ के ज्ञापन के आलोक में डीएम, पूर्वी चंपारण को पुल की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा था।
पिछले साल बरसात में पुल के एप्रोच रोड के जिन गढ्ढों में ईंट डालकर टेम्पररी फिलिंग कराई गई थी वहां फिर से गढ्ढे बन गए। वहां हर समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है। पुल का रेलिंग जगह जगह टूट चुका है। अप्रोच रोड और पुल का कंक्रीट लगभग पूरा उधड़ चुका है। एक स्थान पर फुटपाथ का स्लैब भी क्रैक होकर धंसने के कगार पर है।
डा. शलभ ने अपनी अपील में इस बात का भी जिक्र किया था कि इस पुल के एप्रोच रोड पर रेलवे फाटक स्थित है जो 24 घण्टों में करीब 20 घण्टे बंद रहता है। फाटक बंद होने के समय पुल और सड़क पर भयंकर जाम की स्थिति पैदा होती है। इस जाम में फंसकर घण्टों जाम में छटपटाने वाले लोगों की पीड़ा को आज तक नहीं समझा गया। देश विदेश के पर्यटक हर रोज इस पुल से गुजरते हैं। नेपाल के रास्ते भारत आनेवाले पर्यटक पहली बार यहीं भारत दर्शन करते हैं। इस पुल के साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है।
विभाग द्वारा इस पुल के रिनोवेशन हेतु राशि की स्वीकृति मिलने पर रक्सौल समेत सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में हर्ष है।
बता दे कि इस पुल के मरम्मती व पुनर्निर्माण हेतु 6 सितंबर 2018 को सीमा जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष महेश अग्रवाल द्वारा भिक्षाटन भी किया गया था।जबकि,क्रमिक तौर पर राजद नेता रवि मस्करा ने गढ़े में नौकायन किया,वहीं, स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने आमरण अनशन भी किया।अब रक्सौल के सामाजिक व प्रबुद्ध लोगों की यह मुहिम सकरात्मक असर दिखाने लगी है।
इधर, विधायक डा0 अजय कुमार सिंह का कहना है कि ढाला से मैत्री पूल( कस्टमपूल )और बाए भारतीय धर्म शाला तरफ निर्माण की पहल हो चुकी है।शीघ्र कार्य शुरू होगा।
बताया जा रहा है कि कस्टम के बाद पुल का हिस्सा नेपाल को मरम्मती करनी है।लिहाजा,द्विपक्षीय सहमति के बाद ही नेपाल की ओर पुल मरम्मती सम्भव हो सकेगी।