चंपारण सत्याग्रह पद यात्रा दूसरे दिन पहुची रक्सौल,नुक्कड़ सभा मे सांसद और विधायक रहे निशाने पर!
रक्सौल।(vor desk)।’रेल लाओ,सड़क बनाओ’ व पूर्व की भांति रेल चलाओ,समतल सड़क बनाओ के नारे के साथ आयोजित ‘चंपारण सत्याग्रह पद यात्रा’ के दूसरे दिन रविवार को कोई 25 किलोमीटर की यात्रा के बाद सत्याग्रहियों का कारवाँ रक्सौल पहुचा।रक्सौल के कौड़िहार चौक पर आयोजित नुक्कड़ सभा में आह्वान किया गया कि उपेक्षा व बदहाली के लिए दोषी जनप्रतिनिधियों का घेराव किया जाए।एलान किया गया कि 15 अक्टूबर को छौड़ादानों में रेल ऊपरी पुल का उद्घाटन करने पहुच रहे सांसद डॉ0 संजय जायसवाल का सत्याग्रहियों द्वारा घेराव किया जाएगा।वहीं,कहा गया कि यदि शीघ्र ही समस्या के समाधान की ठोस पहल नही हुई,तो,दूसरे चरण के आंदोलन की घोषणा होगी।सड़क पर जन सैलाब उमड़ेगा।सरकार और जन प्रतिनिधियों से हिसाब लिया जाएगा।
बता दे कि निरन्तर धरना-प्रदर्शन व अनशन के बाद भी सीमावर्ती क्षेत्र की लाइफ लाइन रोड घोड़ासहन नहर सड़क की बदहाली व उपेक्षा तथा सीतामढ़ी-रक्सौल-नरकटियागंज रेल खण्ड के साथ सौतेलापन रवैये के विरुद्ध चम्पारण सत्याग्रह पद यात्रा लगातार दूसरे दिन रविवार को भी जारी रहा।सिकटा से भेलाही और फिर रक्सौल पहुचे सत्याग्रहियों ने जगह जगह नुक्कड़ सभा व जनसम्पर्क अभियान चलाया।इस मौके पर निरन्तर जन समर्थन बढ़ता दिखा। आमजनों से जगने की अपील के साथ संकल्प लिया गया कि जब तक इस समस्या का हल सरकार नही कर देती,तब,तक चैन की सांस नही लेंगें।
पद यात्रा का नेतृत्व कर रहे शिवहर लोक सभा क्षेत्र के निर्दलीय प्रत्याशी सह समाजिक कार्यकर्ता प्रभु नारायण प्रसाद व समाजसेवी राजन चौरसिया के साथ ही स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रंजीत सिंह व ग्राम स्वराज मंच के अध्यक्ष रमेश सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि जन प्रतिनिधियों के द्वारा इस क्षेत्र की उपेक्षा की आवाज पीएम तक पहुचनी चाहिए।जिस जनता के वोट से जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं,उनकी ही ये उपेक्षा करते हैं।उन्होंने कहा कि शिलान्यास व बार बार घोषणा के बाद भी सड़क नही बना।रेल सुविधा बहाल नही हुई।इसका जवाब कौन देगा?हम कैसे और किससे पूछें?यह सत्याग्रह इसीलिए आयोजित है कि हमारी आवाज सुनी जाए।समस्या का समाधान किया जाए।जनता की पीड़ा सुनी जाए।गांधी जी इसी पीड़ा को सुनने चंपारण पहुँचे थे।देश को आजादी मिली थी।चंपारण के सीमा क्षेत्र वासी गांधी जी के 150 वीं जयंती पर उसी तरह की पीड़ा भोग रहे हैं।चलने के लिए सड़क तक नही है।न हम एक्सप्रेस हाइवे मांगते हैं।न बुलेट ट्रेन ।हम तो इतना चाहते कि चलने और ठीक से यात्रा हो इसकी व्यवस्था कर दी जाए।मौत और पीड़ा से उबारा जाए।पद यात्रा में सहभागी लोगों ने हाथों में तिरंगा लेकर इस जर्जर सड़क पर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं।
इस मौके पर रमेश सिंह ने खम ठोक कर कहा कि घोड़ासहन नहर सड़क के खिलाफ साजिश हो रही है। टेंडर नही होगा,न सड़क बनेगी।पथ निर्माण विभाग इस सड़क निर्माण को रोकने की प्रक्रिया में है।
जबकि,रणजीत सिंह ने कहा कि हमारी मांग है कि इस सड़क को अविलम्ब मोटरेबल बनाया जाए।ट्रेन सुविधा बहाल की जाए।उन्होंने कहा कि 22 फरवरी को पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव ने बिना टेंडर शिलान्यास कर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया।
वहीं,राजन चौरसिया ने कहा कि आमान परिवर्तन से पहले दरभंगा-रक्सौल-नरकटियागंज रेलखंड पर 15 ट्रेन चलती थी।आज सिर्फ दो जोड़ी ट्रेन चलती है।वह भी 40 किलोमीटर ढाई घण्टे में चलती है।उन्होंने कहा कि हम बापू के बताए सत्याग्रह की राह पर हैं।सत्याग्रह विफल नही हो सकता।
बताया गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कर्मभूमि चंपारण में सिकटा से घोड़ासहन तक की यह पदयात्रा पांच चरणों की व पाँच दिवसीय है।जिसका समापन 16 अक्टूबर को घोड़ासहन पहुच कर होगा।इसी कड़ी में दूसरे चरण की पद यात्रा रविवार को रक्सौल पहुची है।सोमवार को सत्याग्रही तीसरे चरण में आदापुर पहुचेंगे। इस जनजागरण सत्याग्रह यात्रा में बड़ी संख्या में लोग सहभागी हुए।इसमे जिला पार्षद सीमा गुप्ता,गिरधारी सर्राफ,चंद्र किशोर पाल,दिनेश केसरी,राजा कलवार,शमसुदीन मियां,लड्डू कुमार, राधा मोहन, लक्ष्मण ठाकुर,बाल देव ठाकुर,महम्मद एजाज,सुधीर यादव,अरुण सिंह,बबलू ,नसुल्लाह,शिव शंकर राम,रणधीर कुमार,नारायण गुप्ता,प्रियांशु पटेल,विवेक कुमार,संदीप प्रजापति आदि शामिल थे।