Sunday, November 24

1970 के दशक से मनोकामना माई मंदिर के प्रति लोगों में बढ़ी आस्था,भक्त नही लौटते खाली हाथ!


रक्सौल के मनोकामना माई में मेला 7 अक्टूबर को, नेपाल से भी पहुँचते हैं श्रद्धालु

रक्सौल।(vor desk )।शहर के प्रवेश द्वार लक्ष्मीपुर में स्थित मनसा माई मंदिर सीमाई क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।माता के कृपा की प्रसिद्धि दूर दूर तक है।भक्त मन्नत पूरी होने पर यहां पूजन अर्चन व चढ़ावा चढ़ाने पहुचते हैं।प्रति वर्ष नवरात्र के नवमी को यहां मेला का आयोजन होता है।इस बार 7 अक्टूबर को मेला का आयोजन होगा। मेले की तैयारी पूरी कर ली गई है।

बताते हैं कि मनसा माई मंदिर यानी मनोकामना मंदिर में मां की विधिपूर्वक पूजा करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण नवरात्र के साथ-साथ अन्य दिनों में भी मंदिर में भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते रहते हैं।शहर के प्रबुद्धजनों ने बताया कि रक्सौल शहर के प्रवेश द्वार पर मनोकामना मंदिर स्थित है और रक्सौल आने वाले हर व्यक्ति पर मां की कृपा होती है।मां के आशीर्वाद से रक्सौल के लोग काफी खुश रहते हैं और उन्हें यश और लाभ की प्राप्ति होती है।
बताया गया कि मंदिर में 1970 के दशक से पूजा करते आ रहे आचार्य पंडित जगत ओझा ने बताया कि मंदिर में मां पींडी के रूप में भक्तों को दर्शन देती है। इस मंदिर में मां से विनती करने वाले हजारों भक्त हैं, जिनकी मनोकामना पूरी हो चुकी है. सच्ची से जो भी भक्त मनसा माई के सामने अपना सिर नवाता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. इस बार भी नवरात्र को लेकर मंदिर में सभी तैयारी कर ली गयी है।नवमी को मनोकामना पूर्ण होने वाले भक्त मां को बलि देते हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष दिनेश प्रसाद ने बताया कि नवरात्र को लेकर मंदिर में सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गयी है।वही पंचायत के मुखिया पति नयाब आलम ने भी बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तो को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।वहीं, कांग्रेस नेता रामबाबू यादव ,मेला समिति सचिव बिन्दा प्रसाद,कोषाध्यक्ष सुजीत महतो,पूर्व अध्यक्ष मुन्नीलाल चौधरी ,शोभालाल प्रसाद,सुरेंद्र महतो,मनोज माँझी,विनोद यादव ने बताया कि यहां मेला में स्वयंसेवक व प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्था व सुरक्षा देखेंगे।मन्दिर को भव्य रूप से सजाया गया है।मेला का दृश्य नवरात्र से ही है।

मनोकामना मंदिर का इतिहास: आचार्य पंडित जगत ओझा ने बताया कि मैं शुरू के दिनों से मंदिर में हूं. मुझसे पहले यहां रक्सौल के एक भक्त विश्वनाथ सर्राफ उर्फ विशु बाबू की मन्नत मंदिर से पूरी हुयी थी तो वे यहां नियमित आते थे।इसके बाद 1978 में मंदिर भवन का निर्माण हुआ और इसके बाद से मैं लगातार मंदिर में पूजा कर रहा हुं। जैसे लोग मंदिर को जानते गये और माता की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी होती गयी. लोगों की आस्था मंदिर में बढ़ती चली गयी। आज मंदिर में नेपाल के कोने से भक्त चढ़ावा लेकर आते है।वही मंदिर में दर्शन करने आये भक्तों ने बताया कि मंदिर में आने से असीम शांति मिलती है।यहां बता दे कि नवरात्र के साथ-साथ प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को यहां भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
अक्षत से मिलता है लाभ :
मनोकामना मंदिर सिद्ध पीठ है। यहां पर श्रद्धापूर्वक पूजन करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।मंदिर में पूजा के बाद एक अक्षत दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि पुजारी से लिये गये अक्षत के बाद मनोकामना पूरी होने में आने वाली समस्या समाप्त हो जाती है।

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