Sunday, November 24

सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने मैया की आकृति बना कर किया बाढ़ से बिहार को बचाने की प्रार्थना!


पूर्वी चंपारण के मधुरेन्द्र ने रक्सौल के कोइरी टोला में बालू पर उकेरी दुर्गा माता की आकृति!


रक्सौल।(vor desk )।पूर्वी चंपारण के चर्चित सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने इस बार अनोखे अंदाज में नव रात्र पर माँ दुर्गा के प्रति श्रद्धा व विश्वास व्यक्त करते हुए नमन किया है।उन्होंने शहर के कोइरी टोला स्थित पूजा पंडाल परिसर में बालू से माता दुर्गा की आकृति उकेर कर एक ओर अपनी उत्कृष्ट कला व व्यापक नजरिये से सुर्खियां बटोरी है।तो,दूसरी ओर उन्होंने अपने अंतर्मन की आवाज को बालू की भीत पर अंकित कर मां से प्रार्थना की है कि बिहार को बाढ़ व प्राकृतिक आपदा से बचाएं।उन्होंने गुहार लगाई है कि माँ बाढ़ पीड़ितों की पुकार सुन उनकी रक्षा करें।

मधुरेन्द्र ने vor टीम से बात चीत में कहा कि इस बार बिहार में बाढ़ की आपदा से काफी परेशानी व क्षति हुई।राजधानी पटना डूब गया।
इसी को ले कर माता से बिहार को बचाने के अनुरोध के साथ मैंने अपनी कला से देश दुनियां का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया हूँ।

उन्होंने कहा कि इस बार माँ दुर्गा हाथी पर सवार हो कर आईं हैं।बाढ़ आपदा बिहार के लिए बड़ा संकट बन गया है।इसिलिये मैंने मां की बालू से प्रतिमा बनाई और बाढ़ पीड़ितों की ओर से प्रार्थना किया कि वे बाढ़ पीड़ितों की पुकार सुनें।

उन्होंने कहा कि मेरी कला के प्रति यह रुचि बचपन से ही है।बचपन से यह कार्य करता आ रहा हूँ।यह भी माता की कृपा ही हैं कि एक सैंड आर्टिस्ट्स के रूप में मेरी पहचान बनी।

मधुरेन्द्र ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम,पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी,पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज,समेत हस्तियों व देश मे घटित घटनाओं ,ज्वलन्त मुद्दों ,महत्वपूर्ण तिथियों व पर्यावरण संदेशों से जुड़ी कलाकृति बनाई।इनसे वे चर्चे में रहे।मधुरेन्द्र बताते हैं कि अक्सर वे देश दुनियां से जुड़े समसामयिक मुद्दे पर कलाकृति बना कर ध्यानाकृष्ट करते हैं।बड़े महा पुरुषों की जयंती तथा याद में निरन्तर आकृतिया बनाई है।उनके संदेशों को जन जन तक पहुचाया।बदले में लोगों ने मुझे काफी प्यार दिया।

उन्होंने कहा कि यही प्यार उन्हें रक्सौल खिंच लाया।कोइरिया टोला दुर्गा पूजा समिति के सौजन्य से इस बार मुझे सीमावर्ती रक्सौल शहर में आने व कलाकृति बनाने का मौका मिला।मैंने यहां भी प्राकृतिक व भव्य कलाकृति बनाने का प्रयास किया।मेरी माँ से यही प्रार्थना है कि वे बाढ़ आपदा पीड़ितों की पीड़ा सुनें।उन पर जरूर कृपा करें।

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