रक्सौल/मोतिहारी।( vor desk )।एनासो सैमसन दार्डी – एक 35 वर्षीय नाइजीरियाई नागरिक और उसके तीन दोस्त अब भारत सरकार के एक कैदी या अपराधी नहीं हैं, फिर भी वे मोतिहारी प्रशासन द्वारा पिछले दो महीनों से नजरबंद हैं। मोतिहारी बिहार में पूर्वी चंपारण का जिला मुख्यालय है।
सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने सभी चार नाइजीरियाई नागरिकों की पहचान सत्यापित करने के लिए नाइजीरियाई सरकार को पासपोर्ट भेजने के लिए अभी तक आवेदन व दस्तवेज प्राप्त नहीं किया है।यही उनके निर्वासन में देरी का कारण है।जिला प्रशासन सूत्रों ने बताया कि इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया व प्रयास जारी है।
बता दे कि पिछले 1 फरवरी को एनासो सैमसन दार्डी, ओकेके डेसमंड केली, उदेलर सैमुअल उचे और इग्वे मोशे फेवर सहित सभी चार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित भारत के प्रवेश द्वार – रक्सौल में इमिग्रेशन अधिकारियो द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
चारों को नेपाल से भारतीय क्षेत्रों में घुसते हुए देखा गया। अधिकारियों ने अपने यात्रा दस्तावेजों को अवैध पाया और भारतीय क्षेत्रों में टहलना उचित नहीं समझा ।यह भी शक था कि ये संदिग्ध लोग आतंकी संगठनों से जुड़े हो सकते हैं।उनके पास वैध दस्तवेज भी नही थे।
बताया गया कि दार्डी अपने तीन अन्य दोस्तों के साथ 8 अगस्त को बरी हो गए थे, क्योंकि उन्होंने फरवरी 1 पर भारत के विदेशियों के कृत्य का उल्लंघन किया था और तब से वे मोतिहारी सेंट्रल जेल में बंद हैं, लेकिन रक्सौल मोतिहारी स्थित रक्सौल एसडीजीएम कोर्ट ने उन्हें तब दोषमुक्त कर दिया । जब सभी चारों ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया ।भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने के मामले को उन्होंने भूल बताया।
“जिला प्रशासन को नाइजीरियाई दूतावास और गृह मंत्रालय के माध्यम से अपना निर्वासन सुनिश्चित करना है लेकिन वे पिछले दो महीनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जिला प्रशासन को दूतावास या गृह मंत्रालय के साथ समन्वय करना चाहिए ताकि वे अपने घर तक पहुंच सकें ”, रूथ ने उक्त बातें कहीं।वो ईग्वे मोसे फेवर के करीबी रिश्तेदार में से एक है।इग्वे भी अन्य लोगों में से एक बंदी है।
अपने घरेलू देश नाइजीरिया में तीन दिन पहले अपनी बेटी को खोने वाले दारडी को उचित चिकित्सकीय देखभाल की कमी के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी विकारों से जूझना पड़ रहा है। जेल अधिकारियों द्वारा जेल के मुख्य भवन से रिहा किए जाने के बाद न केवल दारडी बल्कि उनके तीन दोस्तों को भी मोतिहारी केंद्रीय जेल के परिसर में हिरासत में लिया गया था।
मोतिहारी के एसपी उपेंद्र शर्मा ने कहा कि एक बार पासपोर्ट के सत्यापन के बाद उन्हें अपने देश भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें तब तक कैदी के रूप में माना जाता है जब तक कि उनके पासपोर्ट का सत्यापन नहीं किया जाता है और जल्द ही उन्हें विदेशी नियमों के अनुसार सभी चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है।
मोतिहारी के सभी चार विदेशी नागरिकों के काउंसलर अरविंद पाठक ने कहा, “संबंधित अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे अपर्याप्त खाद्य पदार्थों के कारण वे भूखे हैं और हर जगह मच्छरों और दुर्गंध से भरे अंधेरे और अस्वच्छ कमरे में सोने को मजबूर हैं ।”
पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) सदर विनीत कुमार ने बताया कि वह मामले को देख रहे हैं। वह हाल ही में मोतिहारी में पदस्थापित हुए हैं और इन नाइजीरियाई लोगों की सच्चाई से वाकिफ नहीं हैं।
ट्रायल के दौरान सर्वेश मिश्रा की अदालत में एसडीजेएम रक्सौल ने पाया कि उन्होंने गलती से नेपाल से सीमा पार कर ली थी। आरोपी व्यक्तियों ने अदालत में यह कहने से पहले अपनी गलतियों को स्वीकार किया कि वे व्यापार के उद्देश्य से नेपाल गए थे लेकिन उन्होंने गलती से सीमा पार कर ली।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि हाल ही में पूर्वी चंपारण जिले में भारत-नेपाल सीमा के पास दो अन्य नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक अधिकारी ने बताया कि अफ्रीकी देशों में पासपोर्ट बनाने की दोषपूर्ण प्रणालियों के कारण नाइजीरियाई लोगों को अवैध यात्रा दस्तावेजों के साथ भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां फुलवामा की घटना के बाद पूरी सावधानी बरत रही हैं और विदेशी नागरिकों पर कड़ी नजर रख रही हैं।(साभार; सागर सूरज/बिमीएन )