Friday, November 22

पीएम मोदी की पहल पर भी गांधी सर्किट से नही जुड़ सका रक्सौल, शिलान्यास के बाद भी नही बना गांधी द्वार!

गांधी स्कूल से गायब हो गई शिलापट्ट,ऐतिहासिक रजिस्टर व सन्दूक,भूमि भी हो गई अतिक्रमित

सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के बाद 150वीं गांधी जयंती पर भी उपेक्षा जारी, गांधी प्रतिमा के लिए भी तरस रहा रक्सौल

रक्सौल।(vor desk )।सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के बाद अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर भी रक्सौल की उपेक्षा का दर्द रक्सौलवासियों को साल रहा है।रक्सौल को आज तक गांधी सर्किट से नही जोड़ा जा सका।जबकि,इसको ले कर लगातार पहल होती रही है।

जिला प्रशासन ने बनाई थी योजना:वर्ष 1997-1998 में पूर्वी चंपारण के तत्कालीन डीएम दीपक कुमार ने रक्सौल को गांधी सर्किट से जोड़ने की योजना बनाई थी।साथ ही यहाँ गांधी द्वार निर्माण की भी योजना थी।और इसके लिए अग्रतर पहल भी की।लेकिन,उनके जाते ही यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई।इसके बाद जिला प्रशासन ने कोई गम्भीर पहल नही की।बल्कि,इस मामले में लगातार उपेक्षा जारी है।

गांधी द्वार :गांधी सर्किट योजना के तहत ही बिहार सरकार के तकालीन कैबिनेट मंत्री रघुनाथ झा ने रक्सौल में गांधी द्वार का शिलान्यास रक्सौल के कोइरिटोला में नहर सड़क पर किया था।जब वे 2004 में सांसद चुने गए तो उन्होंने रक्सौल प्रेस क्लब की पहल पर रक्सौल बॉर्डर पर इंडियन कस्टम के निकट इंडिया गेट का शिलान्यास किया।जिसमे महात्मा गांधी के साथ भगवान बुद्ध व महावीर की प्रतिमा भी स्थापित करनी थी।लेकिन,यह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चली गईं।

गांधी स्कूल भी बदहाल:रक्सौल में असहयोग आंदोलन को ले कर महात्मा गांधी 9 दिसम्बर 1920 में रक्सौल आये थे।उनकी प्रेरणा से रक्सौल के ओल्ड एक्सचेंज रोड में स्कूल की स्थापना हुई।जिसका नामकरण राष्ट्रीय गांधी प्राथमिक विद्यालय किया गया।इसकी भूमि डूंगरमल भरतीया परिवार ने दी थी।जिसका शिलापट्ट विद्यालय पर लगा था।विडम्बना है कि इस स्कूल के पुनर्निर्माण के क्रम में स्कूल का प्राचीन शिलापट्ट ,रजिस्टर आदि गायब हो गया।स्कूल की हेड मास्टर मीरा देवी का कहना है कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नही।जबकि,पूर्व प्रधानाध्यापक हरि नारायण सिंह का कहना है कि मेरे समय मे चौकी,एक संदूक, रजिस्टर मौजूद था।न तो इस बाबत प्रशासन ने संज्ञान लिया।न उक्त धरोहर का कोई अता पता चल सका है।यही नही विद्यालय की भूमि भी अतिक्रमण कर ली गई है।

सरकार की उपेक्षा:रक्सौल की ऐतिहासिक विरासत को गांधी सर्किट से जोड़कर विकसित करने की मांग पर कोई पहल नही हो सकी है।
गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर शिक्षाविद डा. स्वयंभू शलभ ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हरदिया कोठी, रक्सौल को गांधी सर्किट में जोड़े जाने के मामले को गत 16 अगस्त 2018 एवं 11 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पर्यटन विभाग को सौंपा था। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को गत 10 अप्रैल 2018 एवं 8 जून 2018 को शिक्षा विभाग को भी प्रेषित किया था।

वहीं इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ के पूर्व गत 4 अप्रैल 2018 को डा. शलभ की अपील के आलोक में डीएम मोतिहारी को मेल भी भेजा था। इस पत्र पर डीएम द्वारा क्या कार्रवाई की गई यह भी अभी तक प्रकाश में नहीं आया।

इन प्रयासों के बीच डा. शलभ ने 17 दस्तावेजों और साक्ष्यों को गत 12 जून 2018 को उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को पटना में सौंपा था जिसे श्री मोदी ने गंभीरता से लेते हुए इस मामले में शीघ्र उचित कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया था।

डा. शलभ के इस प्रस्ताव में महात्मा गांधी के तीन बार रक्सौल आगमन, उनके आह्वान पर रक्सौल में गांधी विद्यालय की स्थापना एवं हरदिया कोठी से जुड़े तमाम तथ्यों को उपलब्ध कराने के साथ ‘सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ में रक्सौल की अनदेखी किये जाने का मामला भी उठाया गया था।

गडकरी का आश्वासन भी हवा:रक्सौल में गांधी द्वार निर्माण के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय के विदेश हिंदी सलाहकार समिति सदस्य अर्जुन भारतीय ने केंद्रित भूतल, सड़क- परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा था।जिस पर आश्वाशन मिला।लेकिन,इस बाबत आज तक कोई प्रगति नही हुई।इस बाबत मीडिया फ़ॉर बॉर्डर हार्मोनी संगठन ने भी सरकार व सांसद का ध्यानाकृष्ट कराया था।इसके बाद केंद्रीय पर्यटन विभाग की एक टीम ने रक्सौल पहुच कर सर्वे भी किया।सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे विधायक प्रतिनिधि प्रो0 अवधेश कुमार सिंह का कहना है कि इस बारे में पर्यटन विभाग को पत्र लिखा जा रहा है।

होगा सत्याग्रह:स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह इस उपेक्षा से दुःखी हैं कि रक्सौल में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा तक नही है।उन्होंने रक्सौल को अविलंब गांधी सर्किट से जोड़ कर संरक्षण-सम्वर्धन की मांग की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!