रक्सौल।(vor desk )।सामाजिक विषमता को बढ़ाकर कभी सामाजिक समता नही आ सकती।हमें सामाजिक परिवर्तन की धारा को मजबूत करते हुए इस विषमतावादी व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है।आइए हम सब मिलकर संविधान निर्माता भारतरत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आदर्शो व सुझावे गए मार्ग का अनुशरण कर इस भेदभाव का खात्मा करें।उक्त बातें अम्बेडकर ज्ञान मंच के संस्थापक मुनेश राम ने मंगलवार को अम्बेडकर ज्ञान मंच व एससी-एसटी कर्मचारी संघ,रक्सौल के तत्वावधान में आहुत बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 65 वें महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कही।उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियों व विषमतावादी व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करनेवाले बहुजन महापुरुषों को सामाजिक दायरे में बांध कर उनकी क्षमता पर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न किया जाता है,जबकि बाबा साहेब जैसे बहुजन समाज में जन्मे महापुरुषों ने कभी किसी समाज के साथ नाइंसाफी नही किये।संविधान निर्माण के दौरान अगर अभिवंचितों के हितों के संरक्षण किये तो दूसरी ओर महिलाओं व मजदूरों के हितों के संवर्ध्दन के साथ भी कोई समझौता नही किया।वही,जेएसएस मिथिलेश कुमार मेहता ने कहा अब समय आ गया है हमें बाबा साहेब के 22 प्रतिज्ञाओं का अनुपालन करने होंगे।बगैर उनके आदर्शो को अपनाकर हम अपना सर्वांगीण विकास नही कर सकते।संरक्षक राजेन्द्र राम ने कहा कि बाबा साहेब को दायरे में बांधना सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर है।उन्होंने संविधान ही नही देश के नवनिर्माण में भी मुख्य भूमिका निभाई।इधर,शिक्षक सकलदेव राम ने कहा कि बाबा साहेब समतामूलक,भाईचारे पर आधारित न्याय व बन्धुता के साथ भारतीय व्यवस्था के निर्माण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा भारतीय संविधान जैसा महत्वपूर्ण व पवित्र राष्ट्रीय ग्रन्थ दिए।हमें संवैधानिक व्यवस्था की मजबूती के लिए इसे अक्षुण्ण रखने की जरूरत है।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रविन्द्र राम व संचालन ताराचंद राम ने किया,जबकि मौके पर रमेश राम,संजीव कुमार,सोहन राम आदि शामिल थे।