Saturday, November 23

नेपाल के मंत्री प्रदीप ग्यवाली ने कहा कश्मीर मामले पर हमारी नजर, बातचीत से सुलझाया जा सकता है मसला!

काठमांडू।(vor desk )। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान ने दुनियाभर में भारत के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की और कश्मीर मामले पर हस्तक्षेप करने की अपील की। लेकिन हर तरफ से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। हालांकि धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। इसी कड़ी में नेपाल ने भी जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। नेपाल ने विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। हम आशावादी और आशान्वित हैं कि वहां पर शांति और स्थिरता रहेगी। प्रदीप कुमार ग्यावली ने आगे कहा कि इस क्षेत्र के (जम्मू-कश्मीर) सदस्य राष्ट्रों (भारत-पाकिस्तान) के बीच किसी भी विवाद को शांतिपूर्ण वार्ता और संवाद के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा हमें विश्वास है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से शांतिपूर्ण और स्थिर होगा, कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा। बता दे कि मंत्री ग्यवाली का बयान सोमवार को तब आया।जब आगामी 21 अगस्त को भारत के विदेश मंत्री जय शंकर नेपाल के दौरे पर पहुच रहे हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से कई देशों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। श्रीलंका, मालदीव, संयुक्त अरब अमिरात, अफगानिस्तान, अमरीका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, इंडोनेशिया आदि तमाम देशों ने बयान देते हुए शांति और सहयोग की अपील की थी। श्रीलंका, मालदीव, संयुक्त अरब अमिरात, अफगानिस्तान, फ्रांस, रूस, इंडोनेशिया आदि देशों ने जहां जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के मामले को भारत का आंतकरिक मामला बताते हुए समर्थन किया, तो वहीं ब्रिटेन और चीन ने भारत-पाकिस्तान को संयम बरतने की सलाह दी और कहा कि आपसी बातचीत के जरिए इसे सुलझाएं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर मामले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का फैसला किया और हर बड़े देश के सामने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी साथ नहीं दिया। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त को एक बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया। मोदी सरकार ने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और से लद्दाख को अलग करते हुए दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया।

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