काठमांडू।( vor desk )।भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 21 अगस्त को नेपाल दौरे पर पहुचेंगें।जहां,नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की लंबे समय से प्रतीक्षित पांचवी बैठक पर चर्चा होगी। इसमे सितम्बर में पीएम मोदी के सम्भावित नेपाल दौरे को ले कर चर्चा हो सकती है।बताया गया कि उक्त बैठक तीन साल बाद हो रही है।जहां नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा और समीक्षा करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बैठेंगे। हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस एजेंडे में कुछ नए मुद्दों पर चर्चा की संभावना है। बता दे कि मई में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के बहुमत से सत्ता में लौटने के बाद विदेश सचिव से सेवा निवृत्त हुए जय शंकर को विदेश मंत्री बनाया गया।इसके बाद से यह भारत की पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी। विदेश मंत्री पद पर जयशंकर आने के बाद से ही ओली सरकार पेशोपेश में दिखती रही है।हालांकि,सूत्रों का कहना है कि भारत अपने’ नेवर हुड फस्ट’ की नीति को आगे बढ़ाने को संकल्पित रहा है।इस बार भी यह दौरा मधुर रिश्ते व सम्बन्धों की बेहतरी की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी होगी।बताते हैं कि दौरा द्विपक्षीय परेशानियों के समाधान पर केंद्रित होगी।जिसमें भारतीय बुनियादी ढांचे के कारण नेपाल की नदियों द्वारा भारतीय क्षेत्र में बाढ की स्थिति से कैसे बचा जाए।इस पर भी चर्चा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक,नेपाल-भारत संबंधों पर प्रबुद्ध समूह द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट भी केंद्र में होगी।जिसे अभी तक दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों को प्रस्तुत नहीं किया गया है।जिस पर भी चर्चा होने की संभावना है ।पिछले साल तैयार की गई रिपोर्ट ग्रुप के पास ही है।मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइप लाइन बन कर तैयार है।
उसका रन ट्रायल भी हो चुका है।इसके उद्घाटन की तिथि निर्धारित होनी है।वहीं, रक्सौल -काठमांडू रेल प्रोजेक्ट का सर्वे हो चुका है।डीपीआर बनाने की तैयारी है।इसके दशा दिशा पर भी चर्चा होनी है ।पर्यटन प्रवर्द्धन व सुरक्षा मसलो पर भी चर्चा की संभावना है।गंगा नदी के माध्यम से कोलकाता से नेपाल सीमा तक अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करना और कृषि क्षेत्र में सहयोग करना भी वार्ता के एजेंडे में शामिल है। विदेश मंत्री स्तर पर संयुक्त आयोग उच्चतम तंत्र है जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा करेगा, और निर्णय लेने के साथ-साथ एक नया खाका बनाने का अधिकार है। आयोग की अंतिम बैठक 2016 में नई दिल्ली में हुई थी। आगामी बैठक फरवरी में होनी चाहिए थी, लेकिन भारतीय संसदीय चुनावों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। काठमांडू में अपने कार्यक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर के नेपाल के राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, प्रधान मंत्री केपी ओली और अन्य वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं से मिलने की उम्मीद है। जयशंकर नेपाली राजनीतिक नेताओं के एक व्यापक स्पेक्ट्रम के साथ बातचीत करेंगे। इधर,नेपाल इस बात पर चर्चा के मूड में है कि भारत की नई सरकार नेपाल के बारे में क्या सोचती है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नई दिल्ली ने अपनी नेपाल नीति को कैसे लेती है।क्या योजनाएं हैं। जयशंकर ने कई बार विदेश सचिव के रूप में और एक बार सितंबर 2015 में नेपाल में नए संविधान के प्रचार से पहले मोदी के विशेष दूत के रूप में काठमांडू की यात्रा की थी।मधेशी अधिकारों को ले कर उनकी सक्रियता नेपाल में शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को लगातार चुभती रही थी।पेशोपेश का यही कारण है।