रक्सौल।(vor desk )।भारतीय जनता पार्टी सांगठनिक जिला इकाई रक्सौल के अध्यक्ष वरुण कुमार सिंह ने भारत सरकार द्वारा पारित कृषि बिल का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद से ही भारत के किसान कई प्रकार के बंधनो से जकड़े हुए थे ।उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था।पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हर संभव प्रयास प्रारंभ किया और उसी क्रम में कृषि विधेयक को लाने का काम किया है जिससे अन्नदाता को आजादी मिली है और किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा।श्री सिंह आज स्थानीय विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा ,पूर्व जिला अध्यक्ष प्रमोद शंकर सिंह,शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रो0 डॉ0 अनिल कुमार सिन्हा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गुड्डू सिंह, भाजयुमो के प्रदेश महासचिव ई0 जितेंद्र कुमार, किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह एवं जिला प्रवक्ता राजकिशोर राय भगत भाजपा नेताओं के साथ हरैया ग्राम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे ।उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी। इस देश में 70% आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। अगर इतनी बड़ी आबादी की आए नहीं बढ़ेगी और सशक्त नहीं होगी तो क्या देश का विकास संभव है ?क्या कृषि में पूंजी निवेश नई तकनीक और औद्योगीकरण समय की मांग नहीं है ?पहले किसानों का बाजार सिर्फ स्थानीय मंडी तक सीमित था उनके खरीदार सीमित थे, बुनियादी ढांचे की कमी थी और मूल्यों में पारदर्शिता नहीं थी।खेती किसानी में निजी निवेश होने से विकास तेज होगा और रोजगार के अवसर बढेंगे। इससे एक देश एक बाजार का सपना भी पूरा होगा। उन्होंने इस आंदोलन को राजनीति रूप से खोखले हो चुके विपक्ष की सरकार के प्रति लोगों को भड़काने का काम करने का काम किया जा रहा है ।इस आंदोलन को लेकर पंजाब के किसानों का रुख विचित्र और विरोधाभासी है यह वह राज्य है जिसने हरित क्रांति में सबसे अधिक योगदान दिया और आज राजनीतिक उकसावे पर यही के किसान एक और हरित क्रांति में बाधक बन रहे हैं। पंजाब में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग 2006 से ही लागू है इससे यहां के किसान लाभान्वित हुए हैं और इसी व्यवस्था को नए कानूनों का अंग बनाया गया है तो केवल यही डर दिखा कर इसका विरोध किया जा रहा है कि कार्पोरेट जगत किसानों की जमीन हथिया लेगा। यह हौआ तब खड़ा किया जा रहा है जब ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है जब किसी किसान की जमीन कारपोरेट ने हथिया ली हो। किसान एक तरफ कारपोरेट जगत का हवा खड़ा कर रहे हैं और दूसरी तरफ उन आढ़तियों के हितों की चिंता करके सड़कों पर उतरे हुए हैं जो खुद भी व्यापारी भी है ।अब इस कानून के आने के पहले वर्ष 2009 -2010 में यूपीए सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट 12 हजार करोड़ रुपये हुआ करता था और आज मोदी जी की सरकार में एक लाख 34 हजार करोड़ रुपये का कृषि बजट है। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक वर्ष के अंदर 75 हजार करोड़ रुपये भारत सरकार के खजाने से निकलकर सीधे किसानों की जेब तक गई है। किसानों को किसानी के लिए तकनीक समर्थक मिल सके इसके लिए देश में मोदी जी की सरकार दस हज़ार एफ पी ओ बनाने का प्रयास में जुड़ी है इस पर 6850 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताते हुए नेताओं ने कहा कि कृषि सुधार बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी का उल्लेख है
। किसानों को इस कानून में पूरा संरक्षण देने का काम किया गया है ।यूपीए सरकार में प्रति क्विंटल धान का एमएसपी में 360 रुपए की वृद्धि हुई जबकि एनडीए सरकार में 568 रुपए की वृद्धि हुई, गेहूं में 270 रुपए की वृद्धि हुई जबकि एन डी ए में 575 रुपए की वृद्धि ।किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मोदी जी की सरकार समर्पित है।मोदी जी की सरकार ने 2014-2019 के बीच 3 लाख करोड़ रुपये का गेहूं खरीदा है जो यू पी ए की तुलना में 200 प्रतिशत अधिक है।5 लाख करोड़ रुपये का धान खरीदा है जो यू पी ए से 2.5 अधिक है।यू पी ए द्वारा खर्च किए गए 650 करोड़ रुपए की तुलना में मोदी जी की सरकार द्वारा 50 हज़ार करोड़ रुपए की दालें खरीदी गई है जो कि 7,592 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि प्रदर्शित करता है। मोदी जी ने किसानों के बीच से विचौलियों को हटाने का कार्य किया गया है।किसान अपने उपज को मंडी के अंदर या देश के किसी भी हिस्से में बढ़ती कीमत पर बेंच सकते हैं।नेताओं ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है सिर्फ किसानों को गुमराह करने का कार्य किया जा रहा है जो सफल नहीं होगा। मोदी जी की सरकार किसानों को समृद्धशाली बनाना चाहती है।