Wednesday, September 25

नगर परिषद कांड में गिरफ्तार मधुबनी के दीपक और सन्नी भेजे गए जेल,साइबर पुलिस अब ढूंढ रही2.62करोड़ राशि के विपत्र जारी होने का राज!

साइबर क्राइम डिपार्टमेंट खंगाल रही कुंडली,जिनके खाते में हुआ था2.62करोड़ के ट्रांजेक्शन का प्रयास

छुट्टी में थे अधिकारी,हो गई घटना,संदेह के दायरे में अधिकारी से कर्मी तक

रक्सौल।(vor desk)। बुच्चड खाना घोटाले के बाद नगर परिषद कार्यालय के खाते से 2.62 करोड़ निकासी के प्रयास का मामला तूल पकड़ चुका है।आर्थिक और साइबर अपराध से जुड़े इस मामले में पूर्वी चंपारण पुलिस ने जांच के दौरान बिहार के मधुबनी के दो लोगों को गिरफ्तार कर शनिवार को मोतिहारी स्थित न्यायिक हिरासत में भेज दिया है ।इससे इस खेल में शामिल बड़ी मछलियों की बेचैनी बढ़ गई है। इस कारवाई के साथ यह भी प्रूफ हो चुका है कि मामले में ‘इलिगल ट्रांजेक्शन’ हुआ था। ‘पेमेंट एप्रूव’ भी हुआ था, जिस पर बैंक में ‘होल्ड’ लगवाया गया था।गिरफ्तार दोनो से हुई पुछ ताछ में कई खुलासे की सूचना है,जिससे इस नेक्सस से जुड़े लोगों के हाथ पांव फूलने लगे हैं।

इधर,गिरफ्तार किए हुए दोनो लोगों की पहचान दीपक कुमार जायसवाल और सन्नी जायसवाल के रूप में हुई है।दोनो मधुबनी के खुटौना के निवासी हैं।दोनो को साइबर क्राइम डिपार्टमेंट के डीएसपी दुर्गा शक्ति के निर्देश पर इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार और मनोरंजन चौधरी के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने छापेमारी कर मधुबनी के खुटौना से गिरफ्तार किया है।उनसे शनिवार को गहन पुछ ताछ हुई और मामले में संलिप्त पाए जाने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत भेज दिया गया है।इसकी पुष्टि एसपी कांतेश कुमार मिश्र ने की है।उन्होंने बताया है कि रक्सौल नगर परिषद कार्यालय में फेंक आईडी बना कर राशि गबन होने के मामले में सत्यापन एवं त्वरित कारवाई करते हुए प्राथमिकी संख्या20/2023 के तहत दोनो साइबर अपराधियो को दो मोबाइल के साथ मधुबनी जिला के खुटौना से गिरफ्तार किया गया है।उन्होंने बताया कि इस मामले में वैज्ञानिक एवं तकनिकी अनुसंधान के आधार पर अग्रतर करवाई जारी है।

*कैसे जेनरेट हुआ भुगतान से जुड़ा विपत्र ,साइबर पुलिस खंगाल रही कुंडली

स्थानीय नगर परिषद कार्यालय विवादों के घेरे में है।अब फंड ट्रांसफर कर घालमेल को लेकर गहन जांच शुरू हो गई है।बिहार पुलिस के साइबर क्राइम डिपार्टमेंट की नजर उन तीन संदिग्ध एजेंसियों(भेंडरो ) से संबंधित खातों पर है ,जिनके पक्ष में ट्रांजेक्शन का प्रयास किया गया था।इस मामले को ले कर मधुबनी के कुढ़नी के दीपक और सन्नी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।दोनो खाताधारक बताए जा रहे हैं।इनके नाम पर क्रमश: 95लाख और 72लाख का विपत्र बनने और इसी आधार पर खाते में रकम ट्रांसफर कर घाल मेल करने की कोशिश का आरोप है,जिसके बारे में नगर परिषद के ईओ अनुभूति श्रीवास्तव का दावा है कि सूचना मिलते ही पेमेंट होल्ड करा दिया गया,जिससे चुना लगाने के मंसूबा पर पानी फिर गया।

बताते हैं कि अवैध ट्रांजेक्शन के प्रयास के खेल में कोलकाता से जुड़े एक अन्य खाता धारक के भी शामिल होने की चर्चा है,जिस पर जांच टीम की नजर बनी हुई है।

वहीं,आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर आशीष कुमार की भी तलाश जारी है,ताकि,पुछ ताछ कर सच्चाई जाना जा सके।

विभाग के इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार के मुताबिक,मामले की बारिकी जांच पडताल जारी है।विभाग की आईटी टीम लगातार सक्रिय है,हरेक पहलू को खंगाला जा रहा है।जल्द ही पूरे मामले के खुलासे की उम्मीद है।

*छूटी में खेल,अधिकारी से कर्मी तक संदेह के दायरे में

सूत्रों के मुताबिक,प्राथमिकी में 23नवंबर को पी एफ एम एस पोर्टल से छेड छाड़ और खाते से 2.62करोड़ के अवैध ट्रांजेक्शन का प्रयास शाम4.30बजे हुई है।बताया गया कि उस दिन ईओ अनुभूति श्रीवास्तव और कंप्यूटर ऑपरेटर अजीत कुमार दोनो ही छूटी पर थे। जब वे 24नवंबर को कार्यालय पहुंचे तो जानकारी हुई।अजीत कुमार ने पीएफएमएस के 15वे वित की जानकारी के लिए प्रभारी प्रधान सहायक की उपस्थिति में लैपटॉप पर लॉगिन का प्रयास किया तो लॉगिन नही हो हुआ। ईनवैलिड यूजर आईडी और फेक आईडी का मैसेज मिला।जिसकी सूचना ईओ को दी गई और जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि पासवर्ड रिसेट करने के साथ पोर्टल से तीन एडवाइस एप्रूब किया गया है।जिन भेंडरो (खाता धारकों)के पक्ष में एडवाइस एप्रूव्ड किया गया है,उनको नप कार्यालय से कोई कार्य आवंटित नही किए गए हैं।ऐसा दावा दर्ज प्राथमिकी में किया गया है।बताया जाता है कि जिस अज्ञात एजेंसी को राशि भुगतान करने की तैयारी थी,उस एजेंसी संचालक के एक पड़ोसी नगर परिषद कार्यालय में कार्यरत बताए जा रहे है।उसकी भूमिका भी विवादों के घेरे में आ गई है।राशि निकासी में चेकर,मेकर व डीडीओ के बगैर एप्रूवल के ट्रांजेक्शन कैसे हुआ,यह भी जांच का विषय है।बताते है कि करीब 2 करोड़ 62 लाख रूपये का ट्रांजेक्शन अनायास संविदाकर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर बगैर क्यू के कैसे जारी हो सकी,यह भी पेचीदा बन गया है।जो अत्यधिक राशि की है।इस वाक्या के दौरान कंप्यूटर ऑपरेटर आशीष कुमार ही ड्यूटी में थे,जो कम्प्यूटर हैंडलर हैं।विभागीय सूत्रों के मुताबिक,लैपटॉप हिस्ट्री व सीसीटीवी फुटेज की जांच में संदेहास्पद सुराग मिला।वही,बाद में आशीष से 24और 25नवंबर को पूछताछ हुई।जिसके बाद बड़े राशि गबन के प्रयास किए जाने के मामले को देखते हुए 26नवंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई गई। मजे की बात यह रही किस जिस सीनियर कंप्यूटर ऑपरेटर अजीत कुमार श्रीवास्तव के लैपटॉप से छेड़ छाड़ हुई,उसी से प्राथमिकी दर्ज कराई गई,जबकि,मेल और लॉगिन मोबाइल या कंप्यूटर ,लैपटॉप से कही से भी हो सकता है।ऐसे में इंटरनेट के आई पी एड्रेस की जांच की मांग भी उठ रही है।इस बीच,साइबर पुलिस जब पहुंची तो ईओ ने आशीष से नियंत्रण में लिए गए लैपटॉप और उसके मोबाइल को सुपुर्द किया,जबकि,इस मामले में पुलिस को त्वरित सूचना दे कर जरूरी करवाई होनी चाहिए थी।कुछ इन्ही अनुतरित सवालो के वजह से अधिकारी से ले कर कर्मी तक संदेह और जांच के दायरे में आ गए हैं।अब चर्चा शुरू है कि दीपक और सन्नी के बाद किसकी गिरफ्तारी होगी?क्या बड़ी मछलियों पर कारवाई होगी?

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