Monday, September 30

गांधी के राम राज देखीं रउआ कागज पर … पोखरा और इंदिरा आवास देखीं रउआ कागज पर… !

काव्य पाठ करती शिखा रंजन

*होली के पूर्व संध्या स्वच्छ रक्सौल संस्था द्वारा कवि सम्मेलन सह होली मिलन समारोह आयोजित

रक्सौल।(vor desk)।स्वच्छ रक्सौल संस्था द्वारा होली की पूर्व संध्या शहर के हजारी मल स्कूल के प्रांगण में कवि सम्मेलन सह होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। स्वच्छ रक्सौल
संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह के नेतृत्व में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो डा o हरिन्द्र हिमकर ने की।मंच संचालन-अवध किशोर “अनुराग” ने की।उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि और वरिष्ठ समाजसेवी भरत प्रसाद गुप्त ने होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कवि सम्मेलन और साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन समय समय पर होते रहना चाहिए,यह कुरीतियों को मिटाने के साथ समाज को दिशा देने के साथ नव निर्माण का कार्य करती है।होली पर काव्य पाठ से पर्व का आनंद और मस्ती को दुगुना हो जाता है।
कार्यक्रम की शुरुवात सरस्वती वंदना से हुई,जिसकी प्रस्तुति कवियित्री नीतू कुमारी कुशवाहा ने दी।
इस मौके पर
शारदा कला केंद्र की निर्देशिका शिखा रंजन काव्य यात्रा की शुरुवात होली गीत से करते हुए कुछ यूं गुनगुनाया -‘रंगो की वर्षात है होली, प्रेमो की भंडार है होली,जो अपने रंग में रंग देती,वही सच्ची होली कहलाती!’
वहीं,नारियों की कुर्बानी पर सुनाया-‘कभी मां,,कभी पत्नी और कभी बेटी का रूप ले कर…विपरीत हालातो का रूख मोड़ कर…खुशियों को घर लाती है!…वो नारी ही है,जो हर रूप में ढलती है..!!

वहीं,नीतू कुमारी कुशवाहा(शिक्षिका)-मैं हूँ पानी इन रंगों की जवानी के जरिए चर्चा बटोरी,तो,सोहन लाल ‘दीवाना’ (भोजपुरी हास्य व्यंग्य ) ने’ गांधी के राम राज देखीं रउआ कागज पर …
पोखरा, इंदिरा आवास देखीं रउआ कागज पर !जैसी प्रस्तुति पर खूब तालियां बटोरीं।


तो,डॉ जाकिर हुसैन “जाकिर” (उर्दू शायर, गजलकार) ने-‘सिलसिला मुहब्बत का टुटने नहीं देंगें..
ये अमानत है हमारी इसे झुकने नहीं देंगें!पर खूब वाह वाही लूटी।
वहीं,-धनुषधारी कुशवाहा( भोजपुरी हास्य व्यंग्य के कवि)ने -‘ हमर बुढ़िया तिरछी आंखें, मधुर मुसुकिया दागेले ।
सांच कहिं त आजो हमरा, नयकी कनिया लागेले ।की प्रस्तुति से खूब हंसाया ।
जबकि,कमर चम्पारणी, (उर्दू शायर व गजलकार) ने-‘ मेरा दिल तड़पता रहा तेरी दोस्ती की ख़ातिर ।
मैं कहाँ न सर झुकाया तेरी बंदगी की खातिर ।से खूब झुमाया।
इसी तरह डॉ शबा अख्तर “शोख”(उर्दू शायर, गजलकार) ने एक ये जमाना है एक वो जमाना था ।
जब आग का दरिया था और खुद जल कर जाना था ।से तालियां बटोरी।


वहीं-बलराज सिंह, (शास्त्रीय संगीत गायक) ने ब्रज होली का गायन कर खूब झुमाया।इस दौरान अरुण गोपाल “अरूण” शायर,-असरफ अली “असरफ”( शायर व गजलकार),हृदय कुमार “प्रीत” (युवा कवि व शायर) ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
धन्यवाद ज्ञापन ब्रजेश कुमार ओझा(पूर्व क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक'(तिरहुत))ने की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!