Tuesday, October 1

राज्य पशुपालन विभाग ने जारी किया सुअरों को मारने का आदेश,1 किलोमीटर का एरिया ‘इंफेक्टेड जोन’व 10 किलो मीटर एरिया ‘सर्विलांस जोन’ घोषित!

*बाहर से सुअर लाने ले जाने पर रोक, स्वाइन फीवर से इंसानों को खतरा नहीं

*मारे गए सुअर के एवज में लाभुकों को मिलेगा मुआवजा,किलिंग के लिए होगी प्रशासनिक स्तर पर कमिटी का गठन

रक्सौल।(vor desk )।पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में पहली बार सुअरों में अफ्रीकन स्वाईन फीवर की पुष्टी होने के बाद बिहार के राज्यपाल के आदेश से राज्य पशुपालन विभाग ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर एक किलोमीटर के एरिया को ‘इंफेक्टेड जोन’ व 10 किलो मीटर के एरिया को सर्विलांस जोन घोषित कर दिया है।रक्सौल नगर के वार्ड 7 को केंद्र बिंदु माना गया है। इस बाबत पूर्व से जारी अलर्ट के बीच विभाग के सचिव ने सुअरों को मारने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।मारे गए सुअरों के एवज में लाभुकों यानी सुअर मालिको को मुआवजा देने का भी प्रावधान किया है।इसके साथ ही कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

आदेश जारी होने के साथ ही पशुपालन विभाग व रक्सौल प्रशासन आदेश कार्यान्वयन में जुट गई है।रक्सौल के कार्यपालक दण्डाधिकारी सह नगर परिषद के कार्यवाहक कार्यपालक पदाधिकारी सन्तोष कुमार सिंह ने बताया कि सुअरों को डिस्पोजल ( दफन ) के लिए सुरक्षित स्थल चयन के लिए कमिटी गठित कर दी गई है।

वहीं,जिला पशुपालन पदाधिकारी प्रवीण कुमार के निर्देश पर रक्सौल के प्रखण्ड पशुपालन पदाधिकारी विकास चन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम सुअर के वास स्थान व संख्या के सर्वे में जुटी हुई है।

बता दे कि एक माह पहले जून माह के प्रथम पखवाड़े में रक्सौल नगर क्षेत्र में सुअरों के अचानक मरने की घटना सामने आई।रक्सौल प्रशासन व नगर परिषद की पहल पर पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की 5 सदस्यीय टीम ने यहां मृत सुअरों की जांच की सेम्पल कलेक्शन कर भोपाल व कोलकत्ता भेजा।जिसके बाद नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ हाई सिक्यूरिटी एनिमल डिजिज , भोपाल में जांच के बाद अफ्रीकन स्वाईन फीवर की पुष्टी की गई है।जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सेम्पल टेस्ट में सुअरों के पूरे रक्त,हार्ट,लिवर,प्लीहा,फेफड़ा,किडनी ,आंत में स्वाइन फीवर पीजिटिव पाया गया है।जांच रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन, व स्वास्थ्य महकमा व पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर आ गया।

पूर्वी चंपारण के पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में पालन होने वाले सभी सुअरों को मारने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही 10 किलोमीटर के अंदर सर्विलांस जोन बनाया गया है। इन क्षेत्रों के अंदर सभी सुअरों की जांच कराई जाएगी। साथ ही सुअरों को बाहर से लाने और ले जाने व मांस की बिक्री पर भी रोक लगाने की पहल शुरू कर दी गई है।सुअरो के खाद्य सामग्री को भी नष्ट करने के निर्देश हैं। इसके लिए प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ विकास चन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में चार सदस्यीय सर्वेक्षण टीम गठित कर दी गई है,जो प्रभावित क्षेत्रों में सुअरों के पालन व रहने वाले स्थान को चिन्हित करने और उनकी गणना में जुटी हुई है।इसका ध्यान रखने को कहा गया है कि संक्रमण का फैलाव न हो।इसके लिए प्रभावित क्षेत्रों को सैनिटाइज करने का भी निर्देश दिया गया है।सभी सुरक्षात्मक प्रबंध,बायोसिक्युरिटी मानकों का पालन कर जागरूकता फैलाने ,बीमारी का प्रचार प्रसार करने पर पूरा फोकस है।

विभागीय गाइडलाइन के तहत मारे जायेंगे सुअर

पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रवीण कुमार ने कहा कि
इस ‘स्वाइन फीवर’ रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और चूँकि इस बुखार का कोई इलाज नहीं है, अतः इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।एक किलोमीटर के दायरे में जितने भी सुअर है, उसका विभागीय गाइडलाइन के अनुसार किलिंग किया जाएगा।अनुमति मिलने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।ताकि सुअरों का विधिवत ढंग से ‘इंजेक्ट ‘कर मारा जा सके।इस क्रम में पशुपालन निदेशालय के चिकित्सकों की टीम भी मौजूद रहेगी। सरकार पशुपालकों को इसका मुआवजा देगी। कलिंग किए गए सुअरों को करीब 6 फीट गहरे गढ्‌ढा में दबाया जाएगा। इसमें चूना व ब्लीचिंग का छिड़काव भी कराने का निर्देश दिया गया है।सुअरों को दफन करने के लिए पार्टिकुलर स्थान को चिन्हित करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।

*मर चुके हैं सैकडों सुअर
रक्सौल। अफ्रीकन स्वईन फीवर से अब तक करीब 115 से अधिक सुअरों की मौत की आधिकारिक पुष्टि रक्सौल नगर परिषद कार्यालय कर चुकी है। हालांकि,गैर आधिकारिक तौर पर यह संख्या सैकड़ो में है।

*लगातार मर रहे सुअर,लापरवाही जारी:

सुअर जून के प्रथम सप्ताह से ही मर रहे हैं।शुरुवात में मरे सुअरों को हटाने। की पहल हुई थी।लेकिन, सुअर अब भी मर रहे हैं।मंगलवार को भी मृत सुअर कौड़िहार चौक कर शिवपुरी मुहल्ला,स्टेशन रोड के नाले में मरा पाया गया।विभागीय स्तर पर संक्रमण रोकथाम के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।शहर के रेलवे स्टेशन रोड व बाजार समेत कई क्षेत्रों में सुअरों के स्वछंद विचरण की सूचना है।इनके मल मूत्र त्याग करने से लोग डरे हुए हैं।साफ सफाई के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।बावजूद,लापरवाही जारी है।

इंसान को कोई नुकसान नहीं : पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रवीण कुमार ने बताया कि अफ्रीकन स्वाईन फीवर एक एेसी बीमारी है जिससे आम आदमी या अन्य पशुओं को नुकसान नहीं होगा। यह बीमारी सिर्फ सुअरों में फैलती है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। फिर भी सावधानी आवश्यक है।

लाखों का नुकसान
रक्सौल।सुअर पालने वाले एक युवक ने बताया कि मार्च में सूअर के बच्चे आसाम सहित अन्य राज्यों से लाया जाता है। 8 से 10 महिने में सुअरों का वजन 60-70 किलो तक हो जाता है।बताते हैं कि नगर के वार्ड 7 दलित बस्ती व वार्ड 12 के पुरानी पोखरा समेत कई बस्तियों के खोबाड़ में एक भी सुअर नही बचे हैं।

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर :
पहली बार वर्ष 1920 के दशक में अफ्रीका में इसका पहला मामला सामने आया था। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू एक अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित हो जाते हैं।जुकाम,आंख में कीचड़, अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा में लाल-लाल धब्बा (रक्तस्राव), उल्टी और दस्त,पीछे के हिस्से में रक्तयुक्त छाला इसके प्रमुख लक्षण हैं। यह एसफी वायरस से फैलता है। इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है।

स्वास्थ्य विभाग कर रही जागरूक,स्वास्थ्य जांच भी:

स्वाइन फीवर की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों को जागरूक करने के साथ प्रभावित एरिया में हेल्थ स्क्रीनिंग में जुटी है।ताकि,स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर तुरंत इलाज शुरू हो। रक्सौल स्थित अनुमण्डलिय असप्ताल के उपाधीक्षक डॉ राजीव रंजन कुमार ने बताया कि चार अलग अलग टीम हेल्थ स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान में जुटी है।मंगलवार को मेडिकल ऑफिसर मुराद आलम के नेतृत्व में वार्ड 7 में जुटी रही।

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