Thursday, October 3

राज्य निर्वाचन आयोग के रक्सौल नगर के वार्ड 18 की पार्षद खुश्बू देवी को किया पद मुक्त!

रक्सौल।( vor desk )।नगर परिषद के वार्ड संख्या 18की वार्ड पार्षद खुशबू देवी को राज्य निर्वाचन आयोग ने पदमुक्त कर दिया है।यह निर्णय लम्बी सुनवाई के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया है।इस निर्णय के आते ही नगरीय क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।नामांकन के दौरान सही तथ्यों की जानकारी छुपाने का आरोप है और इसी आरोपों की पुष्टि के बाद चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया है।चुनाव आयोग के समक्ष निर्वाचित होने के बाद तीसरे पुत्र प्राप्ति को आधार बना वार्ड सं.- 18 की पार्षद खुशबू देवी की सदस्यता रद्द करने के लिए रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के ब्लॉक रोड छोटा परौवा के रहने वाले सुरेश कुमार ने राज्य निर्वाचन आयोग से अपील की थी जिसमे वादी ने आरोप लगाया था कि वार्ड पार्षद खूशबू देवी ने तथ्य को छिपाकर नगर परिषद का चुनाव लड़ी जो बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 (1)(एम ) एवं धारा 18( 2 )के तहत मामले में दोषी बताते हुए उनपर प्राथमिकी दर्ज करने तथा उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए वाद संख्या 07/2020 में अपील की गई थी । जिसमे विचाराधीन वाद की अंतिम सुनवाई दिनांक 24/02/2021 को किया गया था तथा न्यायालय द्वारा आदेश सुरक्षित रख लिया गया था परंतु कोविड 19 महामारी के दूसरे लहर से तथा पंचायत आम निर्वाचन 2021 में आयोग की अतिव्यस्तता के कारण आदेश पारित नही हो सका।फिर इस मामले की सुनवाई 4 मार्च,23 मार्च और 30 मार्च 2022 को हुई।इस दौरान पूर्व के साक्ष्य और तथ्यों को हीं उपस्थापित किया गया।कोई नया साक्ष्य और तथ्य न्यायालय के सामने उपस्थापित नहीं कराये गए।

फलतः आयोग ने कोविड के बाद लम्बी अवधि बीत जाने के कारण पुनः सुनवाई करते हुए प्रतिवादी पक्ष से कोई जबाब नही दिए जाने का हवाला देते हुए वार्ड पार्षद खुशबू देवी को अयोग्य करार देते हुए पदमुक्त कर दिया है। वादी के पक्षकार व पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट सन्तोष भारती का कहना है कि खुशबू कुमारी वार्ड नंबर 18 से निर्वाचित वार्ड पार्षद है।जिनकी तीन संतानें है।जिनमें तीसरे और आखिरी संतान की जन्मतिथि 5 फरवरी 2019 है।जो बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18(1)(m) निर्धारित कटऑफ डेट 4 अप्रैल 2008 के बाद की है।जिला प्रशासन के द्वारा जांच के उपरांत पत्रांक 144 दिनांक 21-3-2022 के तहत प्रतिवेदन समर्पित करने के उपरांत न्यायालय कै फैसले के बाद चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई की है।राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के प्रति को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव,जिला निर्वाचन पदाधिकारी और रक्सौल नगर परिषद प्रशासन को प्रेषित कर दिया गया है।

अपितु,इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि तथ्यों को छुपाने का खामियाजा चुनावी नामांकन के बाद कभी भी भुगतना पड़ सकता है।वैसे तो जानकर बताते है कि सही तथ्यों पर गौर करें तो उक्त आरोप खुशबू देवी पर पूर्णतया लागू नही हो सकता।कारण,उनके वार्ड का चुनाव लड़ने के दौरान उन्हें दो संतान ही थे,लेकिन निर्वाचित होने के दो साल बाद 5 फरवरी 2019 को तीसरे व आखिरी पुत्र के रूप में एक और संतान की प्राप्ति हुई।लिहाजा, नामांकन पत्र जमा करते समय वार्ड पार्षद द्वारा कोई तथ्य छुपाना प्रतीत नही होता।बाद में उत्पन्न संतान के बारे में स्पष्टयतः कोई निर्देश नही है,जिसके आधार पर उन्हें पदमुक्त किया जा सके।

बहरहाल,आयोग के फैसले को अपदस्थ पार्षद सक्षम न्यायालय में चुनौती देती है या इसे अंतिम फैसला मान लेती है,यह समय के गर्त में है ।हालांकि,इस बाबत पार्षद खुश्बू देवी सम्पर्क करने का प्रयास विफल रहा,लिहाजा उनका पक्ष नही मिल सका।उनके समर्थकों का कहना है कि यह एक पक्षीय फैसला है।वैसे भी निर्णय आने में हुई बिलम्ब के बाद अब फिर से नगर निकाय चुनाव के बिगुल बज गए है,आयोग की घोषणा बाकी है।नतीजतन,लोग इस मामले में वादी की जीत को लेकर खूब चुटकी लेने लगे है…….बहुत देर कर दी…हुजूर आते-आते .!

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