Thursday, October 3

अब तक किसी एयरलाइंस कम्पनी ने रक्सौल से आरसीएस उड़ान के लिए नही लगाई है बोली!

रक्सौल।(vor desk)। रक्सौल हवाई अड्डे को ऑपरेशनल बनाये जाने को लेकर डॉ. स्वयंभू शलभ द्वारा भेजे गए पत्र के जवाब में प्रवर्त्तन निदेशालय, एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने बीते 4 मार्च को बताया है कि भविष्य में किसी भी एयरलाईन द्वारा रक्सौल को जोड़ने वाले मार्गों के लिए बोली प्रस्तुत करते ही उस पर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम के प्रावधानों के अनुसार विचार किया जाएगा। रक्सौल हवाई अड्डा क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम दस्तावेज में असेवित हवाई अड्डों की सूची में उपलब्ध है। किसी भी एयरलाइन बोलीदाता ने रक्सौल हवाई पट्टी से आरसीएस उड़ान संचालित करने का प्रस्ताव अभी तक प्रस्तुत नहीं किया है। मेल में आगे बताया गया है कि आरसीएस-उड़ान के तहत एसएओ- चयनित एयरलाइन ऑपरेटर को वैध बोली और अवार्ड के माध्यम से असेवित और कम सेवा वाले हवाईअड्डों का पुनरुद्धार अथवा उन्नयन इसकी पहचान पर किया जाएगा। विदित है कि रक्सौल एयरपोर्ट को फंक्शनल बनाये जाने को लेकर डॉ. शलभ द्वारा पीएमओ को भेजी गई अपील के आलोक में एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा अब तक तीन बार इस एयरपोर्ट की स्टेटस रिपोर्ट पीएमओ को सौंपी जा चुकी है। नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार के राज्यमंत्री जनरल डॉ. वी. के. सिंह की राय भी इस हवाई अड्डे को लेकर सकारात्मक है। उन्होंने भी गत 17 अगस्त 2021 को डॉ. शलभ को भेजे अपने मेल संदेश में कहा था कि हमारा प्रयास है कि रक्सौल जैसे हवाईअड्डे क्रियाशील हों, परंतु इसके लिए धैर्य की आवश्यकता है। मुझे पूरा विश्वास है कि जनता की उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से हवाई कंपनियां ऐसे हवाई अड्डों से सेवा आरंभ करने में रुचि दिखाएंगी।
इस कड़ी में पीएम पैकेज बिहार- 2015 में आबंटित 250 करोड़ की राशि का उपयोग रक्सौल एयरपोर्ट के विकास में किये जाने और एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा 121 एकड़ की अतिरिक्त भूमि के आबंटन की मांग जो बिहार सरकार से की गई उसे यथाशीघ्र उपलब्ध कराये जाने हेतु डॉ. शलभ ने मुख्यमंत्री के साथ लगातार पत्राचार किया है, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा क्रमशः गृह सचिव, कैबिनेट सचिव, मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव, संसदीय कार्य को भेजा जा चुका है। इस विषय में डॉ. शलभ ने कहा कि रक्सौल में बंद पड़े एयरपोर्ट को एयरलाईन हब के रूप में विकसित करके घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का प्रमुख केंद्र बनाया जा सकता है। सीमा क्षेत्र के विकास व राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत सरकार की यह परियोजना काफी महत्वपूर्ण होगी।

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