Sunday, October 6

अस्तचलगामी सूर्य को रक्सौल में छठ व्रतियों ने दिया अर्ध्य,उमड़ा आस्था का जन सैलाब ,हादसा टला!


रक्सौल।( vor desk)।लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन बुधवार को भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी रूप को अर्घ्य दिया गया ।

कोविड काल के बाद इस बार छठ पर्व को ले कर उत्साह दिखा।शहर के विभिन्न छठ घाटों पर धूम धाम से छठ पूजा का आयोजन हुआ।सुमधुर छठ गीतों के बीच व्रती पूजा अर्चना में रहे। छठ घाटों की सजावट देखते ही बन रही थी।

इस महा पर्व पर सरिसवा नदी के जल के प्रदूषित रहने का मलाल व्रतियों व श्रद्धालुओ के चेहरे पर साफ दिखाई दिया।

घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे।डीएसपी चन्द्र प्रकाश,डीसीएलआर राम दुलार राम,कार्यपालक दण्डाधिकारी सन्तोष कुमार सिंह,बीडीओ सन्दीप सौरभ,सीओ विजय कुमार ,थानाध्यक्ष शशिभूषण ठाकुर समेत अन्य पुलिस- प्रशासनिक अधिकारियों ने छठ घाटों का दौरा किया और शुभकामनाएं दी।

हादसा टला:शहर के कस्टम घाट पर चचरीपुल के देर शाम घर लौटते वक्त अत्यधिक लोड की वजह से टूट गया।जिंसमे कई लोग नदी में गिर गए।इस दुर्घटना व लापरवाही के बीच स्थिति नियंत्रित रहा,क्योंकि, कोई हादसा नही हुआ।वरना,बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।

महत्व:ऐसी मान्यता है कि छठ की शुरुआत आदि काल से चली आ रही है। भगवान राम ने भी छठ किया था। भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या आए तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्य की उपासना की। उन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। सप्तमी तिथि को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके बाद से आम जन भी इसी तरह से भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। जिससे छठ पूजा की शुरुअात कहा जाने लगा।

14 घाटों पर छठ पूजा:परम्परा के तहत सीमावर्ती रक्सौल में भी बड़े धूमधाम से आज सूर्योपासना का महापर्व मनाया गया।

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया गया, और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर गये।

सभी छठव्रतियों ने नेपाल की पहाड़ियों से से निकलने वाली उत्तरवाहिनी सरिसवा नदी के तटव्रती घाट यथा तुमड़िया टोला के भकुवा ब्रह्म बाबा घाट,कस्टम घाट,आश्रम रोड घाट,बाबा मठिया,कोइरिया टोला,समेत तुमड़िया टोला मन्दिर घाट, कौड़िहार नहर चौक सूर्यमन्दिर आदि घाटों के किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान कार्य संपन्न किया।इसके अलावे घरों पर भी छठ का आयोजन हुआ।

यह बता दें कि सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है ,तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है।

इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बना रहा।दंड देने वाले श्रद्धालुओ ने नदी में स्नान के बाद अर्ध्य दिया।तो,मन्नत पूरी होने के बाद कोसी भी भरी गई।इसको ले कर घर से ले कर घाट तक गाजे बाजे से सपरिवार पुजा अर्चना हुई।

बता दे कि गुरुवार की सुबह में भगवान भुवन भास्कर के उगते हुए स्वरुप को अर्घ्य देने के साथ ही इस लोक आस्था के महापर्व का समापन होगा।( रिपोर्ट-गणेश शंकर/राजेश केशरीवाल)

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