Tuesday, September 24

मानसिक रोग से जुड़े मसलों पर किया गया जागरूक,टेली मानस और उपचार के लिए जिला से आई टीम के द्वारा दी गई जानकारी

रक्सौल।(vor desk)।।पूर्वी चंपारण के सिविल सर्जन डा अंजनी कुमार के निर्देश पर  रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे से जूझ रहे लोगों को सहायता व इसके रोगियो के बेहतर उपचार और टेली मानस के बारे में जागरूक किया गया।साथ ही स्वास्थ्य कर्मियो को आवश्यक जानकारी दी गई।अस्पताल उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार की उपस्थिति में जिला से आए मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम विभाग के मेडिकल ऑफिसर डा मुकेश कुमार,नगमा जमीर(क्लीनिक साइक्लोजी),उत्कर्ष उज्ज्वल (साइकलोजिस्ट ),अवधेश शर्मा(वार्ड असिस्टेंट)की टीम ने आउट रिच गतिविधि के तहत यहां आयोजित कार्यक्रम में संयुक्त रूप से बताया गया कि अवसाद और मानसिक रूप से परेशान रहने वाले लोगों को अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अब उन्हें किसी महंगे डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। जिला अस्पताल में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक रोग हेल्प लाइन शुरू हो गई है। इसमें मनोचिकित्सक की तैनाती के साथ ही अन्य स्टाफ टीम सक्रिय है। आउट डोर क्लीनिक के समय पर अब तक हेल्प लाइन पहुंचकर 14416 और 1800891441पर लोग इसका लाभ उठा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान की व्यस्त जीवन शैली एवं उचित खानपान न होने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। इससे अवसाद एवं अन्य मानसिक बीमारियां भी उत्पन्न हो रही हैं।जिसको देखते हुए  उपचार और काउंसलिंग की सुविधा दी जा रही है।उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों से कहा कि यदि क्षेत्र में इस रोग के लक्षण वाले कोई मरीज दिखते हैं,तो उनको अनुमंडल अस्पताल व पीएचसी लाएं। जहां से मोतिहारी रेफर करने के बाद नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिल सकेगी।
किसे है कॉऊसीलिंग की जरूरत :
मानसिक रोग के लक्षण किसी में भी हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षण तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक गुस्सा, लगातार सिरदर्द रहना, नींद न आना, रोने का मन करना, दौड़े पड़ना, किसी स्थिति या परिस्थिति में घबराहट-बेचैनी होना, बड़ी बड़ी लंबी चौड़ी बातें (गप्प) करना, याददाश्त कम होना, मंद बुद्धि होना, किसी कार्य को करने से खुद को रोक ना पाना और किसी कार्य को बार बार करना, अपने मनचाहे काम में मन ना लगना, विषम परिस्थितियों से उबर ना पाना, दुखी रहना, अत्यधिक शक करना, अत्यधिक डर लगना, तरह तरह की आवाजें सुनाई देना ,आत्महत्या की इच्छा रखना आदि। अगर किसी को इस तरह के कोई लक्षण है तो उनको परामर्श के साथ काउंसलिंग लेने की जरूरत है।

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