Wednesday, September 25

कस्तूरबा स्कूल में मैट्रिक परीक्षा के फॉर्म भरने में हुई लापरवाही पर जिला प्रशासन गंभीर,मनोकामना साइबर कैफे का लैपटॉप और सीपीयू रक्सौल पुलिस ने किया जब्त!

रक्सौल।(vor desk)।बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के युग में मैट्रिक व इंटर के छात्राओं से परीक्षा फॉर्म और रजिस्ट्रेशन शुल्क लेने के बाद भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में राशि और फार्म जमा नही करने का मामला तूल पकड़ गया है।करीब पंद्रह सौ छात्राओं के भविष्य पर अनिश्चितता का बादल मंडरा रहा है।इस प्रकरण को पूर्वी चंपारण प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।मामले में जांच पडताल शुरू हो गई है।जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार से भी ज़बाब तलब होने की सूचना है।सूत्रों ने बताया कि जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने शनिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार और रक्सौल के कस्तूरबा कन्या +2 विद्यालय के हेड मास्टर अजय कुमार से जबाव तलब किया।इससे शिक्षा महकमे में दिन भर हड़कंप रहा ।वहीं इस मामले में लापरवाही बरते जाने पर गाज गिरने की आशंका से खलबली मची रही।विधालय के शिक्षको ने भी दबे जुबान से स्वीकार किया कि जिलाधिकारी महोदय द्वारा ज़बाब तलब किए जाने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक के साथ एचएम जिला प्रशासन कार्यालय पहुंचे।इधर एसपी कांतेश कुमार मिश्रा ने भी कहा है कि हेड मास्टर की भूमिका की भी जांच होगी।

इस बीच,विधालय के 12वीं के210 व मैट्रिक के 743 छात्राओं के फार्म और नौवीं के 643 छात्राओं के रजिस्ट्रेशन को ऑन लाइन भरने के लिए दी गई कुल 11लाख 15 हजार 558रुपए की नकदी रकम गबन करने के मामले में भी पुलिस जांच तेज हो गई है ।मोतिहारी एसपी के निर्देश पर रक्सौल पुलिस ने दर्ज प्राथमिकी संख्या541/23 के आलोक में जांच और करवाई बढ़ाते हुए राम जानकी मंदिर रोड स्थित मनोकामना साइबर कैफे के संचालक राजेश कुमार आर्य और उनके पुत्र अभिषेक कुमार आर्य को मोतिहारी स्थित न्यायिक हिरासत भेज दिया है।उनसे कड़ी पूछ ताछ की गई।मिली जानकारी पर अग्रतर जांच शुरू की गई है।जिसके तहत शनिवार को मनोकामना साइबर कैफे में पुलिस टीम ने जांच पडताल की और दो लैपटॉप, दो सीपीयू जब्त कर रक्सौल थाना लाई।ताकि,गहन जांच पड़ताल हो सके कि असली सच्चाई क्या है।

लौपटॉप और सीपीयू जब्त कर थाना ले जाती रक्सौल पुलिस

वहीं,इस प्रकरण में दर्ज प्राथमिकी में आरोपित अविनाश कुमार आर्य की भी पुलिस तलाश कर रही है। रक्सौल थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर नीरज कुमार का कहना है कि पुलिस मामले में बारिक जांच पडताल कर रही है।विधालय प्रबंधन से भी पुछ ताछ होगी।

साइबर कैफे में जांच को पहुंची पुलिस

इस पूरे प्रसंग के बीच परीक्षा फॉर्म भरने वाली विधालय की छात्राएं काफी मायूस दिखी।अभिभावकों में भी आक्रोश के साथ बच्चियों के भविष्य की चिंता साफ दिखी।

पुरे प्रकरण में विधालय प्रबंधन की लापरवाही और लीपापोती की चर्चा खूब हो रही है। मजे की बात यह रही कि विधालय में कंप्यूटर है।विधालय प्रबंधन की सफाई दे रहा है कि कंप्यूटर ऑपरेटर नही है।इसी कारण विधालय प्रबंधन निजी साइबर कैफे से फॉर्म भरवाती रही और बदले में कमीशन भी देती रही।इस बार कथित रूप से राशि गबन हो गई।

विधालय में कंप्यूटर

इस पर यह सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि यदि विद्यालय में कंप्यूटर था,तो,किसी प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर को रख कर विधालय में फॉर्म क्यों नही भरवाया गया?इस बात की भी चर्चा तेज है कि कि पूरे वाक्या में हेड मास्टर अजय कुमार और नाइट गार्ड रमेश कुमार के बीच ही खिचड़ी क्यों पकती रही ?सूत्रों का दावा है कि विधालय के कार्यालय से जुड़े प्रपत्र,पंजी संधारण से ले कर रजिस्ट्रेशन और फार्म भरने का कार्य भी कथित रूप से रमेश कुमार देखते थे।यदि ऐसा था तो यह स्थिति कैसे और क्यों रही?क्या इस पूरे खेल के पीछे कुछ और मसला है?सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि परीक्षा फॉर्म और रजिस्ट्रेशन के नाम पर परीक्षा समिति के निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली हुई है।जो अब खुल कर सामने आने लगा है।इस बीच यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि सारी जिम्मेवारी साइबर कैफे पर ओढ़ा कर विधालय प्रबंधन कैसे बरी हो सकता है?यदि साइबर कैफे संचालक ने लिए गए रकम के एवज में बनाए गए बॉन्ड के मुताबिक 30नवंबर2023 को पूरी रकम की भरपाई कर दी होती तो क्या होता?क्या वे जेल जाते?यदि भरपाई हो गई होती तो इस पूरे मामले में दोषी किसे माना जाता,लापरवाही की जिम्मेवारी किसकी होती?पूरे परिदृश्य में शिक्षा विभाग की लापरवाही और लिपापोती के साथ विभागीय कार्य संस्कृति ने करीब 1500छात्राओं को बेचैन कर डाला है,जिसका ,हल फिलहाल सामने नही आया है,क्योंकि,परीक्षा नियंत्रक ने इस बारे में अपने पत्ते नही खोले हैं।सवाल तो यह भी खड़े किए जा रहे हैं कि विलम्ब शुल्क के साथ फार्म भरने का मौका होता है,फिर,इतनी बड़ी चूक कैसे हुई! विधालय के हेड मास्टर अजय कुमार का कहना है कि विधालय परीक्षा समिति से फार्म स्वीकारने और विशेष परीक्षा तिथि घोषित करने का आग्रह किया गया है।इधर,मनोकामना साइबर कैफे के संचालक राजेश आर्या के बड़े भाई दिनेश आर्या ने सवाल खड़े किए हैं कि हम अकेले कैसे दोषी हैं?यदि हमने फार्म नही भरा तो विधालय प्रबंधन ने पूरे पैसे क्यों दिए?जबकि, उन्हे ससमय अवगत करा दिया गया था कि विभागीय साइट में प्रॉब्लम है!विधालय प्रबंधन विभागीय गलती का ठीकरा हम पर फोड रहा है।

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