Sunday, September 22

नागरिकता विधेयक को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने दी मंजूरी,नेपाल मे ब्याही गई भारतीय बेटियो को भी मिलेगी नागरिकता 


रक्सौल।( Vor desk )।नेपाल में दोनो सदन से बहुमत से पारित प्रथम नागरिकता संशोधन विधेयक 2022 को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने बुधवार को मंजूरी दे दी।इसके साथ नेपाल के राज पत्र में गजट भी प्रकाशित कर दिया गया है,जिससे नागरिकता देने का काम शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है।इस ऐतिहासिक फैसले से वीरगंज , कलैया,गौर,जनकपुर समेत मधेश प्रदेश ही नहीं बल्कि,नेपाल भर में खुशी का माहौल है,क्योंकि,अब तक नागरिकता से वंचित लोगों को नागरिकता मिल सकेगी।वीरगंज में जसपा नेताओं ने दीप जला कर स्वागत किया है और राष्ट्रपति के प्रति आभार प्रकट किया है।

इस चिर प्रतीक्षित कानून के पास होने से भारत-नेपाल के सीमाइ क्षेत्र में भी हर्ष का माहौल है,क्योंकि,नेपाल में बहु बन कर गई भारत की बेटियां भी अब नेपाल की नागरिकता आसानी से हासिल कर लेगी।
इस विधेयक के मंजूरी मिलने से वैवाहिक अंगीकृत नागरिक को निरंतरता मिलेगी,संविधान जारी होने से पूर्व जन्म के आधार पर नागरिकता पाए लोगों के संतान को वंशज नागरिकता,नेपाली माता द्वारा नेपाल में जन्म दिए गए और रहने वाले ,किंतु पिता की पहचान से वंचित व्यक्ति को माता के नाम से नागरिकता मिलेगी,गैर आवासीय नेपाली व्यक्ति को राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों के अलावा अन्य अधिकार प्राप्त करने योग्य नागरिकता मिल सकेगी।
बताया गया है कि इस कानून के बनने से करीब 15 लाख लोगों को नागरिकता मिल सकती है।
बता दे कि लम्बे समय से लंबित इस विधेयक को देउबा सरकार के काल में जुलाई 2022में दोनो सदनो में बारी बारी से बहुमत के साथ मंजूरी मिली थी।लेकिन,तत्कालीन राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी ने इसे दो बार मंजूरी देने से इंकार कर दिया था,जिससे निराशा का माहौल छा गया था।

नेपाल में पीएम पुष्प कमल दहाल के नेतृत्व में बनी सरकार ने इसे मंजूरी दिलाने का वायदा किया था।आज जब पीएम प्रचंड भारत के  चार दिवसीय दौर पर पहुंचे,तो,दूसरी ओर 16 वें गणतंत्र के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने विधेयक का प्रमाणीकरण करते हुए मंजूरी देकर गैर नागरिकों को बड़ी सौगात दी है।
 इस विधेयक को ले कर काफी उत्साह है और आशा भरी नजरों से सभी की निगाहें टिकी हुई है।सबसे ज्यादा खुशी सीमाई क्षेत्र के नागरिको को है।क्योंकि,जिन भारतीय लड़कियों का विवाह नेपाल में हुआ है,वे दोयम दर्जे का जीवन जी रही हैं।इस कानून से वैवाहिक अंगीकृत यानी भारतीय बहुओं को अंगीकृत नागरिकता के तहत  नागरिकता मिल सकेगी।उपेक्षा का यह हालात लंबे अर्से से या यूं कहें कि राजशाही के समय से ही कायम थी।लेकिन, नेपाल में डेमोक्रेसी आने व 2015 में संविधान लागू होने के उपरांत लम्बी प्रतीक्षा के बाद अब  मधेशी जनता को समान अधिकार मिलने का यह सपना सच होने जा रहा है। मधेशी जनता ने इस कानून के लिए काफी सँघर्ष किया है और बलिदान भी दिया है। जसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बारा जिला से सांसद और पूर्व उप प्रधान मंत्री उपेंद्र यादव  का कहना है कि यह ऐतिहासिक अवसर है,जब यह विधेयक जनता द्वारा चुनी गई संसद के बाद देश के प्रथम नागरिक के द्वारा मंजूरी दे दी गई   है।इससे देश मे ही गैर नागरिक की तरह रहने की दुर्दशा भोग रहे लाखों लोगों को मुक्ति मिलेगी।वे देश के नागरिक बनेंगे।कांग्रेस नेता सह सांसद अजय चौरसिया ने कहा कि लम्बे समय से प्रतीक्षारत  लाखों  योग्य लोगो को नागरिकता मिल सकेगी।
राजनीतिक विश्लेषक चंद्र किशोर बताते हैं कि नागरिकता पाने वालें में सबसे बड़ी संख्या भारतीय बहुओं की होगी।जिनकी कई पीढियां नागरिकता के योग्य होने के बाद भी अभी तक नागरिकता से वंचित है। सकारात्मक परिणाम के अभाव में भारतीय लोग अपनी बेटियों का ब्याह नेपाल में करने से डरने लगे थे।इससे शादी ब्याह पर प्रतिकूल असर पड़ा।इस कानून के बाद बिहार से लगे मधेश के वीरगंज कलैया, गौर ,जनकपुर आदि क्षेत्रों में हर्ष का माहौल है।नेपाली कांग्रेस,लोसपा, जसपा तथा तमलोपा सहित अन्य मधेशवादी पार्टियों द्वारा खुशियों के साथ दिवाली मनाई जा रही है।इधर,सीमा जागरण मंच के  बिहार प्रदेश संयोजक महेश अग्रवाल और मीडिया फॉर बॉर्डर हार्मोनी के केंद्रीय अध्यक्ष प्रो उमा शंकर प्रसाद ने भी नेपाल सरकार के द्वारा  नागरिकता विधेयक को मंजूरी दिए जाने का स्वागत करते हुए हर्ष व्यक्त किया है।

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