Saturday, September 21

छौड़ादानों का एकडरी कन्या उच्च विद्यालय बदहाल,कभी भी हो सकता है दर्दनाक हादसा!


-अस्सी के दशक में बने प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल विधायक ने किया निरक्षण,


विधानसभा में उठाया जायेगा मामला!


छौड़ादानो।(vor desk )।देश मे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लग रहा है।सरकार इस अभियान को बढ़ावा दे रही है।जबकि,इसकी हकीकत कोसों दूर दिखती है।शायद यही कारण है कि सीमावर्ती क्षेत्र की बच्चियों के शिक्षा दीक्षा के लिये चार दशक पहले बना प्रखंड का एकमात्र प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय सरकारी उदासीनता की शिकार है।
इस बाबत स्थानीय लोगों ने बुधवार को हाई स्कूल में स्मार्ट कार्ड क्लास का उद्घाटन कर लौट रहे विधायक डॉक्टर शमीम अहमद को उपेक्षा की स्थिति से अवगत कराया।इसके बाद विधायक ने अपने वाहन से उतर कर खुद स्कूल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के क्रम में प्रधानाध्यापिका अनिता कुमारी ने विधायक को बताया कि,छत का प्लास्टर गिर रहा है। काफी भयावह स्थिति है। पढ़ने पढ़ाने में काफी डर लगता है। कभी भी छत गिरने की स्थिति बनी रहती है। शिक्षकों के में भय का आलम व्याप्त है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए विभाग को कभी नहीं लिखा गया। कईं बार जर्जर भवन की स्थिति को देखते हुए विभाग को लिखा जा चुका है। तो कईं बार क्लास सस्पेंड करना पड़ता है। लेकिन, विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। बच्चियां भी हमेशा भयाक्रांत रहती है। विगत एक सप्ताह में तीन बार प्लास्टर गिर चुका है। यह महज संजोग हीं कहा जायेगा कि,छात्रों एवं शिक्षिकाओं पर अभी तक प्लास्टर नहीं गिरा है। एचएम ने चिंता जाहिर करते बताया कि,24 सितंबर से 9 वीं एवं 10 वीं कक्षा की छात्राओं की सेकंड टर्मिनल की परीक्षा है। यह परीक्षा कैसे संपन्न होगी? यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। सभी शिक्षिकाओं ने एक स्वर में बताया कि,बहुत ही चिंतनीय स्थिति इस विद्यालय की हो गयी है। विद्यालय के निरीक्षणोपरांत विधायक डॉ शमीम अहमद ने कहा कि यह सरकार और सरकारी योजना की विफलता का उदाहरण है।उन्होंने कहा कि, यह स्थिति विडंबनापूर्ण है कि एक ओर सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में जुटी है। वहीं,सीमा क्षेत्र का एकमात्र प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय बदहाल स्थिति में हैं। इसके लिए वे इस मामले को विधानसभा में उठायेंगे। और सदन में विभागीय मंत्री से पूछेंगे कि,सरकार उदासीन क्यों हैं? बच्चियों की बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। पढ़ाई की तो बात हीं करना बेमानी है।

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