Monday, September 30

वेलेंटाइन डे पर सौ रुपए में बिका गुलाब,गिफ्ट के लिए टैडीवियर और चॉकलेट की रही खूब डिमांड!

रक्सौल।( vor desk )।युवाओं ने वेलेंटाइन डे मनाया।भारत ही नही नेपाल में भी इस वेलेंटाइन डे को उत्सवी रूप देने वालो की कमी नही थी।वहीं,इस मौके पर नेपाल में करोड़ो रुपए का  गुलाब का आयात किया गया।क्योंकि, युवाओं ने उत्सवी रूप देने और बधाई देने के लिए गुलाब के फूल की अग्रिम बुकिंग भी कराई थी।इस बाबत नेपाल पुष्प उद्यमी संघ सूत्रों ने बताया कि 14 फरवरी को मनाए जाने वाले प्रेम दिवस यानी वेलेंटाइन डे के लिए पहले से गुलाब की बुकिंग थी और डिमांड भी खूब रही।बता दे कि प्रेम के प्रतीक के रूप में लाल गुलाब के उपयोग के कारण गुलाब आयात किया जाता है।व्यवसायियों के अनुसार, नेपाल में अधिकांश गुलाब भारत से लाए जाते हैं। भारत के नई दिल्ली, कोलकाता और बैंगलोर से गुलाब आयात किए जा रहे हैं।

वीरगंज के इस कारोबार से जुड़े राधेश्याम और संजय ने बताया कि एक गुलाब सौ रुपए तक बिका।

इधर,सीमावर्ती रक्सौल में भी वेलेंटाइन डे मनाने की होड़ रही।जिसको ले कर अनेकों व्यापारियों ने इसके लिए तैयारी की थी।फूल मंगाए थे।गिफ्ट की रेंज सजाई थी।बैंक रोड स्थित संपदा गिफ्ट सेंटर के संचालक विकास कुमार गुप्ता ने बताया कि इस बार गुलाब की काफी मांग रही।नेपाल में भी सप्लाई गई,डिमांड इतना था,दोपहर के बाद स्टॉक खत्म हो गया।विकास ने बताया कि बैंगलोर से मंगाए गए गुलाब की कीमत 65 से  100 रुपए तक थी।गोल्डन रोज की काफी डिमांड रही,जो 200 रुपए तक बिकी।वहीं,कृत्रिम गुलाब 15 से 200रुपए तक बिकी।वहीं स्पेशल  टैडी 100 से 3000 तक बिकी।तो चॉकलेट   50 से  1500 तक के रेंज में बिकी,जो गिफ्ट के लिए खूब खरीदगी हुई।

प्यार का इजहार हुआ,उत्सव भी

वेलेंटाइन डे पर मंदिरों में दर्शन पूजन की होड़ रही।तो युवा जोड़े ने प्रेम का इजहार करने के लिए मंदिर से ले कर रेस्टुरेंट तक को ठिकाना बनाया।छात्र छात्रा इसको अपने अपने ढंग से उत्सवी बनाते दिखे।एक दूसरे को रोज दिया और कहा आई लव यू!

वैलेंटाइन डे’ यानि प्यार का दिन

प्रेम के दिन तो सभी दिन हो सकते हैं, फिर ये एक सप्ताह का प्यार क्यों? … इसका जबान यही है कि प्यार तो वो खूबसूरत अहसास है, जो कभी भी किसी से भी किया जा सकता है। माँ से, पिता से, बहन से, भाई से, प्रेमिका से, पत्नि से ,,,, किसी गीतकार ने कहा भी है …

“इक अहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो …” ” वैलेंटाइन डे “का यही सूत्र  है ।

वेलेंटाइन डे की शुरुवात कैसे हुई

क्या आपको मालूम है कि आखिर क्यों मनाते है, वैलेंटाइन डे और इस दिन का क्या महत्व है। कहा जाता है कि ‘वेलेंटाइंस डे’ का नाम संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। दरअसल रोम में तीसरी सदी में क्‍लॉडियस नाम के राजा का राज हुआ करता था। क्‍लॉडियस का मानना था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि खत्‍म हो जाती है। इसी के चलते उसने पूरे राज्‍य में यह आदेश जारी कर दिया कि उसका कोई भी सैनिक या अधिकारी शादी नहीं करेगा। लेकिन संत वेलेंटाइन ने क्‍लॉडियस के इस आदेश पर कड़ा विरोध जताया और पूरे राज्‍य में लोगों को विवाह करने के लिए प्रेरित किया। संत वेलेंटाइन ने अनेक सैनिकों और अधिकारियों का विवाह करवाया। अपने आदेश का विरोध देख आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी याद में यह दिन मनाया जाता है।

भारत में कब शुरू हुई यह’ डे ‘

बताते हैं कि देश में 1997 से पहले इस दिन को कोई नहीं जानता था, फिल्म दिल तो पागल है में माधुरी दीक्षित ने इसे पहली बार परदे पर एक्सप्लेन  किया और यहां भी इसे प्रेम दिवस का नाम मिला,तब से देश में एक नये व्यापार को दिशा मिली। क्योंकि इस दिन को लोगों ने तोहफे आदान प्रदान का मुद्दा बना लिया है।

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