Monday, September 30

रक्सौल में आरओबी निर्माण हेतु जेएफआर और कॉन्सेप्चुअल प्लान का रेलवे द्वारा हो चुका है अनुमोदन,डीपीआर बनने का इंतजार!

● पुल निर्माण निगम द्वारा संशोधित जीएडी रेलवे को समर्पित की जाएगी

● स्वीकृति मिलने पर डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया होगी पूरी

रक्सौल।(vor desk )।रक्सौल में प्रस्तावित आरओबी को प्राथमिक सूची में शामिल किये जाने की शिक्षाविद डॉ. स्वयंभू शलभ की मांग पर पथ निर्माण विभाग के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने बीते 28 जुलाई को अपना निर्णय दे दिया है। उक्त मामले को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पथ निर्माण विभाग के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय को भेजा गया था।

निर्णय में वर्णित है कि रक्सौल के एलसी गेट सं 33 और 34 पर आरओबी के निर्माण को लेकर पथ निर्माण विभाग द्वारा अभियंता प्रमुख (मुख्यालय) को नोटिश निर्गत करते हुए परिवाद में अंकित विंदुओं/ दावा किये जा रहे लाभ या राहत के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन की मांग की गई। अभियंता प्रमुख (मुख्यालय) द्वारा वरीय परियोजना अभियंता, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, कार्य प्रमंडल, चंपारण (मोतिहारी) से प्राप्त प्रतिवेदन की प्रति भेजी गई जिसमें बताया गया कि बिहार सरकार और रेलवे के बीच कॉस्ट शेयरिंग के आधार पर चंपारण जिलान्तर्गत रक्सौल यार्ड स्टेशन लिमिट एलसी नं 33 और एलसी नं 34 के बदले सड़क ऊपरी पुल आरओबी निर्माण हेतु वर्ष 2019 में रेलवे और बिहार सरकार के बीच एमओयू के तहत इस परियोजना के निर्माण हेतु निर्णय लिया गया। वस्तुस्थिति यह है कि उक्त आरओबी के निर्माण हेतु जेएफआर और कॉन्सेप्चुअल प्लान का अनुमोदन रेलवे द्वारा हो चुका है। उक्त परियोजना का जेनेरल अरेंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) पुल निर्माण निगम (पथ निर्माण विभाग) द्वारा पूर्व मध्य रेलवे को अनुमोदन हेतु भेजा गया था। रेलवे द्वारा जीएडी पर ऑब्जरवेशन देते हुए उसे लौटा दिया गया है। उक्त ऑब्जरवेशन का निराकरण करते हुए संशोधित जीएडी पुल निर्माण निगम (पथ निर्माण विभाग) द्वारा रेलवे को समर्पित की जाएगी। स्वीकृति मिलने के उपरांत डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया कर ली जाएगी।

लोक प्राधिकार ने प्रतिवेदन में मांगे गए आरओबी निर्माण हेतु कार्रवाई प्रक्रियाधीन रहने की बात कही है और आरओबी निर्माण हेतु सहमति व्यक्त की है।

अपनी अपील में डॉ. शलभ ने पुल के अंतरराष्ट्रीय महत्व, यहां की ट्रैफिक समस्या और भारत नेपाल सीमा के दोनों ओर बसे लोगों की परेशानी को देखते हुए इन दोनों पुलों को प्राथमिक सूची में शामिल कर स्वीकृति प्रदान किये जाने की मांग की थी।

विदित है कि भारत नेपाल सीमा पर अवस्थित अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल स्थित नरकटियागंज-सीतामढ़ी रेलखंड पर गाड़ियों के निरंतर आवागमन एवं शंटिंग की वजह से रेलवे क्रासिंग गेट अधिकांश समय बंद रहते हैं जिसके कारण ट्रैफिक जाम की विकट समस्या पैदा होती है। यह समस्या वर्षों से यहाँ की प्रमुख समस्या बनी हुई है। आयेदिन दुर्घटना भी होती रहती है। कई लोगों की जान इस जाम की भेंट चढ़ चुकी है। बसों में स्कूली बच्चे घण्टों इस जाम में छटपटाते रहते हैं। सबसे बुरी हालत मरीजों की होती है जो बंद गेट और जाम के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। कई मरीज एम्बुलेंस में ही दम तोड़ चुके हैं। अस्पताल पहुंचने के लिए बेचैन मरीज और उनके परिजनों की विवशता की तस्वीर यहां की सड़क पर अक्सर दिख जाती है।

इस मामले को डॉ. शलभ द्वारा पूर्व में पीएमओ समेत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संज्ञान में भी दिया गया है।

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