Wednesday, October 2

रक्सौल एयरपोर्ट को चालू करने के लिए जिला प्रशासन ने भेजी रिपोर्ट, इलेक्ट्रीक प्लेन के संचालन की संभावना!

रक्सौल।( vor desk )।रक्सौल में एयरपोर्ट को सुचारू कर हवाई सेवा शुरू करने की उम्मीद जगी है।जिला प्रशासन ने भी इसकी पहल की है।लम्बे समय से रक्सौल एयर पोर्ट को चालू करने की मांग उठती रही है।इस मुद्दे को पश्चिम चंपारण सांसद सह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 संजय जायसवाल व रक्सौल विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा भी अपने अपने स्तर से सदन में उठा चुके हैं।उड्डयन मंत्री से सांसद ने मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा था।वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ भी इसे चालू करने व उड़ान सेवा शुरू करने की मांग करती आ रही है।अब संकेत मिल रहे हैं कि आवश्यक कवायद के बाद शीघ्र ही रक्सौल एयरपोर्ट को संचालन में लाया जाएगा।साथ ही यहां से इलेक्ट्रिक विमान सेवा की शुरुवात हो सकती है।

इस बीच,गुरुवार को ताजा खबर यह आई है कि पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक द्वारा जिला राजस्व शाखा, मोतिहारी के माध्यम से निदेशक संचालक, सिविल विमानन निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, हवाईअड्डा, पटना को एक पत्र लिखा गया है।
जिसमें कहा गया है कि रक्सौल हवाई अड्डा के लिए 5 मौजाओं में पांच जमाबंदी संख्या कुल रकबा 152 . 775 एकड़ भूमि पूर्व से ही अर्जित है । हवाई अड्डा की जमाबंदी भारतीय विमान पततन प्राधिकार के नाम से संधारित है । उक्त भूमि की मापी अंचल अमीन से कराई गई है । वर्तमान में भूमि में चाहरदीवारी किया हुआ है जो अतिक्रमित नहीं है।

उक्त प्रसांगिक पत्र से हवाई अड्डा रक्सौल संबंधी प्राप्त प्रतिवेदन एवं हवाईअड्डा के लिए अर्जित भूमि की पैमाइश नक्शा की प्रति इस पत्र के साथ भेजते हुए अनुरोध किया गया है कि हवाई अड्डा रक्सौल के निर्माण एवं संचालन हेतु आवश्यक अग्रेत्तर कार्रवाई करने की कृपा की जाए।

बता दे कि बीते दिनों ही राज्य के मुख्य सचिव ने बिहार के हवाई अड्डों के विस्तार को लेकर वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ एक बैठक बुलाई थी।इसमें रक्सौल एयरपोर्ट की भी चर्चा हुई । करीब 154 एकड़ में फैले पनटोका पंचायत के सीमावर्ती हरैया गाँव स्थित यह एयरपोर्ट सञ्चालन की दृष्टि से उपयुक्त बताया गया । संभावना जताई गई कि नेपाल सीमा पर होने के कारण यात्रियों की संख्या भी अच्छी खासी मिल सकती है। इसका क्षेत्रफल भी करीब दो किलोमीटर लम्बा और एक किलोमीटर चौड़ा है, वर्तमान समय की बात करे तो इस परिसर में एसएसबी 47 वी बटालियन का बीओपी संचालित है।

अब बात करते है कि एयरपोर्ट के इतिहास की तो साल 1960 में इस एयरपोर्ट का निर्माण किया गया है, 1962 तक योजना बद्ध तरीके से इसका रखरखाव हो सकता है, 1968 में रक्सौल, मुज्ज़फरपुर और भागलपुर के लिए कलिंग एयर सर्विस की शुरुआत हुई थी।लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण साल 1970 के आसपास यहाँ से उड़ाने पूरी तरीके से बंद हो गई। आखिरी बार पांच अगस्त 2011 को दिल्ली से एयर एम्बुलेंस जो तहां पर उतारा गया था।

इतना ही नहीं इस एअरपोर्ट ने भारत चीन युद्ध के दौरान भी बेहद ही अहम् भूमिका निभाई है।भारत–चीन युद्ध के बाद जनरल केएम करियप्पा ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था। तब युद्ध के दौरान सैन्य सामग्री व हवाई हमले के लिए सबसे बेहतर स्थल के रूप में इसका चयन किया गया था। बाद में इस पर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं पड़ोसी देश नेपाल के सीमावर्ती बारा जिला के सिमरा में एयरपोर्ट से प्लेन संचालन वर्षों से हो रहा है।वहीं,निजगढ़ में अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट निर्माण की कवायद जारी है।जिससे रक्सौल एयरपोर्ट को चालू करना फायदेमंद साबित होगा।इसको लेकर पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने कहा– रक्सौल हवाई अड्डा चालू कराने को प्रयास जारी है।राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।


जिला प्रशासन के पत्र प्रेषण के बाद अब उम्मीद है कि वर्ष 2024 से मुजफ्फरपुर के पताही हवाई अड्डे के अलावा रक्सौल से भी इलेक्ट्रिक विमान सेवा शुरू हो सकती है। पिफोर कंपनी के निदेशक ने इस संबंध में पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को पत्र लिखा है। विमान सेवा शुरू करने से पहले हवाई अड्डे एवं रनवे की मरम्मत का आग्रह किया है। इसे लेकर भी कवायद चल रही है। कंपनी के निदेशक सुनील कुमार ने कहा कि स्पाइस जेट एयरलाइन के साथ कंपनी 2024 में इलेक्ट्रिक विमान लांच कर रही है। नगर विमानन मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दोनों एयरपोर्ट से विमान सेवा शुरू कराने का अवसर दिया है पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में दोनों एयरपोर्ट की शीघ्र मरम्मत करा दी जाए।

हालांकि,और जमीन के लिए अधिग्रहण की कवायद शुरू हुई,तो,एयरपोर्ट संचालन की प्रतीक्षा लंबी हो सकती है।फिर भी यहां से राज्य स्तर पर प्रस्तावित हेलीकॉप्टर सेवा यहां भी शुरू करने में कोई समस्या नही है।

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